आगरा: उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में यमुना और चंबल नदियों का उफान ग्रामीण इलाकों में तबाही मचा रहा है। बाह क्षेत्र में चंबल के किनारे 38 और यमुना के किनारे 35 गांव प्रभावित हो चुके हैं, जहां मगरमच्छों के हमलों की दहशत ने लोगों को घरों से बाहर निकलने पर मजबूर कर दिया है। भारी बारिश और ऊपरी क्षेत्रों से पानी छोड़े जाने के कारण नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया है, जिससे सैकड़ों बीघा फसलें डूब गई हैं और कई परिवार पलायन कर रहे हैं। वन विभाग ने मगरमच्छों पर नजर रखी है, जबकि प्रशासन राहत कार्यों में जुटा हुआ है।
चंबल नदी में उफान के कारण घड़ियाल और मगरमच्छ डाउनस्ट्रीम की ओर बहकर इटावा के भरेह क्षेत्र तक पहुंच गए हैं, जहां से वे यमुना में प्रवेश कर बाह की सीमा तक आ रहे हैं। वन विभाग बाह रेंजर कुलदीप सहाय पंकज ने बताया कि बाढ़ के कारण मगरमच्छों की चाल प्रभावित हुई है, जिससे वे ग्रामीण बस्तियों के करीब आ रहे हैं। यमुना में कचौराघाट गांव में 2, जबकि पई, चरीथा और विक्रमपुर घाट में 1-1 मगरमच्छ देखे गए हैं। चंबल के उटसाना, चंपाराम पुरा और बरुआ पुरा गांवों के आसपास भी मगरमच्छों की मौजूदगी की खबरें हैं।
हाल की घटनाओं ने ग्रामीणों को और डरा दिया है। पई गांव में मछली पकड़ते समय पप्पू पर मगरमच्छ के हमले की आशंका बनी, जबकि पुरा बरुआ गांव में नहाते समय भानु प्रताप को चंबल में मगरमच्छ ने खींच लिया था। वन विभाग ने इन क्षेत्रों में निगरानी बढ़ा दी है और ग्रामीणों को नदियों के किनारे न जाने की सलाह दी है। अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, मगरमच्छों का यह ‘आक्रमण’ चंबल-यमुना बाढ़ का सीधा परिणाम है, जो ग्रामीणों की जिंदगी को जोखिम में डाल रहा है।
बाढ़ प्रभावित गांव: पलायन और रेस्क्यू ऑपरेशन
यमुना के बढ़ते जलस्तर ने बरौली अहीर ब्लॉक के तनौरा बुर्ज गांव को पूरी तरह घेर लिया है। यहां 15 परिवारों के 60 लोग यमुना के पानी से घिर गए थे, जिनके घरों में पानी भर गया। मोटरबोट से रेस्क्यू कर उन्हें पंचायत घर में ठहराया गया है। ग्राम प्रधान मनोज कुमार ने बताया कि भोजन पैकेट वितरित किए जा रहे हैं और सभी सुरक्षित हैं। इसी तरह, मेहरा नाहर गंज (थार) गांव को पूरी तरह खाली करा दिया गया है, जहां सभी को प्राथमिक विद्यालय में शरण दी गई है।
खंड विकास अधिकारी (बीडीओ) बरौली अहीर जीएस यादव ने कहा कि प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण जारी है और मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। बाढ़ से प्रभावित गांवों में मेहरा नाहर गंज, तनौरा बुर्ज, तनौरा नूरपुर, बरौली गुर्जर, नगला तलफी और समोगर शामिल हैं। समोगर मुस्तिकल में सैकड़ों बीघा सब्जी फसलें डूब गई हैं, जिससे किसान भुखमरी के कगार पर हैं। प्रधान लखेन्दर सिंह ने आरोप लगाया कि प्रशासन से कोई मदद नहीं मिल रही।
