आगरा: उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में अवैध खनन की कारगुजारी ने मानवता को शर्मसार कर दिया है। महज पांच महीनों में यमुना और उटंगन नदी में खनन से बने गहरे गड्ढों में फंसकर 22 युवाओं की जान जा चुकी है। इनमें उटंगन नदी में 12 और यमुना में 10 मौतें शामिल हैं। सांसद राजकुमार चाहर ने इसे ‘चिंताजनक’ बताते हुए नदियों में विसर्जन और अन्य व्यवस्थाओं की समीक्षा की मांग की है। सैटेलाइट इमेज ने खनन के गड्ढों की पोल खोल दी है, जो बचाव अभियान को जटिल बना रहे हैं।

5 महीनों का सिलसिला: खनन गड्ढों में बुझे 22 चिराग

पिछले पांच महीनों में आगरा की नदियों ने कई परिवारों को वीरान कर दिया। प्रमुख हादसों में शामिल हैं:

  • 2 अक्टूबर 2025: खेरागढ़ के डूंगरवाला में उटंगन नदी में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान 13 युवक डूबे। एक को बचा लिया गया, बाकी 12 की मौत। नदी में 2-3 फुट पानी का भ्रम हुआ, लेकिन खनन के 25 फीट गहरे और 19 फीट चौड़े गड्ढे में फंस गए। छह दिनों तक चले बचाव अभियान में एनडीआरएफ, सेना और स्कूबा डाइवर्स ने कंप्रेसर-सक्शन तकनीक से शव निकाले।
  • 3 जून 2025: सिकंदरा के नगला स्वामी में यमुना नदी किनारे रील बनाने गईं छह किशोरियां (एक ही परिवार से) डूबीं। किनारे पर अठखेलियां करते हुए गड्ढे में फंस गईं, जिसमें चार की मौत हो गई और दो गंभीर रूप से घायल।
  • 2 अक्टूबर 2025: करभना में यमुना में 15 वर्षीय ऋषभ और 14 वर्षीय प्रियांश डूबे।
  • 15 सितंबर 2025: पिनाहट के बलाई घाट पर सुखवीर की यमुना में डूबने से मौत।
  • 8 सितंबर 2025: मेहरा नाहरगंज में दो युवक यमुना में गिरे, एक की मौत।

ये हादसे खनन माफियाओं की लापरवाही को उजागर करते हैं, जहां जेसीबी से की गई खुदाई ने नदियों को मौत के जाल में बदल दिया।

सैटेलाइट ने खोला राज: गड्ढों में भरी सिल्ट ने बढ़ाई मुश्किलें

उटंगन नदी के हादसे वाली जगह पर सैटेलाइट इमेज से साफ पता चला कि चेक डैम के दायीं ओर 25 फीट गहरा गड्ढा बना है, जिसमें रेड सैंड स्टोन की सिल्ट भरी हुई है। नदी के प्रवेश-निकास रास्ते के बीच यह खतरनाक जाल फैला हुआ था। बचे युवक विष्णु ने एनडीआरएफ को गड्ढे का ब्योरा दिया, जिसके बाद अभियान केंद्रित हो गया। पहले दो दिनों में छह शव निकले। लेकिन सिल्ट ने कैमरा और उपकरणों को बेअसर कर दिया, जिससे ऑपरेशन जटिल हो गया।

बचाव में जुटी टीमें, ग्रामीणों का आक्रोश

उटंगन हादसे में एनडीआरएफ निरीक्षक विनोद कुमार ने बताया कि गड्ढे 25 फीट गहरे और नजदीक 15 फीट के थे—सब खनन का नतीजा। ग्रामीणों ने एसडीएम की गाड़ी पर पथराव किया और सांसद राजकुमार चाहर की होर्डिंग पर कालिख पोती। उन्होंने मांग की कि खनन पर पूर्ण रोक लगे और विसर्जन स्थलों पर चेतावनी बोर्ड लगें। सांसद चाहर ने कहा, “ऐसी घटनाओं से सबक लेना होगा। समन्वय और खनन रोकने पर सख्ती जरूरी है।”

प्रशासन ने खनन स्थलों पर निगरानी बढ़ा दी है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि सैटेलाइट निगरानी और सख्त कानून ही स्थायी समाधान हैं। यह सिलसिला आगरा की नदियों को बचाने की दिशा में एक चेतावनी है।

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