आगरा। त्योहारों और खास मौकों पर ‘गुणवत्ता’ का दावा करने वाले आगरा के प्रसिद्ध बीकानेर स्वीट्स पर एक बार फिर मिलावट के गंभीर आरोप लगे हैं। सिकंदरा निवासी यतीन्द्र यादव की ऑनलाइन शिकायत के बाद खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए ) ने खंदारी स्थित दुकान से लिए गए सैंपलों की रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट में ऐसे खुलासे हुए हैं, जो न सिर्फ उपभोक्ताओं की सेहत के साथ खिलवाड़ दर्शाते हैं बल्कि मिलावटखोरों की हकीकत भी उजागर करते हैं।
यतीन्द्र यादव ने शिकायत में बताया कि उन्होंने ऑनलाइन भुगतान कर बीकानेर स्वीट्स से 1 किलो बूंदी के लड्डू खरीदे थे। लड्डू खाने के बाद पूरे परिवार को उल्टी, सिरदर्द और पेट खराब की समस्या हुई। इस गंभीर शिकायत के बाद एफएसडीए की टीम तुरंत दुकान पर पहुंची और बूंदी लड्डू, घी, बेसन, पनीर सहित कई नमूने जांच के लिए भेजे।
एफएसडीए की रिपोर्ट, साफ, सटीक और चौंकाने वाली
फूड सेफ्टी अधिकारियों के अनुसार जांच रिपोर्ट में बूंदी के लड्डू अशुद्ध, घी अशुद्ध (शुद्ध घी के नाम पर भारी मिलावट), बेसन अधोमानक व असुरक्षित (गुणवत्ता बेहद खराब, सेहत के लिए जोखिम), पनीर – अधोमानक व असुरक्षित (बैक्टीरिया स्तर मानक से अधिक) पाए गए हैं। यह रिपोर्ट न सिर्फ खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2006 का उल्लंघन है बल्कि सीधे-सीधे उपभोक्ताओं की जानलेवा लापरवाही है।
मिलावट का ‘मीठा कारोबार’
एफएसडीए अधिकारियों ने साफ किया कि यह मामला साधारण लापरवाही नहीं बल्कि सिस्टमेटिक मिलावट की ओर इशारा करता है। आगरा जैसे बड़े शहर में नामी प्रतिष्ठान भी यदि अशुद्ध घी, घटिया बेसन और असुरक्षित पनीर बेच रहे हैं, तो यह उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य पर खुला हमला है।
विशेषज्ञों के अनुसार अधोमानक पनीर में बैक्टीरिया तेजी से फैलते हैं। अशुद्ध घी से फूड पॉइजनिंग और लिवर संबंधी खतरे बढ़ते हैं।खराब बेसन में फफूंदी व रासायनिक मिलावट पाई जा सकती है और बूंदी लड्डू में मिलावट बच्चों और बुजुर्गों के लिए विशेष रूप से खतरनाक है। यतीन्द्र यादव के परिवार को हुई तबीयत बिगड़ने की शिकायत भी मिलावट के दुष्प्रभाव से जुड़ी मानी जा रही है।
एफएसडीए की सख्ती, कार्रवाई शुरू, लाइसेंस पर गिर सकती है गाज
अधिकारियों ने बताया कि बीकानेर स्वीट्स के खिलाफ कार्रवाई प्रारंभ कर दी गई है। इसके तहत दुकान पर जुर्माना, लाइसेंस निलंबन या रद्द होना भी संभव है। इस दुकान की आगे भी बार-बार सैंपलिंग की जाएगी। आगरा में मिलावटखोरी पर नकेल कसने के लिए यह कार्रवाई महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि पिछले कुछ वर्षों से प्रतिष्ठित दुकानों पर भी प्रश्नचिह्न लगते रहे हैं।





