लखनऊ। बसपा सुप्रीमो मायावती ने संसद में चुनाव सुधारों पर हो रही चर्चा के बीच तीन प्रमुख सुधारों पर जोर देते हुए कहा कि चुनाव प्रक्रिया को पारदर्शी व सुचारु बनाने के लिए वर्तमान व्यवस्थाओं में महत्वपूर्ण बदलाव आवश्यक हैं। उन्होंने कहा कि SIR प्रक्रिया का बीएसपी विरोध नहीं करती, लेकिन मतदाता सूची में नाम जोड़ने की तय समय-सीमा बेहद कम होने से BLO पर अत्यधिक दबाव रहता है। इसी दबाव में कई BLO की मौत के मामले भी सामने आ चुके हैं। ऐसे राज्यों में, जहां निकट भविष्य में चुनाव नहीं हैं, BLO को पर्याप्त समय मिलना चाहिए।
मायावती ने कहा कि उत्तर प्रदेश में 15.40 करोड़ से अधिक मतदाता हैं। जल्दबाज़ी में SIR पूरा करने की स्थिति में लाखों वैध मतदाताओं—खासतौर पर गरीब और बाहर काम करने वाले लोग—सूची से बाहर रह जाएंगे। इससे वे बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर द्वारा दिए गए संवैधानिक मतदान अधिकार से वंचित हो जाएंगे, जो अनुचित है। इसलिए SIR की समय-सीमा बढ़ाई जानी चाहिए।
सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले प्रत्याशियों को अपने हलफ़नामे में पूरा विवरण देना और स्थानीय अखबारों में प्रकाशित कराना अनिवार्य किया गया है। साथ ही राजनीतिक दलों पर भी यह ज़िम्मेदारी डाली गई है कि वे अपने प्रत्याशी के आपराधिक इतिहास को राष्ट्रीय अखबारों में प्रकाशित करें। इस पर आपत्ति जताते हुए मायावती ने कहा कि कई बार प्रत्याशी अपना आपराधिक रिकॉर्ड पार्टी से छिपा लेते हैं, और स्क्रूटनी के दौरान ही इसका पता चलता है, जिससे अनावश्यक रूप से पार्टी पर जिम्मेदारी आ जाती है। बीएसपी का सुझाव है कि आपराधिक पृष्ठभूमि से जुड़ी सभी औपचारिकताएं प्रत्याशी स्वयं पूरी करें और यदि वे कोई तथ्य छुपाते हैं, तो पूरी कानूनी जिम्मेदारी भी उन्हीं पर होनी चाहिए, पार्टी पर नहीं।
EVM और VVPAT पर लगातार उठ रही शंकाओं का जिक्र करते हुए मायावती ने कहा कि चुनाव प्रक्रिया पर पूर्ण विश्वास बहाल करने के लिए बैलेट पेपर की व्यवस्था फिर से लागू की जाए। यदि तत्काल बैलेट पेपर संभव न हो, तो कम से कम सभी बूथों पर VVPAT पर्चियों की 100% गिनती कर EVM मतों से मिलान किया जाए। आयोग द्वारा समय लगने का जो तर्क दिया जाता है, उसे उन्होंने अनुचित बताया।
उन्होंने कहा कि मतदान प्रक्रिया महीनों चल सकती है, तो गिनती में कुछ घंटे अधिक लगने से कोई फर्क नहीं पड़ता। यह कदम जनता के विश्वास को मजबूत करेगा और चुनावी प्रक्रिया पर उठते संदेहों का अंत करेगा।
मायावती ने स्पष्ट कहा कि पारदर्शी और विश्वसनीय चुनाव प्रणाली ही लोकतंत्र को मजबूत कर सकती है और देशहित में आवश्यक सुधारों को तुरंत लागू किया जाना चाहिए।





