आगरा: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ दलित नेता, श्रम प्रकोष्ठ के क्षेत्रीय संयोजक और संगठन के समर्पित कार्यकर्ता ओम प्रकाश सागर का देर रात करीब 1 बजे हृदयाघात से आकस्मिक निधन हो गया। वे लगभग 68 वर्ष के थे और पूरी तरह स्वस्थ बताए जा रहे थे। उनके अचानक चले जाने की खबर से भाजपा संगठन के साथ-साथ पूरे सामाजिक और राजनीतिक जगत में शोक की लहर दौड़ गई।
ओम प्रकाश सागर भाजपा के उन चुनिंदा दलित नेताओं में से एक थे, जिन्होंने उस दौर में पार्टी को मजबूती प्रदान की जब संगठन में दलित नेतृत्व बेहद सीमित था। कठिन परिस्थितियों में उन्होंने पार्टी का झंडा बुलंद किया और जमीनी स्तर पर लंबे समय तक संगठन को मजबूत बनाने का काम किया। वर्षों तक विभिन्न दायित्वों का निर्वहन करते हुए वे पार्टी कार्यक्रमों में सक्रिय रहे। उनके सरल स्वभाव, स्पष्ट विचार और संगठन के प्रति अटूट निष्ठा के कारण कार्यकर्ताओं के बीच वे बेहद लोकप्रिय थे।
वर्ष 1991 में भाजपा ने उन्हें फिरोजाबाद सुरक्षित लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया था। उस समय चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों को देखते हुए उन्होंने विनम्रता से प्रस्ताव ठुकरा दिया और कहा, “क्यों मरवाना चाहते हो?” बाद में पार्टी ने प्रभुदयाल कठेरिया को प्रत्याशी बनाया, जो राम लहर में विजयी हुए। इस अवसर को छोड़ने का मलाल ओम प्रकाश सागर को जीवनभर रहा, जिसकी चर्चा वे निकट सहयोगियों से अक्सर करते थे।
निधन की सूचना फैलते ही भाजपा कार्यकर्ता और नेता बड़ी संख्या में उनके नौबस्ता स्थित आवास पर पहुंच गए। हर चेहरा गमगीन था और वातावरण शोकाकुल हो गया। वरिष्ठ नेताओं के अलावा सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने भी श्रद्धांजलि अर्पित की।
स्वर्गीय ओम प्रकाश सागर की शव यात्रा दोपहर 12 बजे उनके आवास से मलिका चबूतरा, शाहगंज के लिए रवाना हुई। अंतिम यात्रा में भारी संख्या में लोग शामिल हुए। गमगीन माहौल में उनका अंतिम संस्कार संपन्न हुआ। उपस्थित जनसमूह ने उन्हें समर्पित कार्यकर्ता, सच्चे समाजसेवी और संघर्षशील नेता के रूप में याद किया।
भाजपा कार्यकर्ताओं का कहना है कि ओम प्रकाश सागर का निधन संगठन के लिए अपूरणीय क्षति है। उनका पूरा जीवन संघर्ष, त्याग और निष्ठा का प्रतीक रहा, जिसे पार्टी और समाज सदैव स्मरण करेगा।

