झांसी: जिले के गरौठा थाना क्षेत्र में कुल्हाड़ी से जानलेवा हमले के मामले में पुलिस की लापरवाही सामने आने के बाद एसएसपी बीबी जीटीएस मूर्ति ने सख्त कार्रवाई की है। थाना प्रभारी बलराज शाही और विवेचक रविंद्र कुमार को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया। दोनों के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश भी जारी कर दिए गए हैं। यह कार्रवाई पीड़ित पक्ष की शिकायत पर की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि मेडिकल के बाद भी धाराएं नहीं बढ़ाई गईं।

घटना का पूरा विवरण

गरौठा थाना अंतर्गत कुछ दिनों पहले दो गुटों के बीच पुरानी रंजिश के चलते जमकर मारपीट हो गई। इस झड़प में एक पक्ष के युवक को कुल्हाड़ी से गंभीर चोटें आईं, जिससे उसकी जान पर बन गई। घायल युवक को तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया, जहां डॉक्टरों ने मेडिकल रिपोर्ट में गंभीर चोटों का उल्लेख किया। लेकिन पुलिस ने मेडिकल रिपोर्ट मिलने के बावजूद मामला दर्ज करने में ढिलाई बरती और हत्या या गंभीर चोट की धाराएं (जैसे आईपीसी 307) नहीं जोड़ीं। पीड़ित पक्ष ने एसएसपी कार्यालय पहुंचकर शिकायत दर्ज कराई, जिसमें थाना प्रभारी और विवेचक पर पक्षपातपूर्ण रवैया और लापरवाही का आरोप लगाया।

एसएसपी मूर्ति ने शिकायत की जांच कराई, जिसमें लापरवाही की पुष्टि हुई। उन्होंने कहा, “पुलिस का कर्तव्य है कि अपराधियों को सख्ती से पकड़ा जाए और पीड़ितों को न्याय मिले। इस मामले में प्रारंभिक जांच में लापरवाही साबित हुई है, इसलिए निलंबन और जांच जरूरी थी।”

पुलिस की लापरवाही और कार्रवाई

घटना के बाद थाना प्रभारी बलराज शाही ने केवल मामूली धाराओं (जैसे 323-मारपीट) के तहत केस दर्ज किया, जबकि कुल्हाड़ी हमले की प्रकृति को देखते हुए गंभीर धाराएं जोड़नी चाहिए थीं। विवेचक रविंद्र कुमार ने भी जांच में सुस्ती बरती। निलंबन के बाद थाने में नया प्रभारी तैनात करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। एसएसपी ने स्पष्ट किया कि जांच पूरी होने पर दोषी पाए जाने पर आगे की कार्रवाई होगी, जिसमें बर्खास्तगी भी शामिल हो सकती है।

यह कार्रवाई झांसी पुलिस में अनुशासन को मजबूत करने की दिशा में एक कदम है। पिछले महीने भी इसी थाना क्षेत्र में एक अन्य मारपीट मामले में पुलिस पर लापरवाही के आरोप लगे थे, जिसके बाद प्रशासन ने सतर्कता बरतने के निर्देश दिए थे।

इलाके में असर और मांगें

गरौठा क्षेत्र के ग्रामीण इस कार्रवाई से संतुष्ट हैं, लेकिन उन्होंने पुलिस की गश्त बढ़ाने और पुरानी रंजिशों को सुलझाने के लिए मध्यस्थता की मांग की है। पीड़ित युवक के परिवार ने कहा, “न्याय मिला तो हमारी जान बचेगी। पुलिस को पक्षपात नहीं करना चाहिए।” विशेषज्ञों का कहना है कि ग्रामीण इलाकों में ऐसे विवादों को रोकने के लिए सामुदायिक पंचायतों की भूमिका बढ़ानी चाहिए।

  • रिपोर्ट – नेहा श्रीवास
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