आगरा: उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में शनिवार सुबह एक दर्दनाक हादसा हो गया, जिसने गरीब परिवार की जिंदगी को संकट में डाल दिया। थाना शाहगंज क्षेत्र की राधे वाली गली नंबर 10 में एक जर्जर मकान की आरसीसी (रेन्फोर्स्ड सीमेंट कंक्रीट) सीढ़ियां अचानक भरभरा कर गिर गईं, जिससे घर में अफरा-तफरी मच गई। एक ही परिवार के तीन सदस्य मलबे में दब गए, जिनमें मां और बेटे की हालत बेहद नाजुक बताई जा रही है। स्थानीय लोगों ने साहस दिखाते हुए तुरंत रेस्क्यू किया, लेकिन यह घटना शहर के पुराने इलाकों में जर्जर भवनों की समस्या को फिर से उजागर कर रही है।
घटना का पूरा विवरण: सुबह की शांति टूटते ही तबाही
शनिवार सुबह करीब 8 बजे यह हादसा हुआ। राजेंद्र माहौर (उम्र करीब 50 वर्ष), जो मजदूरी करके परिवार का पालन-पोषण करते हैं, के छोटे से घर में सब कुछ सामान्य चल रहा था। लेकिन अचानक मकान की पुरानी RCC सीढ़ियां ढह गईं, जो सीधे घर के अंदरूनी हिस्से पर गिरीं। मलबे में राजेंद्र की पत्नी मीरा (45 वर्ष), पुत्र रामू (25 वर्ष) और पुत्रवधु कमलेश (22 वर्ष) दब गए। रामू मजदूरी में पिता का हाथ बंटाते हैं, जबकि कमलेश घरेलू कामकाज संभालती हैं।
पड़ोसियों ने चीख-पुकार सुनते ही दौड़ लगाई और हाथों से मलबा हटाने का काम शुरू कर दिया। किसी तरह तीनों को बाहर निकाला गया, लेकिन वे गंभीर रूप से घायल थे। तुरंत उन्हें आगरा के एस.एन. मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों के अनुसार, मीरा को सिर और छाती में गंभीर चोटें आई हैं, जबकि रामू को पैरों में फ्रैक्चर और आंतरिक रक्तस्राव हो रहा है। दोनों को आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया है। कमलेश की हालत स्थिर है, लेकिन वह भी निगरानी में है। राजेंद्र ने बताया, “हमारा घर पुराना है, लेकिन कभी सोचा नहीं था कि यह दिन आएगा। अब परिवार बिखर गया है।”
प्रशासनिक कार्रवाई: राहत रिपोर्ट तैयार, सहायता की मांग
हादसे की सूचना मिलते ही थाना शाहगंज पुलिस, नायब तहसीलदार विमल कुमार और क्षेत्रीय लेखपाल मौके पर पहुंचे। उन्होंने मलबे को साफ करवाया और मकान की जर्जर स्थिति का जायजा लिया। नायब तहसीलदार ने तत्काल राहत के लिए रिपोर्ट तैयार कर दी है, जिसमें परिवार की आर्थिक स्थिति का जिक्र है। राजस्व विभाग से प्रारंभिक सहायता राशि जारी करने की सिफारिश की गई है।
क्षेत्रीय पार्षद राकेश कन्नौजिया ने बताया, “राजेंद्र का परिवार बेहद गरीब है। वे किराए के मकान में नहीं रह सकते, और इस हादसे ने उन्हें बेघर कर दिया। प्रशासन से जल्द आर्थिक मदद, अस्थायी आवास और मरम्मत के लिए फंड की मांग की है।” पार्षद ने जिलाधिकारी को पत्र भी लिखा है।
स्थानीय लोगों का आक्रोश: जर्जर मकानों पर लगाम लगाने की मांग
राधे वाली गली और आसपास के इलाके में कई पुराने मकान जर्जर अवस्था में हैं। स्थानीय निवासियों ने आरोप लगाया कि बारिश और रखरखाव की कमी से ये भवन खतरे का सबब बन चुके हैं। एक पड़ोसी ने कहा, “यहां कई घर 50-60 साल पुराने हैं। प्रशासन को समय रहते सर्वे कर मरम्मत या ध्वस्तीकरण कराना चाहिए। वरना ऐसे हादसे रोज होंगे।” लोगों ने मांग की है:
- जर्जर भवनों की सूची तैयार कर तत्काल कार्रवाई हो।
- प्रभावित परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर उपलब्ध कराया जाए।
- इलाके में नियमित निरीक्षण और जागरूकता अभियान चलाया जाए।
- घायलों के इलाज के लिए सरकारी फंड से तुरंत मदद मिले।
आगरा में जर्जर भवनों का बढ़ता खतरा: पुरानी घटनाओं से सबक
यह हादसा आगरा में बार-बार हो रहे दुर्घटनाओं की याद दिलाता है। सितंबर 2025 में ही शाहगंज में एक मकान का छज्जा गिरने से एक ही परिवार के चार सदस्य (आफताब, उनकी पत्नी और दो बच्चे) मलबे में दब गए थे, सभी गंभीर रूप से घायल हुए। अप्रैल 2025 में न्यू आगरा क्षेत्र में जर्जर मकान गिरने से नौ लोग दबे, जिनमें दो की मौत हो गई। अगस्त 2023 में भी छज्जा गिरने से पांच घायल हुए। इन घटनाओं से साफ है कि शहर के घनी आबादी वाले इलाकों में जर्जर संरचनाओं पर तत्काल ध्यान देना जरूरी है। विशेषज्ञों का कहना है कि भूकंप प्रतिरोधी मानकों का पालन न होने से खतरा बढ़ रहा है।






