मुंबई। ही-मैन ऑफ बॉलीवुड’ के नाम से मशहूर अभिनेता धर्मेंद्र का निधन हो गया है। उन्होंने 89 साल की उम्र में अपने मुंबई स्थित आवास पर अंतिम सांस ली। धर्मेंद्र के निधन की सूचना से न केवल बालीवुड जगत अपितु पूरे देश और दुनिया में उनके प्रशंसक शोक में डूब गये हैं। हालांकि परिवार की ओर से अभी अभिनेता धर्मेंद्र के निधन की अधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है, लेकिन उनके आवास पर परिजनों के साथ ही बालीवुड हस्तियों का जमावड़ा इस बात का संकेत है कि हम सबके प्रिय धर्मेंद्र नहीं रहे।
धर्मेंद्र को पिछले दिनों सांस लेने में दिक्कत हुई थी, तब उन्हें अस्पताल में भर्ती भी होना पड़ा था। कुछ दिन अस्पताल में रहने के बाद उन्हें उनके आवास पर ले आया गया था। घर पर ही मेडिकल सेटअप लगाकर उनका उपचार चल रहा था। आज दोपहर में उनकी तबीयत अचानक से ज्यादा गंभीर होने की सूचनाएं आ रही थीं। इसके बाद परिवार के सभी सदस्यों के उनके आवास पर पहुंचने के बाद ही उनके प्रशंसक आशंकित हो उठे थे। इसके बाद उनके आवास पर सुरक्षा बढ़ा दी गई थी।
धर्मेंद्र : ही-मैन से आयकॉन तकः छह दशक का शानदार फिल्मी सफ़र
भारतीय सिनेमा के इतिहास में यदि किसी अभिनेता ने रोमांस, एक्शन, कॉमेडी और ड्रामा- हर शैली में अपनी अमिट छाप छोड़ी है, तो वह हैं धर्मेंद्र। ‘ही-मैन ऑफ बॉलीवुड’ के नाम से मशहूर धर्मेंद्र का करियर किसी प्रेरक उपन्यास से कम नहीं। पंजाब के संगरूर से मुंबई पहुंचने वाला यह युवा न केवल 300 से ज्यादा फिल्मों में नायक रहा, बल्कि बॉलीवुड के सबसे बड़े परिवारों में से एक का आधार भी बना। उन्होंने 65 साल तक अभिनय किया।
एक संघर्षशील युवक का मुंबई आगमन (1958–1960)
धर्मेंद्र का सितारा तब चमका जब उन्होंने फिल्मफेयर टेलेंट हंट में हिस्सा लेकर फिल्म उद्योग का ध्यान खींचा। साधारण पृष्ठभूमि से आने वाले धर्मेंद्र को शुरुआत में छोटे रोल मिले, लेकिन उनमें जो निखार, आकर्षण और ईमानदारी थी उसने जल्द ही निर्देशकों को प्रभावित किया।
पहला बड़ा ब्रेक और रोमांटिक हीरो की पहचान (1961–1966)
1961 में आई ‘दिल भी तेरा हम भी तेरे’ धर्मेंद्र का पहला मुख्य रोल थी। इसके बाद उन्होंने एक के बाद एक ऐसी फ़िल्में दीं, जिसने उन्हें रोमांटिक हीरो के रूप में स्थापित कर दिया। उनकी ये फिल्में थीं- अनपढ़, बिंदिया चमकेगी, आयना, चित्रलेखा। उनका चेहरा मासूम और अभिनय बेहद नैचुरल, जिससे दर्शक तुरंत जुड़ जाते थे।
एक्शन स्टार का उदय (1966–1975)
धीरे-धीरे धर्मेंद्र ने खुद को केवल रोमांस तक सीमित नहीं रखा। ‘फूल और पत्थर’ (1966) ने उन्हें सुपरस्टार बना दिया। फिर आईं शोले (1975) – वीरू का किरदार आज भी पॉपुलर कल्चर का हिस्सा है। यादों की बारात, शान, चुपके चुपके (कॉमेडी में कमाल) भी उनकी सुपरहिट फिल्में रहीं। धर्मेंद्र बॉलीवुड के पहले ऐसे सितारों में थे जिन्हें परफेक्ट एक्शन हीरो, परफेक्ट रोमांटिक हीरो, परफेक्ट कॉमेडियन तीनों रूपों में पसंद किया गया।
स्वर्णिम युग : 1970–1985 (सुपरस्टार की परिभाषा)
धर्मेंद्र ने जितनी फिल्मों में काम किया, उनमें से अधिकांश सफल रहीं। उनकी जोड़ी हेमा मालिनी, मीना कुमारी, आशा पारेख और शर्मिला टैगोर के साथ खूब चलीं। इस दौर की हिट फिल्में थीं- धरम वीर, प्रतिज्ञा, राजा जानी, शोले, कर्तव्य और नया जमाना आदि। वे उस समय के सबसे अधिक देखे और पसंद किए जाने वाले नायक बन चुके थे।
1985 के बाद : पिता, मार्गदर्शक और करैक्टर रोल्स (1985–2005)
उम्र बढ़ने के साथ धर्मेंद्र ने करैक्टर रोल्स अपनाए। हकीकत, हमला, सत्यमेव जयते में दर्शकों ने ऩये रोल में देखा। धमाल, एक्शन और रफ़्तार में अभी भी कोई कमी नहीं थी। इसी दौरान उनके बेटे सनी देओल और बॉबी देओल इंडस्ट्री में आए और सफल हुए।
नए दौर में धर्मेंद्र (2005–2024)
2005 बाद धर्मेंद्र ने उम्र के साथ-साथ खुद को नए अंदाज़ में ढाला और जॉनी गद्दार (क्राइम ड्रामा), यमला पगला दीवाना सीरीज़ (पंजाबी फ्लेवर वाली कॉमेडी), अपरिचित (महत्वपूर्ण भूमिका), रॉकी और रानी की प्रेम कहानी (2023 — दिल छू लेने वाला अभिनय) जैसी फिल्में दीं। उनकी स्क्रीन प्रेज़ेंस आज भी दर्शकों को उतनी ही प्रभावित करती रही।
उपलब्धियां और सम्मान
धर्मेंद्र को 65 साल लम्बे फिल्मी सफर में फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड भी मिला। उन्हें पद्म भूषण दिए जाने हेतु प्रशंसकों की ओर से लगातार मांग की जाती रही। 2012 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। ‘ही-मैन’ उपनाम उनकी अनुपम धाक और लोकप्रियता को दर्शाता है।
धर्मेंद्र की खासियतें जो उन्हें दर्शकों का चहेता बनाती हैं
सादगी और विनम्रता की वजह से स्टारडम के बावजूद बिल्कुल ज़मीन से जुड़े रहे। उनका बहुआयामी अभिनय रोमांस, एक्शन, कॉमेडी, ड्रामा सबमें दिखा। उनकी पर्सनैलिटी भारतीय सिनेमा के सबसे आकर्षक सितारों में से एक थी। उनकी संवाद अदायगी सहज, दिल से और बेहद प्रभावशाली थी।





