आगरा: उत्तर प्रदेश के आगरा में एक सरकारी अस्पताल में ऑक्सीजन सप्लाई अचानक फेल हो गई, जिससे एक नवजात शिशु की जान पर बन आई। लेकिन वहां मौजूद डॉ. सुलेखा चौधरी ने हार नहीं मानी। उन्होंने लगातार सात मिनट तक अपने मुंह से सांस देकर (माउथ-टू-माउथ रेस्पिरेशन) बच्चे को मौत के मुंह से खींच लिया। यह घटना 2022 की है, लेकिन हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो के जरिए फिर से सुर्खियां बटोर रही है।
घटना की पूरी कहानी
आगरा के जिला अस्पताल (सरकारी अस्पताल) में एक नवजात बच्ची का जन्म हुआ था, जो शुरू से ही कमजोर थी। बच्ची को ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया था, लेकिन अचानक मशीनें खराब हो गईं और ऑक्सीजन की सप्लाई बंद हो गई। बच्ची की सांसें रुकने लगीं, चेहरा नीला पड़ गया और हालात बेहद नाजुक हो गए। डॉ. सुलेखा चौधरी, जो उस समय ड्यूटी पर थीं, ने बिना एक सेकंड गंवाए कार्रवाई की।
वीडियो में देखा जा सकता है कि डॉ. चौधरी बच्ची को सीधा पकड़कर उल्टा करती हैं, हल्के हाथों से पीठ थपथपाती हैं और फिर मुंह से सांस देना शुरू कर देती हैं। यह प्रयास करीब सात मिनट तक चला। आखिरकार, बच्ची की आंखें खुलीं, चेहरा सामान्य हो गया और वह सुरक्षित हो गई। 26 सेकंड का यह वीडियो सोशल मीडिया पर हजारों बार शेयर हो चुका है, जो डॉक्टर की निस्वार्थ सेवा को दर्शाता है।
इंसानियत की जीत, सोशल मीडिया पर तारीफों का दौर
यह वीडियो सोशल वर्कर शामा परवीन ने शेयर किया, जिसमें उन्होंने लिखा: “जब सिस्टम ने साथ छोड़ दिया और मशीनें खामोश हो गईं, तब आगरा की डॉ. सुलेखा चौधरी ने अपनी साँसों से एक नवजात को ज़िंदगी दी।” इस पोस्ट को 10,000 से ज्यादा लाइक्स और 2,300 रीपोस्ट मिल चुके हैं।
नेटिजेंस ने डॉ. चौधरी को ‘धरती पर भगवान का रूप’ बताते हुए श्रद्धांजलि दी। एक यूजर ने लिखा, “खुदा के बाद अगर कोई जिंदगी देता है, तो वो डॉक्टर होता है।” वहीं, दूसरे ने कहा, “यह इलाज नहीं, इंसानियत का सबसे ऊंचा रूप है।” कई पोस्ट्स में उन्हें कर्तव्य, साहस और मानवता की जीवित मिसाल करार दिया गया।
डॉ. सुलेखा: सेवा की मिसाल
डॉ. सुलेखा चौधरी आगरा के स्वास्थ्य विभाग में लंबे समय से सेवा दे रही हैं। यह घटना न केवल उनकी पेशेवर क्षमता को दर्शाती है, बल्कि बताती है कि जब तकनीक फेल हो जाए, तब इंसानियत ही सबसे बड़ा हथियार है। स्वास्थ्य मंत्री या स्थानीय प्रशासन की ओर से अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन यह वीडियो पूरे देश में डॉक्टरों की मेहनत को सलाम करने का प्रतीक बन चुका है।

