आगरा। शहर में नकली दवाओं के नेटवर्क पर औषधि विभाग की कार्रवाई लगातार तेज हो रही है। विभाग ने अंशिका फार्मा, विभोर मेडिकल एजेंसी और हर्षित ट्रेडर्स के संचालकों को रिमाइंडर नोटिस जारी कर सख्त चेतावनी दी है। इन तीनों पर एक नामी कंपनी की दवा को नकली बताकर बेचने के गंभीर आरोप हैं।
करीब एक महीने पहले विभाग ने तीनों प्रतिष्ठानों पर छापा मारकर रिकॉर्ड मांगे थे, लेकिन न खरीद के दस्तावेज दिए गए और न ही बिक्री का कोई वैध बिल। विभाग अब इसे गंभीर लापरवाही मान रहा है।
टोरेंट फार्मा की शिकायत से खुली पोल
सहायक आयुक्त औषधि अतुल उपाध्याय ने बताया कि 7 नवंबर 2025 को टोरेंट फार्मा ने शिकायत दी थी कि काइमोरल फोर्ट नामक मांसपेशी की चोट में दी जाने वाली दवा बाजार में नकली रूप में तैयार कर सप्लाई की जा रही है। यही शिकायत इस पूरे मामले की शुरुआत बनी।
छापेमारी में नकली दवा नहीं मिली
शिकायत के तुरंत बाद औषधि विभाग ने तीनों मेडिकल स्टोरों पर छापा मारा। मौके से नकली दवा बरामद नहीं हुई,लेकिन स्टॉक रजिस्टर और बिक्री रिकॉर्ड में पता चला कि यह दवा यहां बेची गई थी। पूछताछ में संचालकों ने दावा किया कि उन्होंने यह दवा गोरखपुर स्थित गुप्ता मेडिकल स्टोर से खरीदी थी।
अब गोरखपुर में चल रही सप्लाई चेन की जांच
गोरखपुर में भी औषधि विभाग की टीम सप्लाई चेन को ट्रेस कर रही है। तीनों फर्मों से फिर से इन महत्वपूर्ण सवालों का जवाब मांगा गया है। विभाग ने नोटिस देकर पूछा है कि दवा कहां से खरीदी गई, किन-किन को बेची गई और खरीद-बिक्री के बिल और पूरा रिकॉर्ड प्रस्तुत करें। लेकिन एक महीने बाद भी कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए गए हैं।
विभाग की चेतावनी, अब होगा मुकदमा
औषधि विभाग ने अंतिम रिमाइंडर भेजते हुए स्पष्ट कर दिया है कि अगर अब भी रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं कराया गया तो तीनों संचालकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा। यह पूरा मामला आगरा में नकली दवाओं की संभावित सप्लाई चेन पर बड़ा सवाल खड़ा करता है और विभाग की जांच भविष्य में कई और खुलासे कर सकती है।





