आगरा। देशभर में कोडीन सप्लाई नेटवर्क के कथित मास्टरमाइंड देवेन्द्र आहूजा उर्फ़ चिंटू को त्रिपुरा क्राइम ब्रांच द्वारा अगरतल्ला मुख्यालय तलब किए जाने के बाद आगरा एक बार फिर देश के सबसे बड़े ड्रग्स सिंडीकेट के केंद्र के रूप में सुर्खियों में है। इसी बैकड्राप में शुक्रवार को प्रदेश की औषधि आयुक्त डॉ. रोशन जैकब के नेतृत्व में मुख्यालय की विशेषज्ञ टीम ने फव्वारा दवा बाजार में हाई-इंटेंसिटी इन्वेस्टिगेटिव ऑपरेशन को अंजाम दिया।
15 फर्मों पर धावा, दो वर्षों का पूरा रिकॉर्ड जब्त
अबाट कंपनी द्वारा निर्मित वही कोडीन सिरप फैंसीडिल, जिसे लेकर देशभर में हंगामा मचा है, से जुड़े 15 मेडिकल फर्मों पर एक साथ तलाशी अभियान चलाया गया। इन फर्मों पर संचालन, नारकोटिक दवाओं की खरीद–फरोख्त, बिलिंग सिस्टम और डिजिटल फाइलिंग का दो साल का पूरा डेटा जब्त किया गया। शुरुआती बिलिंग जांच में कोई विसंगति नहीं मिली है, पर एजेंसियां नेटवर्क कनेक्टिविटी और सप्लाई चेन्स की गहराई से छानबीन कर रही हैं।
छापे में शामिल प्रमुख फर्में
छापे में एपी फार्मा, राजधानी ड्रग हाउस, मन्नू फार्मा, एचएमजी ड्रग हाउस, माधव फार्मा, महेश फार्मा, विजय मेडिकल एजेंसी, रजत मेडिकल स्टोर, रश्मि मेडिकल स्टोर आदि शामिल रहीं। टीम ने यहां कंप्यूटर, हार्ड डिस्क, बिल बुक तक खंगाले। ऑपरेशन की शैली ने साफ किया कि यह कार्रवाई सिर्फ रूटीन निरीक्षण नहीं, बल्कि ड्रग्स सप्लाई चेन की मैपिंग और डिजिटल फॉरेंसिक एनालिसिस है। छापा टीम कंप्यूटर सिस्टम, हार्ड डिस्क, मैनुअल लेजर, बिल बुक, क्लोन किया गया डिजिटल डेटा सब को कब्जे में लेकर विस्तृत अध्ययन के लिए मुख्यालय भेज चुकी हैं। सूत्रों का कहना है कि जिन फर्मों को निशाना बनाया गया, उनके रिकॉर्ड में कोडीन सिरप या अन्य नारकोटिक दवाओं की संदिग्ध ट्रेडिंग लिंक दिखे थे।
मेडीजोन मेडिकोज पर शाम की बड़ी रेड
मारुति प्लाज़ा (कासमास मॉल के सामने) स्थित मेडीजोन मेडिकोज एंड डिस्ट्रीब्यूटर पर शाम होते-होते कार्रवाई और बढ़ाई गई। यहां से हार्ड डिस्क का डिजिटल क्लोन, संदिग्ध बैच नंबरों की सैंपलिंग, संपूर्ण बिलिंग सिस्टम का बैकअप जब्त किया गया। यह जांच अब पूर्णतः डिजिटल फॉरेंसिक मोड में शिफ्ट हो चुकी है।
5,000 की नौकरी से करोड़ों की ड्रग्स ट्रेडिंग तक
चिंटू आहूजा, जिसे एक दशक पहले तक मामूली कर्मचारी के रूप में जाना जाता था। वह दवा बाजार में एक समय मात्र 5000 रुपये महीने पर नौकरी करता था, पर आज वह करोड़ों के अवैध ड्रग्स रैकेट का बड़ा नाम माना जाता है। 2022 में गिरफ्तारी के बाद नेटवर्क बिखरता दिखा था, लेकिन हाल में त्रिपुरा क्राइम ब्रांच की पूछताछ ने पूरी एजेंसियों को सतर्क कर दिया है। खुफिया इनपुट बताते हैं कि उसका पुराना नेटवर्क फिर सक्रिय होने लगा है।
वाराणसी–लखनऊ लिंक
जांच में लखनऊ के दीपक मनवानी, अमित सिंह टाटा, शुभम जायसवाल और बर्खास्त एसटीएफ सिपाही आलोक सिंह के नाम भी सामने आए हैं। अमित सिंह टाटा और आलोक सिंह दोनों को पुलिस जेल भेज चुकी है। एजेंसियों का अनुमान है कि यह 2,000 करोड़ रुपये से अधिक का अवैध कोडीन कारोबार है, जिसमें उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल, नॉर्थ-ईस्ट की सप्लाई चेन शामिल है।
फर्जी फर्मों का पुराना खेल
साल 2021 में औषधि विभाग ने सात फर्जी फर्मों के लाइसेंस निरस्त किए थे। इनके जांच में फर्जी पते, फर्जी अनुभव प्रमाणपत्र, किसी भी प्रकार का वास्तविक दवा कारोबार नहीं मिले थे। उस समय जांच अधिकारी नरेश मोहन ने पाया था कि ये फर्में सिर्फ बिलिंग शेल्टर के लिए बनाई गई थीं, ताकि असली ड्रग्स सप्लाई को छिपाया जा सके।
निरस्त फर्मों की सूची
जांच अधिकारी की संस्तुति पर तोमर डिस्ट्रीब्यूटर्स, जय फार्मा, मां विंध्यवासिनी फार्मा, श्रीकृष्णा फार्मेसी एंड सर्जिकल, वीआर इंटरप्राइजेज, चाहर ड्रग एजेंसी के लाइसेंस निरस्त किए गए थे। इनके खिलाफ 4 साल से एफआईआर की प्रक्रिया लंबित है, जो इस नेटवर्क की गहरी पैठ का संकेत देती है।





