जकार्ता: इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप पर भयंकर बाढ़ और भूस्खलन से उत्पन्न प्राकृतिक आपदा ने अब तक 442 लोगों की जान ले ली है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन एजेंसी (बीएनपीबी) के प्रवक्ता ने रविवार शाम को यह आंकड़ा जारी किया, जो शनिवार के 303 से काफी अधिक है। उत्तर सुमात्रा में 216, अचे प्रांत में 96 और पश्चिम सुमात्रा में 129 मौतें दर्ज की गई हैं। इसके अलावा, कम से कम 279 लोग अभी भी लापता बताए जा रहे हैं, जबकि 500 से अधिक घायल हो चुके हैं।
यह आपदा मलक्का स्ट्रेट क्षेत्र में एक दुर्लभ उष्णकटिबंधीय चक्रवात ‘सेनयार’ से उपजी है, जिसने पिछले एक सप्ताह से दक्षिण-पूर्व एशिया के बड़े हिस्से को प्रभावित किया है। मलेशिया और थाईलैंड में भी बाढ़ ने दर्जनों मौतें की हैं, लेकिन सुमात्रा सबसे अधिक प्रभावित है। मौसम विभाग के अनुसार, मानसून की भारी बारिश ने नदियों को उफान पर ला दिया, जिससे पहाड़ी गांवों में भूस्खलन और फ्लैश फ्लड जैसी घटनाएं हुईं।
प्रभावित क्षेत्रों में तबाही का मंजर
उत्तर सुमात्रा के मेदान और नॉर्थ तापानुली जैसे जिलों में सैकड़ों घर जलमग्न हो चुके हैं। एपी की रिपोर्ट के मुताबिक, ड्रोन से ली गई तस्वीरों में मेदान का एक पूरा इलाका पानी में डूबा नजर आ रहा है। अचे प्रांत के बिरुन में एक पुल ढह गया, जिससे राहत सामग्री पहुंचाना और भी कठिन हो गया। पश्चिम सुमात्रा के पदांग के पास नदियों के किनारे बसे गांवों में भूस्खलन ने सड़कों को काट दिया है, और कई जगहों पर इंटरनेट व बिजली की आपूर्ति अभी भी बाधित है।
बचाव दल को भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। भूस्खलन से सड़कें अवरुद्ध हो गई हैं, और भारी मशीनरी की कमी के कारण पैदल ही शवों को निकाला जा रहा है। बीएनपीबी प्रमुख सुहरयांतो ने बताया कि नॉर्थ तापानुली से सिबोलगा तक की सड़क तीसरे दिन भी बंद है, जहां दर्जनों लोग फंस गए हैं। कुछ प्रभावित इलाकों में भूखे ग्रामीणों ने राहत सामग्री के गोदामों पर हमला कर दिया।
राहत और बचाव कार्य: हेलीकॉप्टर से सहायता
सरकार ने राहत प्रयासों को तेज कर दिया है। उत्तरी सुमात्रा में हेलीकॉप्टरों से भोजन, दवाइयां और पानी पहुंचाया जा रहा है। सेना की तैनाती बढ़ा दी गई है, और रविवार को अतिरिक्त सैनिक तैनात किए जाएंगे। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, ऑस्ट्रेलिया और संयुक्त राष्ट्र ने सहायता का वादा किया है, लेकिन अभी तक कोई बड़ी टीम नहीं पहुंची।
बीएनपीबी के एक अधिकारी ने कहा, “मौसम सुधरने से शव बरामदगी में तेजी आई है, लेकिन लापता लोगों की तलाश जारी है। संख्या बढ़ सकती है।” विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं, और सुमात्रा जैसे द्वीपों पर बाढ़ का खतरा हमेशा बना रहता है।
पीड़ितों की कहानी: आंसुओं की बाढ़
पदांग के एक निवासी, रेजा सैफुल्लाह ने एपी को बताया, “हमारा पूरा गांव बह गया। बच्चे लापता हैं, और मदद कब पहुंचेगी, कोई नहीं जानता।” सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में फंसे लोगों को पानी में तैरते देखा जा सकता है।
यह आपदा दक्षिण-पूर्व एशिया की सबसे घातक प्राकृतिक घटनाओं में से एक बन चुकी है। बीबीसी के अनुसार, पूरे क्षेत्र में 500 से अधिक मौतें हो चुकी हैं। सरकार ने प्रभावित परिवारों के लिए मुआवजे की घोषणा की है, लेकिन पुनर्वास की चुनौती बाकी है।





