नई दिल्ली: ग्रामीण भारत को मजबूत बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ‘विकसित भारत-रोजगार एवं आजीविका मिशन (ग्रामीण) गारंटी विधेयक, 2025’ (VB-G RAM G बिल) को मंजूरी दे दी है। इस नए अधिनियम के साथ ही 2005 का महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) अब इतिहास बन गया है। नया कानून ग्रामीण परिवारों को प्रति वित्तीय वर्ष 125 दिन का वैधानिक मजदूरी रोजगार गारंटी प्रदान करेगा, जो पहले 100 दिन था।
सरकार का दावा है कि यह कानून ‘विकसित भारत @2047’ विजन से जुड़ा है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भर बनाने के साथ टिकाऊ बुनियादी ढांचे पर फोकस करेगा। सभी विकास कार्यों को एक राष्ट्रीय ग्रामीण इन्फ्रास्ट्रक्चर स्टैक में शामिल किया जाएगा, जिससे परियोजनाएं डिजिटल प्लेटफॉर्म पर संचालित होंगी।
किसानों-मजदूरों दोनों को फायदा:
- मजदूरों को सालाना 125 दिन का सुनिश्चित रोजगार।
- राज्यों को अधिकार कि बुवाई-कटाई सीजन को देखते हुए अधिकतम 60 दिन का कार्य-विराम तय कर सकें, ताकि मजदूर खेतों में काम कर अतिरिक्त कमाई कर सकें।
ग्रामीण विकास मंत्रालय के अनुसार, इस कानून से पुरानी व्यवस्था की कमियां दूर होंगी और समृद्ध ग्रामीण भारत का लक्ष्य हासिल होगा। विधेयक संसद के शीतकालीन सत्र में विपक्ष के विरोध के बीच पारित हुआ था।





