आगरा: 27 सितंबर 1940 को आगरा के बेलनगंज चौक पर बारोलिया बिल्डिंग में घटी एक घटना ने अंग्रेजी साम्राज्य की नींव हिला दी थी। यह वह दौर था जब भारत गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ था, और अंग्रेजी हुकूमत की क्रूरता अपने चरम पर थी। इस घटना में क्रूर कलेक्टर हार्डी को निशाना बनाकर क्रांतिकारियों ने बम विस्फोट किया, जिसने न केवल हार्डी को घायल किया, बल्कि पूरे प्रशासन को सकते में डाल दिया।
हार्डी की तानाशाही और जनता का आक्रोश
कलेक्टर हार्डी अपनी निरंकुश और क्रूर नीतियों के लिए कुख्यात था। घोड़े पर सवार होकर हंटर चलाते हुए बाजारों से गुजरने वाला हार्डी दुकानदारों और राहगीरों के लिए आतंक का पर्याय था। उसकी तानाशाही से तंग आकर क्रांतिकारियों ने उसे चेतावनी देने के लिए शहर में पोस्टर लगाए। लेकिन हार्डी ने इसे चुनौती के रूप में लिया और पुलिस को प्रेस की तलाशी लेने व क्रांतिकारियों की गिरफ्तारी के आदेश दिए। पुलिस की बर्बरता ने एक प्रेस कर्मचारी की जान ले ली, जिसने क्रांतिकारियों के आक्रोश को और भड़का दिया।
त्रिकंटक दल का गठन
बदला लेने की ठान चुके क्रांतिकारियों ने एक छोटा लेकिन प्रभावी त्रिकंटक दल गठित किया। इसमें तीन नन्हे सूरम शामिल थे:
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रोशनलाल गुप्त ‘करुणेश’: एक पत्रकार और क्रांतिकारी, जिनका लेखन और साहस अंग्रेजों के लिए खतरा था।
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वासुदेव गुप्त: एक नन्हा सूरमा क्रांतिकारी, जिन्होंने हार्डी को सबक सिखाने में अहम भूमिका निभाई।
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रामप्रसाद भारतीय: एक अनुभवी क्रांतिकारी, जो पहले भी कई बम विस्फोटों के जरिए अंग्रेजी हुकूमत को चुनौती दे चुके थे।
27 सितंबर 1940: बम विस्फोट की वह रात
रामनवमी के अवसर पर बेलनगंज चौक पर राम बरात का आयोजन था। हार्डी को बारोलिया बिल्डिंग के विशेष मंच पर आमंत्रित किया गया था, जहां वह चांदी की चमचमाती कुर्सी पर अभिमान के साथ बैठा था। जैसे ही भगवान राम का हाथी रेलवे पुल पार कर बेलनगंज चौक पर पहुंचा, त्रिकंटक दल ने बम विस्फोट कर दिया। इस धमाके से पूरा क्षेत्र दहल गया। हार्डी सहित 32 लोग घायल हुए, और खून से लथपथ हार्डी को उसकी कोठी ले जाया गया।
घटना का प्रभाव और अंग्रेजों की प्रतिक्रिया
विस्फोट के बाद अंग्रेजी प्रशासन ने बारोलिया बिल्डिंग को घेर लिया और रातभर तलाशी अभियान चलाया। दर्जनभर क्रांतिकारियों पर मुकदमे चलाए गए और यातनाएं दी गईं। वासुदेव गुप्त को गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन रोशनलाल गुप्त ‘करुणेश’ और रामप्रसाद भारतीय पुलिस की पकड़ से बाहर रहे। इस घटना ने हार्डी को इतना प्रभावित किया कि वायसराय के विशेष निर्देश पर उसे ब्रिटेन वापस जाना पड़ा।
क्रांतिकारियों का साहस और प्रेरणा
बेलनगंज बम कांड न केवल आगरा, बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणादायक घटना बन गई। यह क्रांतिकारियों के साहस और बलिदान का प्रतीक है, जिन्होंने गुलामी की जंजीरों को तोड़ने के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। आज भी यह घटना हमें याद दिलाती है कि स्वतंत्रता का मूल्य कितना अनमोल है।