रामपुर। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री आज़म खान ने बसपा सुप्रीमो मायावती के लखनऊ रैली में दिए बयान पर प्रतिक्रिया दी। मायावती ने अपने बयान में स्पष्ट किया था कि कोई कद्दावर नेता उनकी पार्टी में शामिल होने की कोशिश नहीं कर रहा है। आज़म खान ने कहा कि वह मायावती को बड़ी सियासतदान मानते हैं, जबकि खुद को एक छोटा कार्यकर्ता ही समझते हैं। उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ने पर वह मायावती से मिल सकते हैं।

पिछले महीने जेल से रिहा होने के बाद आज़म खान के राजनीतिक भविष्य को लेकर अटकलें तेज हो गई थीं। अफवाहें थीं कि वह बसपा में शामिल हो सकते हैं और दिल्ली व लखनऊ में मायावती से उनकी मुलाकातें भी हो चुकी हैं। हालांकि, दोनों नेताओं ने बार-बार इसे खारिज किया। अब आज़म खान ने मीडिया को बताया कि उन्हें दुख हुआ कि उनके और मायावती के बीच अफवाहें फैलाई गईं।

आज़म खान ने कहा, “मायावती बड़े जनसमूह की नायक और अनुभवी सियासतदान हैं। मैं उनका पूरा सम्मान करता हूं। मेरी नजर में उनकी अहमियत कम नहीं हुई और उनके प्रति स्नेह हमेशा बना रहेगा। हमारे बीच संबंध सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि व्यक्तिगत और सामाजिक भी हैं। जब भी जरूरत होगी, हम मिल सकते हैं।”

उन्होंने अपने पुराने रिश्तों का जिक्र करते हुए कहा कि उनका कांशीराम से भी गहरा और पुराना संबंध रहा है। “कांशीराम साहब सुबह चार बजे नमाज़ के बाद मेरे पास आते थे और हम आधा-एक घंटा बातचीत करते थे। मैंने कभी भी कोई ऐसा काम नहीं किया जो किसी के दिल को ठेस पहुंचाए।”

आज़म खान ने याद किया कि मायावती जब रामपुर आई थीं, तो वह उनकी मेहमान रही थीं। उन्होंने कहा, “उन्हें महसूस हुआ होगा कि मेरा उनके साथ कैसा आत्मीयता का संबंध है।”

हालांकि, सपा पर मायावती के हालिया बयान पर प्रतिक्रिया देने से आज़म खान ने इनकार कर दिया और कहा “उनके स्तर का जवाब उनके स्तर के लोग देंगे। मैं तो पिछले 8-10 साल से ऐसे हालात का शिकार रहा हूं कि मुझे यह भी नहीं पता कि लखनऊ का कौन सा पार्क किस हाल में है।”

उन्होंने कहा कि जेल से बाहर आने के बाद के साल कठिन रहे हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि यदि भविष्य में सत्ता में आए तो समाज और राष्ट्र के हित में काम करेंगे, ताकि किसी को ऊँच-नीच या शिकायत महसूस न हो।

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