नई दिल्ली/एजेंसी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा एच-1बी वीजा पर हर साल 1 लाख डॉलर (करीब 84 लाख रुपये) की भारी फीस लगाने के फैसले ने भारत को झकझोर दिया है। विदेश मंत्रालय (MEA) ने शनिवार को अपनी पहली आधिकारिक प्रतिक्रिया में कहा कि यह कदम ‘मानवीय परिणामों’ (humanitarian consequences) को जन्म दे सकता है, खासकर उन परिवारों के लिए जो अमेरिका में बसे हैं। मंत्रालय ने जोर देकर कहा कि सरकार और भारतीय उद्योग इस फैसले के व्यापक प्रभावों का गहन अध्ययन कर रहे हैं, जिसमें एच-1बी प्रोग्राम से जुड़ी कई भ्रांतियों को भी स्पष्ट किया जा रहा है।
फैसले का पृष्ठभूमि और अमेरिकी तर्क
ट्रंप प्रशासन ने शुक्रवार (19 सितंबर) को एक प्रोजेकलेशन जारी कर एच-1बी वीजा के लिए नई फीस की घोषणा की, जो 21 सितंबर से लागू हो जाएगी। वर्तमान में वीजा फीस 1,700 से 4,500 डॉलर के बीच है, लेकिन अब यह सालाना 1 लाख डॉलर हो जाएगी। अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि यह कदम वीजा प्रोग्राम के ‘दुरुपयोग’ को रोकने और अमेरिकी श्रमिकों की सुरक्षा के लिए है। उनका दावा है कि विदेशी श्रमिकों की भारी संख्या से स्थानीय नौकरियां प्रभावित हो रही हैं।
एच-1बी वीजा विशेषज्ञता वाले क्षेत्रों (जैसे आईटी, इंजीनियरिंग) में विदेशी पेशेवरों को अमेरिका में अस्थायी रूप से काम करने की अनुमति देता है। हर साल 85,000 वीजा जारी होते हैं, जिनमें से 71% भारतीयों को मिलते हैं। फिलहाल करीब 3 लाख भारतीय पेशेवर, ज्यादातर आईटी सेक्टर से, इस वीजा पर अमेरिका में कार्यरत हैं।
भारत की प्रतिक्रिया: परिवारों पर ‘गंभीर असर’
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, “यह उपाय परिवारों के लिए गंभीर व्यवधान पैदा कर सकता है, जिससे मानवीय परिणाम उत्पन्न होंगे।” मंत्रालय ने उम्मीद जताई कि अमेरिका इन मुद्दों को हल करने के लिए उचित कदम उठाएगा। भारत-अमेरिका दोनों देश इनोवेशन और आर्थिक वृद्धि के साझेदार हैं, इसलिए कुशल पेशेवरों का प्रवास तकनीकी प्रगति और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए जरूरी है।
भारतीय उद्योग संगठन NASSCOM ने चेतावनी दी है कि यह फीस आईटी कंपनियों के लिए व्यवसायिक निरंतरता में बाधा डालेगी। एक प्रारंभिक विश्लेषण के अनुसार, नई फीस एक नए एच-1बी वीजा धारक की औसत सालाना सैलरी (करीब 80,000-90,000 डॉलर) से अधिक है और मौजूदा धारकों की 80% आय के बराबर। इससे वीजा प्रोग्राम ‘लगभग समाप्त’ हो सकता है।
प्रमुख आंकड़ेविवरणएच-1बी वीजा प्राप्तकर्ता71% भारतीय (2024 डेटा)वर्तमान भारतीय पेशेवर~3 लाख अमेरिका मेंपुरानी फीस$1,700-$4,500 प्रति आवेदननई फीस$100,000 सालानाप्रभावित क्षेत्रआईटी (सबसे अधिक), इंजीनियरिंग, स्वास्थ्य
टेक कंपनियों का अलर्ट: ‘अमेरिका लौटें, यात्रा न करें’
ट्रंप के फैसले के बाद माइक्रोसॉफ्ट, अमेजन और जेपी मॉर्गन जैसी कंपनियों ने एच-1बी वीजा धारकों को आंतरिक ईमेल भेजे हैं। उन्होंने कहा है कि 21 सितंबर से पहले अमेरिका लौट आएं और विदेश यात्रा टाल दें, वरना वीजा नवीनीकरण मुश्किल हो सकता है। एलन मस्क जैसे टेक लीडर्स ने भी विरोध जताया है, कहा कि अमेरिका को कुशल विदेशी टैलेंट की जरूरत है।
आगे की राह: क्या होगा भारत का अगला कदम?
भारत सरकार ने कहा कि वह अमेरिका के साथ द्विपक्षीय चर्चा के जरिए मुद्दे सुलझाने की कोशिश करेगी। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला भारतीय आईटी निर्यात (जो सालाना 200 बिलियन डॉलर का है) को प्रभावित कर सकता है। कुछ विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि इससे अमेरिका खुद को AI और टेक रेस में पीछे कर लेगा, क्योंकि कंपनियां काम भारत या अन्य देशों में शिफ्ट कर सकती हैं।