अनंत चतुर्दशी का पावन पर्व पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है। यह दिन भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा और गणपति बप्पा की विदाई के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। हिंदू धर्म में अनंत चतुर्दशी का विशेष स्थान है, क्योंकि इस दिन लक्ष्मी नारायण की पूजा करने से सुख, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही, जीवन की सभी बाधाएं और परेशानियां दूर होने की मान्यता है।

शुभ मुहूर्त

इस वर्ष अनंत चतुर्दशी की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 06:02 AM से शुरू होकर देर रात 01:41 AM (7 सितंबर 2025) तक रहेगा। इस समयावधि में पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

अनंत चतुर्दशी का महत्व

अनंत चतुर्दशी भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप को समर्पित है। इस दिन भक्त अनंत सूत्र (पवित्र धागा) बांधते हैं, जो अनंत सुरक्षा और कल्याण का प्रतीक माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन व्रत और पूजा करने से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर होते हैं और जीवन में स्थिरता आती है। साथ ही, यह दिन गणेश चतुर्थी के उत्सव का समापन भी है, जब गणपति बप्पा की मूर्तियों का विसर्जन किया जाता है।

पूजा विधि

संकल्प: सुबह स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा स्थल को साफ करें।

पूजा सामग्री: पूजा के लिए अनंत सूत्र, रोली, चंदन, फूल, धूप, दीप, मिठाई और फल तैयार करें।

अनंत सूत्र बांधना: भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी की पूजा के बाद पुरुष दाहिने हाथ और महिलाएं बाएं हाथ पर अनंत सूत्र बांधें।

मंत्र जाप: “ॐ अनंताय नमः” मंत्र का जाप करें और भगवान विष्णु से सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें।

गणेश विसर्जन: गणपति बप्पा की आरती के बाद उनकी मूर्ति का विसर्जन विधि-विधान से करें।

गणपति विसर्जन और उत्सव

अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश चतुर्थी के दस दिवसीय उत्सव का समापन होता है। भक्त गणपति बप्पा को भावभीनी विदाई देते हैं और “गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ” के नारों के साथ मूर्ति विसर्जन करते हैं। इस दौरान भक्ति और उत्साह का अनोखा संगम देखने को मिलता है।

क्यों खास है यह दिन?

आध्यात्मिक महत्व: अनंत चतुर्दशी का व्रत और पूजा जीवन में स्थायी सुख और समृद्धि लाती है।

सांस्कृतिक महत्व: गणेश विसर्जन के साथ यह पर्व सामुदायिक एकता और उत्सव का प्रतीक है।

ज्योतिषीय दृष्टिकोण: इस दिन पूजा और अनुष्ठान करने से ग्रहों के दुष्प्रभाव कम होते हैं।

🔹पूजा और विसर्जन के दौरान पर्यावरण का ध्यान रखें। पर्यावरण-अनुकूल गणेश मूर्तियों का उपयोग करें और विसर्जन जलाशयों को प्रदूषित करने से बचें।
🔹अनंत चतुर्दशी के इस पावन अवसर पर भगवान विष्णु और गणपति बप्पा की कृपा आप और आपके परिवार पर बनी रहे। गणपति बप्पा मोरया!

📍आचार्य राजकिशोर शर्मा “राजगुरु महाराज”📍

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