जिला ब्यूरो चीफ, मुरैना | मुहम्मद इसरार खान
मुरैना/मप्र। (15 नवंबर 2025) मुरैना के व्यस्त जरेरुआ रोड पर शुक्रवार दोपहर एक दिल दहला देने वाली घटना ने स्थानीय लोगों को स्तब्ध कर दिया। केबीएल फैक्ट्री के ठीक सामने स्क्रैप टायरों से भरे एक कंटेनर ट्रक में अचानक भीषण आग लग गई, जो देखते ही देखते विकराल रूप धारण कर लिया। आग की लपटों ने न केवल पूरे ट्रक को अपनी चपेट में ले लिया, बल्कि मौके पर मौजूद लोगों को भागने पर मजबूर कर दिया। दमकल विभाग की टीमों ने घंटों की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया, लेकिन तब तक ट्रक जलकर पूरी तरह खाक हो चुका था।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, ट्रक स्क्रैप लोहगढ़ के पास स्थित टायर फैक्ट्री की ओर माल लेकर जा रहा था। अचानक शॉर्ट सर्किट या बिजली के तारों के संपर्क में आने से स्पार्क हुआ, जिसने टायरों की आसानी से जलने वाली प्रकृति के कारण आग को भयंकर बना दिया। “जैसे ही धुआं देखा, ट्रक के चारों ओर लपटें भड़क उठीं। टायरों की गंध और धुंए से सांस लेना मुश्किल हो गया,” मौके पर मौजूद एक स्थानीय निवासी रामस्वरूप ने बताया। आग की तीव्रता इतनी थी कि ट्रक के कई टायर फट गए, जिससे आसपास के वाहनों को भी खतरा पैदा हो गया।
मौके पर पहुंचे ग्रामीणों और राहगीरों ने पानी और मिट्टी डालकर आग बुझाने की कोशिश की, लेकिन टायरों की जलन से निकलने वाली काली धुंए और जहरीली गैसों ने उनके प्रयासों को विफल कर दिया। सूचना मिलते ही दमकल विभाग की दो गाड़ियां मौके पर पहुंचीं। फायर ब्रिगेड के अधिकारी ने बताया, “आग का दायरा इतना बड़ा था कि हमें अतिरिक्त सहायता बुलानी पड़ी। सौभाग्य से कोई हताहत नहीं हुआ, लेकिन संपत्ति को लाखों रुपये का नुकसान पहुंचा है।”
पिछली घटनाओं से सबक न लेना: बढ़ते खतरे की घंटी
यह घटना मुरैना के इंडस्ट्रियल एरिया में आग से जुड़ी लगातार हो रही दुर्घटनाओं की याद दिलाती है। मात्र दो दिन पहले ही इसी इलाके में एक अन्य ट्रक में आग लगने की घटना सामने आई थी, जहां भूसे से लदी ट्रॉली जलकर राख हो गई थी। इससे पहले जून 2024 में नेशनल हाइवे-44 पर छौंदा टोल प्लाजा के पास एक खाली ट्रक में आग लगी थी, जो पूरी तरह जल गया। इन घटनाओं से साफ जाहिर होता है कि क्षेत्र में आग बुझाने की सुविधाएं अपर्याप्त हैं।
स्थानीय निवासियों ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। “यह इंडस्ट्रियल जोन है, फिर भी फायर टेंडर की दूरी ज्यादा है और सड़कों पर बिजली के खुले तार लटकते रहते हैं। किसी बड़े हादसे का इंतजार क्यों?” ने जरेरुआ रोड पर रहने वाले एक व्यापारी नेगपाल सिंह ने नाराजगी जताई। विशेषज्ञों का मानना है कि स्क्रैप सामग्री से लदे वाहनों के लिए विशेष सुरक्षा प्रोटोकॉल की जरूरत है, जैसे फ्लेम-रिटार्डेंट कवरिंग और नियमित इंस्पेक्शन।
प्रशासन का क्या कहना?
जिला प्रशासन ने घटना की जांच शुरू कर दी है। एसडीएम मुरैना ने कहा, “हम फायर सेफ्टी ऑडिट करवा रहे हैं और दोषी पाए जाने पर सख्त कार्रवाई होगी। निवासियों से अपील है कि ऐसी घटनाओं की सूचना तुरंत दें।” इस बीच, ट्रक मालिक ने नुकसान का आकलन शुरू कर दिया है, जबकि पुलिस ने शॉर्ट सर्किट की थ्योरी पर जांच केंद्रित की है।
मुरैना जैसे विकासशील जिले में इंडस्ट्री का विस्तार तो हो रहा है, लेकिन सुरक्षा मानकों में सुधार न होने से आम आदमी खतरे में है। उम्मीद है कि यह घटना जागृति लाएगी और भविष्य में ऐसी त्रासदियां टलेंगी।





