अलीगढ़: शहर में देव दिवाली (कार्तिक पूर्णिमा) का उत्साह चरम पर है। 5 नवंबर को श्री वार्ष्णेय मंदिर, गिलहराजजी हनुमान मंदिर, टीकाराम मंदिर, प्राचीन सिद्धपीठ गणेश मंदिर अचलताल और चेतन आश्रम समेत विभिन्न मंदिर दीपकों की रोशनी से नहा जाएंगे। महंत योगी कौशल नाथ ने बताया कि गिलहराजजी मंदिर पर 1,21,121 दीपों से अचल सरोवर जगमगाएगा, जबकि वार्ष्णेय मंदिर में 5100 दीपों के साथ रंगोली और आतिशबाजी होगी। नगर निगम भी पहली बार अचल सरोवर पर आयोजित दीपोत्सव में 51,000 दीप जलाएगा। श्रद्धालुओं ने तैयारियां तेज कर दी हैं, जो भगवान शिव के त्रिपुरासुर वध की याद दिलाएगी।
देव दिवाली, जिसे देव दीपावली या त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहा जाता है, हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह की पूर्णिमा को मनाई जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार, इस दिन भगवान शिव ने राक्षस त्रिपुरासुर का वध कर देवताओं को मुक्ति दिलाई थी। मान्यता है कि इस शुभ मुहूर्त पर दीपदान करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होकर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। 2025 में पूर्णिमा तिथि 4 नवंबर रात 10:36 बजे से शुरू होकर 5 नवंबर शाम 6:48 बजे तक रहेगी। शुभ मुहूर्त: सुबह 5:30 से 7:00 बजे तक दीपदान और आरती। इस दिन भद्रावास योग और शिववास योग का दुर्लभ संयोग भी बन रहा है, जो मनोवांछित फल की प्राप्ति कराएगा।
अलीगढ़ में यह पर्व आयोध्या की तर्ज पर धूमधाम से मनाया जाएगा। शहर के प्रमुख मंदिरों में श्रद्धालु सुबह से ही स्नान-पूजन करेंगे। मुख्य आयोजन:
- श्री गिलहराजजी हनुमान मंदिर: महंत योगी कौशल नाथ के नेतृत्व में महाआरती और दीपदान। अचल सरोवर को 1,21,121 दीपों से सजाया जाएगा। शाम 6 बजे से सांस्कृतिक कार्यक्रम – भजन, कीर्तन और लोक नृत्य। नगर निगम की ओर से अतिरिक्त 51,000 दीप जलाकर लेजर बीम शो और देशभक्ति धुनें बजाई जाएंगी। प्रत्येक दीप पर स्वच्छता संदेश लिखा होगा। मेयर प्रशांत सिंघल ने कहा, “यह पहली बार है जब निगम सरोवर पर ऐसा आयोजन कर रहा है। सीएम योगी के निर्देश पर तैयारियां पूरी हैं।”
- श्री वार्ष्णेय मंदिर: परिसर को 5100 दीपकों से सजाया जाएगा। श्रद्धालु रंग-बिरंगी रंगोली बनाएंगे। रात 8 बजे विशेष आतिशबाजी और भगवान विष्णु की आरती। मंदिर समिति के अध्यक्ष ने बताया, “यह पर्व समृद्धि का प्रतीक है, हजारों लोग शामिल होंगे।”
- टीकाराम मंदिर: पारंपरिक दीपोत्सव के साथ भजन संध्या। 2000+ दीप जलाकर महाआरती।
- प्राचीन सिद्धपीठ गणेश मंदिर अचलताल: दीपदान के साथ गणेश जी की विशेष पूजा। सरोवर किनारे 3000 दीपों की व्यवस्था।
- रावणटीला चेतन आश्रम: दीपदान और ध्यान सत्र। आश्रमाध्यक्ष ने कहा, “यह पर्व आध्यात्मिक शांति का अवसर है।”
श्रद्धालुओं में जोश देखने लायक है। बाजारों में दीपक, मिठाई और पूजन सामग्री की खरीदारी तेज हो गई है। स्थानीय प्रशासन ने ट्रैफिक प्लान जारी किया – अचल सरोवर रोड पर पार्किंग और लाइटिंग की व्यवस्था। पर्यावरण के लिहाज से LED दीपों का इस्तेमाल होगा। विशेषज्ञों के मुताबिक, इस दिन गंगा-यमुना स्नान का पुण्य मिलता है, इसलिए अलीगढ़वासी सरोवर स्नान करेंगे।
यह आयोजन शहर की सांस्कृतिक धरोहर को मजबूत करेगा। पिछले साल देव दिवाली पर 50,000+ श्रद्धालु जुटे थे, इस बार संख्या दोगुनी होने की उम्मीद। पर्व के बाद सफाई अभियान भी चलेगा।





