परिचालक चंद्रेश कुमार ने लगेज टिकट के नाम पर की लूटी
• विरोध पर बस बीच रास्ते खड़ी कर यात्रियों को किया बंधक
आगरा। उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (UPSRTC) की फाउंड्री डिपो आगरा शाखा में भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी गहरी हैं कि अब ये खुलेआम यात्रियों की जेब काट रही हैं। ताजा घोटाले की पोल खोलने वाला मामला बस नंबर UP80 GT 5719 का है, जहां परिचालक चंद्रेश कुमार ने लगेज टिकट के बहाने एक यात्री से 100 रुपये की अवैध वसूली की। विरोध जताने पर इस बेशर्म कर्मचारी ने बस को रास्ते में ही खड़ा कर सभी यात्रियों को घंटों बंधक बना लिया। विभाग की मिलीभगत से ऐसे भ्रष्टाचार रोजाना हो रहे हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं – ये है निगम की असलियत!
घटना का पूरा खुलासा: कैसे हुई लूट और बंधक बनाने की साजिश?
स्थान और समय:
फाउंड्री डिपो आगरा से चलने वाली बस UP80 GT 5719। घटना रूट पर बीच रास्ते में हुई।
पीड़ित यात्री की आपबीती: यात्री ने अपना 20 किलो वजनी लगेज बस में रखा। परिचालक चंद्रेश कुमार ने बिना किसी वैध आधार के लगेज टिकट के नाम पर 100 रुपये मांगे।
विरोध पर गुंडागर्दी:
जब यात्री ने टिकट मांगा, तो चंद्रेश ने साफ इनकार कर दिया और कहा, “पैसे दो, वरना बस नहीं चलेगी!”। नतीजा – बस को मुख्य मार्ग पर खड़ा कर दिया, जिससे दर्जनों यात्री फंस गए। महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग घंटों धूप में परेशान रहे।
शिकायत के बाद टिकट में धांधली:
ए.आर.एम. फाउंड्री डिपो को फोन पर शिकायत की गई। दबाव पड़ने पर चंद्रेश ने टिकट जारी किया, लेकिन जानबूझकर गड़बड़ी – असल वजन 20 किलो था, टिकट पर लिखा 25 किलो! इससे अतिरिक्त 20-25 रुपये की लूट।
यात्री ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “ये पहली बार नहीं। हर बस में परिचालक लगेज, सीट या पानी की बोतल तक के पैसे मांगते हैं। टिकट नहीं देते, पैसे जेब में डाल लेते हैं।”
विभाग की मिलीभगत: क्यों नहीं होती कार्रवाई?
रोजाना का खेल:
सूत्रों के मुताबिक, फाउंड्री डिपो में 70% से ज्यादा परिचालक अवैध वसूली करते हैं। प्रति बस रोज 500-1000 रुपये की काली कमाई!
ए.आर.एम. की भूमिका संदिग्ध:
शिकायत के बावजूद सिर्फ टिकट जारी कर मामला रफा-दफा। निलंबन, एफआईआर या जांच का कोई जिक्र नहीं। क्या ए.आर.एम. को ऊपरी कमाई का हिस्सा मिलता है?
निगम स्तर पर भ्रष्टाचार का नेक्सस:
UPSRTC के आला अफसरों तक पहुंचती है शिकायतें, लेकिन फाइलें दब जाती हैं। पिछले साल आगरा में 50+ ऐसे मामले सामने आए, लेकिन एक भी कर्मचारी सजा नहीं पाया।
यात्रियों की गुहार: “हम टैक्स देते हैं, लेकिन सेवा के बदले लूट। सीसीटीवी लगाओ, जीपीएस ट्रैकिंग सख्त करो, लेकिन निगम सोता रहता है!”

अब क्या? जनता का सवाल – कब टूटेगा भ्रष्टाचार का चक्र?
ए.आर.एम. फाउंड्री डिपो से पूछा गया, लेकिन कोई जवाब नहीं। निगम मुख्यालय लखनऊ में भी खामोशी। क्या परिवहन मंत्री योगी सरकार के सामने ये रिपोर्ट रखेंगे? या फिर चंद्रेश जैसे भ्रष्टाचारी खुले घूमेंगे?
जनता की मांग:
- चंद्रेश कुमार का तत्काल निलंबन और एफआईआर।
- सभी बसों में डिजिटल लगेज स्केल और ऑनलाइन टिकटिंग।
- स्वतंत्र जांच कमेटी गठन।
- भ्रष्ट अफसरों पर कार्रवाई।
ये सिर्फ एक मामला नहीं, UPSRTC की सड़ती व्यवस्था का आईना है। अगर आप भी शिकार हुए हैं, तो कमेंट करें, शेयर करें – आवाज उठाओ, बदलाव लाओ!
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