क्या पुलिस की वर्दी अब धार्मिक महिमामंडन का हथियार बन गई?

बहराइच। एक ऐसा नजारा जो देखकर हर कोई दंग! उत्तर प्रदेश के बहराइच में एक कथावाचक के स्वागत में पुलिस ने पूरी परेड से सलामी दी – वो भी एसपी राम नयन सिंह के नेतृत्व में। एक-दो जवान नहीं, पूरी फौज ने पलक-पांवड़े बिछा दिए, और ऊपर से रील बनाकर सोशल मीडिया पर छोड़ दिया। नतीजा? वीडियो आग की तरह फैल गया, लाखों व्यूज बटोर लिए, लेकिन साथ ही विवाद की चिंगारी भी सुलगा दी। विपक्ष चीख-चीखकर सवाल उठा रहा है – ये प्रोटोकॉल का उल्लंघन है या सत्ता का दिखावा?
वायरल वीडियो का तहलका: परेड, सलामी और रील का कॉकटेल!

कल्पना कीजिए – सूरज की किरणों में चमकती पुलिस की यूनिफॉर्म, ड्रम की गूंजती धुनें, और बीच में खड़े एक कथावाचक को भव्य गार्ड ऑफ ऑनर। कथावाचक पुंडरीक गोस्वामी को ये सम्मान दिया गया, जो उनकी ‘उत्कृष्टता’ के नाम पर था। एसपी आर.एन. सिंह ने खुद लीड किया ये ऐतिहासिक पल, और टीम ने इसे रिकॉर्ड कर रील बना डाली। सोशल मीडिया पर ये वीडियो महज घंटों में वायरल हो गया – इंस्टाग्राम, यूट्यूब, फेसबुक पर लाखों शेयर्स, लाइक्स और कमेंट्स की बाढ़!
लेकिन खुशी का ये माहौल ज्यादा देर टिका नहीं। वीडियो देखते ही लोग सवालों की झड़ी लगा दिए:

🔹 क्या पुलिस का काम अपराध रोकना है या धार्मिक आयोजनों में तालियां बजाना?
🔹 वर्दी का सम्मान किसके लिए – जनता का या चुनिंदा व्यक्तियों का?

एक यूजर ने लिखा, “ये सलामी कांड है, संविधान की मर्यादा का अपमान!” जबकि समर्थक बोल रहे हैं, “ये तो सम्मान का प्रतीक है!”

विपक्ष का तीखा प्रहार: ‘पुलिस की गरिमा दांव पर!’

इस ‘सलामी कांड’ ने राजनीतिक हलचल मचा दी। निर्दलीय सांसद चंद्रशेखर आजाद ने सीधे निशाना साधा – “ये पुलिस की गरिमा और संवैधानिक मूल्यों का अपमान है। क्या वर्दीधारी बल का इस्तेमाल व्यक्तिगत महिमामंडन के लिए जायज है?” विपक्षी दलों ने इसे प्रोटोकॉल ब्रेकर बताते हुए डिमांड की है – पूरी जांच हो, और दोषियों पर कार्रवाई! बहराइच प्रशासन अभी चुप्पी साधे है, लेकिन सोशल मीडिया पर बहस तेज हो रही है। क्या ये मामला कोर्ट तक पहुंचेगा? या फिर एक और वायरल स्टोरी बनकर रह जाएगा?

क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स: प्रोटोकॉल का झोल या सांस्कृतिक सम्मान?

कानूनी जानकारों का मानना है कि पुलिस गार्ड ऑफ ऑनर सिर्फ उच्च अधिकारियों या राष्ट्रपति जैसे पदों के लिए रिजर्व है। धार्मिक या व्यक्तिगत आयोजनों में इसका इस्तेमाल विवादास्पद है। लेकिन प्रशासन के करीबियों का दावा है – ये कथावाचक के सामाजिक योगदान का सम्मान था, कुछ गलत नहीं। फिलहाल, वीडियो देखने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है – यूट्यूब शॉर्ट्स पर 1 लाख+ व्यूज, इंस्टाग्राम रील्स पर हजारों कमेंट्स!

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