झांसी: माफिया अतीक अहमद के बेटे अली अहमद को नैनी सेंट्रल जेल से 1 अक्टूबर को झांसी जिला जेल में शिफ्ट किए जाने के बाद जेल प्रशासन पूरी तरह सतर्क हो गया है। अली से मुलाकात करने वालों को लेकर पहले ही विवाद हो चुका है, इसलिए कोई भी रियायत नहीं दी जा रही। अली के स्थानांतरण का मुख्य कारण जेल में लगातार आने वाली संदिग्ध मुलाकातें बताई जा रही हैं। जेल पहुंचने के तुरंत बाद अली ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से सुरक्षा की गुहार लगाई, लेकिन प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया है।

स्थानांतरण का पूरा विवरण: नकदी बरामदगी और संदिग्ध मुलाकातें

अली अहमद को रंगदारी मामले में 30 जुलाई 2022 को नैनी जेल में बंद किया गया था, जहां वह तीन साल दो माह तक रहा। 24 फरवरी 2023 को राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल की हत्या के बाद कुछ महीनों तक कोई मुलाकात नहीं हुई। उसके बाद उसके अधिवक्ता ही मिलने आते थे, और उनकी मुलाकात जेल अधिकारियों व एलआईयू (लोकल इंटेलिजेंस यूनिट) की मौजूदगी में कराई जाती थी। जुलाई से सितंबर 2025 के बीच अली का छोटा भाई अबान सात बार मिलने पहुंचा, जिसमें आखिरी मुलाकात 17 सितंबर को हुई।

17 जून 2025 को अली की बैरक से डीआईजी जेल राजेश श्रीवास्तव ने नकदी (लगभग 1100 रुपये) बरामद की, जिसके बाद ट्रांसफर के कयास लगने लगे। सूत्रों के अनुसार, नकदी बरामदगी के बाद जेल प्रशासन ने अली के लिए आने वाले पार्सल पर रोक लगा दी। इसी कारण अबान ने मुलाकातें बढ़ा दीं। प्रशासनिक आधार पर 1 अक्टूबर को अली को 420 किमी दूर झांसी जेल भेजा गया, जहां 20 सुरक्षाकर्मियों के साथ प्रिजन वैन में लाया गया। अली को हाई-सिक्योरिटी बैरक में रखा गया है।

जेल प्रशासन की सतर्कता: कोई रियायत नहीं, मैनुअल के अनुसार ही मुलाकात

झांसी जेल पहुंचने के बाद अली से कोई मुलाकात नहीं हुई है। वरिष्ठ जेल अधीक्षक विजय विक्रम सिंह ने बताया कि जेल मैनुअल के अनुसार विचाराधीन कैदी को सप्ताह में तीन मुलाकातें मिल सकती हैं, लेकिन अली की हर मुलाकात एलआईयू व अधिकारियों की निगरानी में होगी। जानकारों का कहना है कि उमेश पाल हत्याकांड में अली पर साजिश रचने का आरोप है, इसलिए संदिग्ध विजिटर्स पर नजर रखी जा रही है। अली के छोटे भाई असद और सहयोगी घुलाम की 13 अप्रैल 2023 को झांसी में ही एनकाउंटर हुई थी, जो स्थानांतरण को और संवेदनशील बनाती है।

ट्रांसफर से रात पहले अली बेचैन रहा और जेल पहुंचते ही सीएम से अपील की, “योगी जी बचा लीजिए, अब और न सताया जाए। जो होना था सो हो गया।” लेकिन प्रशासन ने साफ कहा कि हाई-प्रोफाइल कैदियों के लिए सख्ती जरूरी है। अप्रैल-मई 2025 में अतीक के अन्य सहयोगियों को भी अन्य जेलों में शिफ्ट किया गया था।

प्रभाव और भविष्य: माफिया परिवार पर लगाम

यह ट्रांसफर योगी सरकार की माफिया विरोधी नीति का हिस्सा माना जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि जेलों में विशेषाधिकारों पर रोक से अपराधी गतिविधियां कम होंगी। अली पर प्रॉपर्टी डीलर से 5 करोड़ रंगदारी मांगने का केस है, और उमेश पाल हत्याकांड में भी नाम है। परिवार के अन्य सदस्यों (अतीक, अशरफ, उमर, असद) की मौत के बाद अली अकेला बचा है।

  • रिपोर्ट – नेहा श्रीवास
Exit mobile version