(शताब्दी वर्ष विशेष- 01जुलाई, 2025)
• जहाँ गोलियों की आवाज़ थी, वहाँ अक्षरों की गूंज कर दी…
• जिस धरती पर अंधकार था, वहाँ ज्ञान का दीपक जला दिया…
चंबल और यमुना के बीहड़ों में एक युग पुरुष ने शिक्षा की जो अलख जगाई, वह आज भी इतिहास के पन्नों में सुनहरी इबारत की तरह दर्ज है। वह व्यक्तित्व हैं – अक्षर पुरुष बनबारी लाल तिवारी, जिनकी शताब्दी वर्ष पर प्रकाशित “अक्षर पुरुष” पुस्तक उनके साहित्य, समाज और शिक्षा के प्रति अतुलनीय योगदान की अमर गाथा सुनाती है।
साक्षात्कार अतीत का
यह उस दौर की बात है, जब देश गुलामी की जंजीरों में जकड़ा था। प्रभात फेरियों में आजादी के गीत गूंजते थे, और हर गांव-गांव से स्वतंत्रता सेनानियों के लिए चंदे जुटाए जाते थे।
इन्हीं कठिन परिस्थितियों में बनबारी लाल तिवारी ने न केवल कलम को अपनी ताकत बनाया, बल्कि चंबल-यमुना के उस क्षेत्र में शिक्षा की मशाल जलाई, जहाँ कभी बंदूकें चमकती थीं। वे भदावर इंटर कॉलेज एवं भदावर डिग्री कॉलेज के संस्थापक प्राचार्य बने और अपने हाथों से शिक्षा के बीज बोए।
स्वतंत्रता संग्राम के सिपाही
तिवारी जी का मानना था – “शिक्षा और स्वतंत्रता, दोनों का संगम ही असली आजादी है।” उन्होंने स्वतंत्रता सेनानियों को आर्थिक सहयोग दिया और युवाओं में देशभक्ति का ज्वार पैदा किया। उनके विद्यालय और कॉलेज ही नहीं, उनके विचार भी पूरे क्षेत्र के लिए प्रेरणा बने।
“जहाँ अंधकार था, वहाँ ज्ञान का दीप जलाने वाले का नाम “अक्षर पुरुष”बनबारी लाल तिवारी है।” – समीक्षक : आचार्य सन्त कुमार भारद्वाज

अक्षर पुरुष : एक अमर कृति
अक्षर पुरुष बनबारी लाल तिवारी जी की 100वीं जन्मतिथि पर प्रकाशित [“अक्षर पुरुष”बनबारी लाल तिवारी] पुस्तक एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक साहित्य की मशाल पहुंचाने का कार्य कर रही है।
• संकलक – शंकर देव तिवारी (वरिष्ठ पत्रकार एवं अक्षर पुरुष के सुपुत्र)
• संपादक – डॉ. गजेंद्र सिंह भदौरिया
• सह-संपादक – डॉ. अजिता भदौरिया
• शीर्षक गीत – “अक्षर पुरुष”, कवि एवं साहित्यकार विनोद सांवरिया की भावपूर्ण रचना
• उनकी कही (लिपिक) – उपदेश तिवारी (पौत्र)
“अक्षर पुरुष” बनबारी लाल तिवारी : एक युग की साक्षी अद्भुत कृति
इस ग्रंथ का हर पृष्ठ उन हाथों की तपस्या का परिणाम है, जिन्होंने इसे अक्षरों की अलंकारमाला बना दिया।
संकलक- शंकर देव तिवारी! जो स्वयं एक वरिष्ठ पत्रकार हैं और अक्षर पुरुष के सुपुत्र भी, ने इस अमूल्य कृति के निर्माण में जिस समर्पण के साथ कार्य किया, वह एक पुत्र का अपने पिता के प्रति अक्षरों में रचा हुआ प्रणाम है। उन्होंने दुर्लभ पांडुलिपियों, संस्मरणों और ऐतिहासिक दस्तावेजों को सजाकर नई पीढ़ी को एक धरोहर सौंपी है।
संपादक – डॉ. गजेंद्र सिंह भदौरिया और सह-संपादक – डॉ. अजिता भदौरिया ने इस ग्रंथ को साहित्यिक शिल्प का एक उदाहरण बना दिया। उनकी सूक्ष्म दृष्टि और शब्दों पर पकड़ ने कृति को और भी प्रभावशाली रूप दिया। यह जोड़ी केवल संपादक नहीं, बल्कि विचारों के शिल्पकार बनकर सामने आई है।
शीर्षक गीत “अक्षर पुरुष” के रचनाकार– विनोद सांवरिया की लेखनी ने मानो बनबारी लाल तिवारी जी के व्यक्तित्व को स्वर और शब्द दे दिए। गीत का हर शब्द पाठक के हृदय में गूंजता है और तिवारी जी की आत्मा तक पहुंचा देता है।
उनकी कही – (लिपिक) उपदेश तिवारी, जो अक्षर पुरुष के पौत्र हैं, ने दादा के विचारों को लिपिबद्ध कर पुस्तक को सजीवता दी है। उनकी मेहनत पुस्तक को आत्मा प्रदान करती है।
समीक्षक आचार्य सन्त कुमार भारद्वाज लिखते हैं –
“इस कृति में न केवल बनबारी लाल तिवारी जी का जीवन उजागर होता है, बल्कि यह उन सभी रचनात्मक हाथों का भी प्रमाण है जिन्होंने इसे अक्षरों का अमर दीपक बना दिया।”

माटी की महक, शब्दों की तपिश
• पुस्तक के पृष्ठ दर पृष्ठ पर तिवारी जी के जीवन के अनछुए पहलू उभरते हैं।
• किसान पुत्र से साहित्यकार तक की यात्रा
• बीहड़ों में शिक्षा की क्रांति
• आंदोलनों में निर्भीक भूमिका
• कविता, निबंध और सामाजिक विचारों की विरासत
• यह ग्रंथ केवल एक स्मृति-चिन्ह नहीं, बल्कि एक साहित्यिक तीर्थ है।
📢 पुस्तक प्रकाशन एवं संपर्क विवरण
📌 प्रकाशक – समकालीन प्रकाशन
📍 पता : D-4, डिफेंस कॉलोनी, नई दिल्ली-110019
📞 मोबाइल : 8126499653, 9811078164
📧 ईमेल : printmastergem@gmail.com
📌 पुस्तक प्राप्ति के लिए संपर्क करें
📞 मोबाइल : 9456803007
📧 ईमेल : aksharpurushbah@gmail.com
💵 मूल्य : ₹400/-
🙏श्रद्धांजलि के स्वर :
“यह पुस्तक केवल अक्षरों का संग्रह नहीं, बल्कि एक महापुरुष के विचारों और संघर्षों का जीवंत दस्तावेज है। हर साहित्यप्रेमी और हर युवा को इसे पढ़ना चाहिए।” – आचार्य सन्त कुमार भारद्वाज, संपादक – “जिला नज़र” न्यूज़ नेटवर्क
__________
