रामपुर: समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता आजम खान ने शुक्रवार को एक बार फिर अपनी ‘राजनीतिक कैदी’ वाली छवि को मजबूत करते हुए जेल प्रशासन को हिलाकर रख दिया। रामपुर जेल के गेट पर कैदी वाहन को देखते ही भड़क उठे आजम खान—उन्होंने न सिर्फ वाहन में चढ़ने से इनकार कर दिया, बल्कि साफ लहजे में कहा, “मैं कोई साधारण कैदी नहीं, राजनीतिक कैदी हूं। बोलेरो गाड़ी उपलब्ध कराओ, वरना वापस बैरक चला जाऊंगा!” यह नजारा देख जेल के अफसरों के होश उड़ गए। आखिरकार, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ही उनकी कोर्ट पेशी हुई, जहां एक पुराने केस में उन्हें बड़ी राहत मिली। लेकिन सवाल यह है—क्या यह ‘इनकार’ आजम की रणनीति का हिस्सा है, या जेल की सख्ती के खिलाफ एक नया विद्रोह?
घटना तब घटी जब आजम खान को रामपुर की मंडलीय अदालत में पेश होने के लिए तैयार किया जा रहा था। सुबह के करीब 10 बजे जेल गेट पर कैदी वाहन खड़ा था, लेकिन आजम ने एक नजर में ही इसे ठुकरा दिया। गुस्से में उन्होंने जेल स्टाफ को ललकारा, “मुझे अपमानित करने की कोशिश मत करो। मैंने कभी कोई अपराध नहीं किया, सिर्फ राजनीति की है। अगर कैदी वाहन में बिठाओगे तो मैं कोर्ट में ही नहीं जाऊंगा!” यह कहते हुए वे बैरक की ओर लौट पड़े। जेल अधीक्षक और सुरक्षाकर्मियों ने घंटों समझाने की कोशिश की, लेकिन आजम अड़े रहे। अंततः, तकनीक का सहारा लेना पड़ा—वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पेशी कराई गई, जो रामपुर जेल के इतिहास में एक दुर्लभ उदाहरण है।
कोर्ट में सुनवाई के दौरान आजम को एक पुराने विवादास्पद केस में बरी कर दिया गया। मामला साल 2019 का है, जब समाजवादी पार्टी के दिवंगत नेता अमर सिंह के निधन के बाद आजम खान ने एक इंटरव्यू में अमर सिंह की बेटियों पर कथित आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। उस समय यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था, जिसके बाद अमर सिंह के परिवार ने एफआईआर दर्ज कराई थी। अदालत ने सबूतों की कमी का हवाला देते हुए आजम को बरी कर दिया। जज ने फैसले में कहा, “आरोपी के बयान को अपमानजनक मानने के लिए पर्याप्त प्रमाण नहीं मिले।” आजम के वकील ने इसे “न्याय की जीत” बताते हुए कहा कि यह केस शुरू से ही राजनीतिक साजिश था।
आजम खान पिछले दो साल से रामपुर जेल में बंद हैं। उन पर कई आपराधिक मुकदमे चल रहे हैं, जिनमें से कुछ में बरी हो चुके हैं। सपा नेता का दावा है कि ये सभी केस भाजपा सरकार की साजिश हैं, ताकि उन्हें राजनीति से दूर रखा जाए। कैदी वाहन वाले इस विवाद के बाद जेल प्रशासन ने उच्चाधिकारियों को रिपोर्ट भेज दी है। सूत्रों के अनुसार, अगली बार पेशी के लिए विशेष व्यवस्था की जा सकती है, लेकिन यह ‘ड्रामा’ आजम की छवि को और मजबूत कर सकता है। क्या यह घटना उनके समर्थकों में नया जोश भर देगी, या जेल की दीवारें और ऊंची हो जाएंगी? आने वाले दिनों में इसका असर साफ दिखेगा।