एत्मादपुर क्षेत्र में भी स्थिति गंभीर है। सुरहरा, छोटा सुरहरा, शीशियां, रायपुर, गदपुरा, नगला नत्था और गढ़ी संपत्ति के गांवों की गलियों में यमुना का पानी भर गया है। सैकड़ों बीघा फसलें बर्बाद हो चुकी हैं। गढ़ी संपत्ति में दो मकानों में पानी घुसने से परिवार पुराने घरों में शिफ्ट हो गए। किसान नेता प्रदीप शर्मा ने बताया कि ग्रामीण सहमे हुए हैं। रविवार को विधायक डॉ. धर्मपाल सिंह ने एसडीएम सुमित कुमार सिंह के साथ दौरा कर ग्रामीणों से मुलाकात की।
प्रभावित क्षेत्र | प्रभावित गांवों की संख्या | मुख्य समस्या | राहत उपाय |
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चंबल किनारे (बाह) | 38 | मगरमच्छ हमले, खादर क्षेत्र में पानी | वन विभाग निगरानी, पलायन |
यमुना किनारे (बाह) | 35 | फसलें डूबीं, बस्तियां घिरीं | रेस्क्यू बोट, पंचायत घर में शरण |
एत्मादपुर | 7+ (सुरहरा आदि) | गलियां जलमग्न, फसल नुकसान | विधायक दौरा, निरीक्षण |
बरौली अहीर | 6 (तनौरा बुर्ज आदि) | 60 लोग विस्थापित, फसल बर्बाद | भोजन वितरण, स्कूल में ठहराया |
ताजमहल पर खतरा: पानी दीवारों तक पहुंचा
बाढ़ का असर आगरा शहर तक पहुंच गया है। यमुना का जलस्तर 500.50 फीट तक पहुंच गया है, जो 2023 के स्तर के बराबर है। ताजमहल की दीवारों तक पानी पहुंच गया है, जबकि महताब बाग में टिकट विंडो और सीढ़ियों पर पानी बह रहा है। एडीए का ताज व्यू पॉइंट भी प्रभावित हुआ है। हालांकि, पुरातत्व सर्वेक्षण ऑफ इंडिया (ASI) ने आश्वासन दिया है कि स्मारक की मजबूत संरचना सुरक्षित है। आउटलुक इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, गोपाल ब barrage से 1.60 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया, जिससे जलस्तर तेजी से बढ़ा। ताजगंज का मोक्षदham श्मशान पूरी तरह डूब गया है। नवभारत टाइम्स ने बताया कि यह 45 साल बाद ऐसा दृश्य है।
बारिश का कहर: शहर की गलियां जलमग्न
एत्मादपुर कस्बे में रविवार शाम की एक घंटे की बारिश ने गलियों को तालाब बना दिया। सत्ता मोहल्ले का टंकी वाला मार्ग, नई बस्ती की गलियां, आंबेडकर पार्क और मुख्य बाजार प्रभावित हुए। लोग निकलने के लिए परेशान रहे। जगरण की रिपोर्ट के अनुसार, यमुना का प्रकोप कई गांवों में तबाही ला रहा है, जहां फसलें डूबने से किसान परेशान हैं।
प्रशासन की तैयारी और मांगें
प्रशासन ने 83 से अधिक गांवों को हाई अलर्ट पर रखा है। इंदिरा गांधी नहर और अन्य ड्रेनेज सिस्टम से पानी निकासी का प्रयास जारी है। हालांकि, किसान मुआवजे की मांग कर रहे हैं। अमर उजाला की एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, 2000 बीघा से अधिक फसलें डूब चुकी हैं और गांव खाली कराए जा रहे हैं। इंडिया टुडे के सैटेलाइट इमेज से पता चलता है कि मथुरा-आगरा क्षेत्र पूरी तरह प्रभावित है।
यह बाढ़ उत्तर प्रदेश में गंगा-यमुना की व्यापक समस्या का हिस्सा है, जहां 37 से अधिक मौतें हो चुकी हैं। ग्रामीणों से अपील है कि नदियों के किनारे न जाएं और प्रशासन के निर्देशों का पालन करें। अगर आपके पास इस बाढ़ से जुड़ी कोई जानकारी है, तो हमें बताएं।