आगरा: जिले के बहुचर्चित बैंक मैनेजर सचिन उपाध्याय हत्या कांड में मंगलवार को एडीजे-17 नितिन कुमार ठाकुर की अदालत ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। अदालत ने कलेक्ट्रेट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष बिजेंद्र रावत को सबूत नष्ट करने के आरोप में सात वर्ष की कैद और उनकी पुत्री प्रियंका उर्फ मोना तथा पुत्र कृष्णा रावत को हत्या के आरोप में आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
कोर्ट में नाटकीय घटनाक्रम
फैसला सुनाए जाने के दौरान मृतक की पत्नी कोर्ट में मौजूद थीं। जैसे ही तीनों आरोपियों को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई गई, कोर्ट रूम में सन्नाटा छा गया। आदेश पर हस्ताक्षर करवाने के दौरान प्रियंका रावत ने हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। अदालत और उनके पिता बिजेंद्र रावत ने उन्हें समझाने की कोशिश की, लेकिन प्रियंका अड़ी रहीं। इस पर न्यायाधीश नितिन कुमार ठाकुर ने सख्त लहजे में कहा, “हस्ताक्षर नहीं करना चाहती तो मत करो, भेज दो सबको जेल।”
दोषियों को जेल
अदालत ने तीनों दोषियों को न्यायिक अभिरक्षा में लेकर जेल भेजने का आदेश दिया। कोर्ट से बाहर निकलते ही यह घटना पूरे परिसर में चर्चा का विषय बन गई। स्थानीय लोगों और वकीलों के बीच इस मामले को लेकर तरह-तरह की बातें हो रही हैं।
मामले का विवरण
सचिन उपाध्याय हत्या कांड ने शहर में काफी सुर्खियां बटोरी थीं। इस मामले में बिजेंद्र रावत पर सबूत नष्ट करने और उनकी पुत्री प्रियंका व पुत्र कृष्णा पर हत्या का आरोप था। लंबी सुनवाई के बाद अदालत ने इस मामले में यह ऐतिहासिक फैसला सुनाया।