आगरा: नगला बूढ़ी इलाके में शुक्रवार रात हुए भयाविक हादसे ने पूरे शहर को सदमा दे दिया है। नोएडा की एक सॉफ्टवेयर कंपनी में काम करने वाले इंजीनियर अंशुल गुप्ता उर्फ अंशु ने नशे में धुत होकर अंधाधुंध कार दौड़ाई, जिसमें 7 लोगों को रौंद दिया। इस हादसे में 5 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि 2 गंभीर रूप से घायल हैं। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर केस दर्ज किया, लेकिन शुरुआती धाराओं के कारण उसे जमानत मिल गई। बाद में जांच में कड़ी धाराएँ जोड़ने पर कोर्ट ने उसे फिर से जेल भेज दिया। आइए जानते हैं इस मामले में लगी धाराओं का पूरा ब्यौरा।
हादसे का पूरा घटनाक्रम
शुक्रवार रात करीब 8:30 बजे दयालबाग 80 फुटा रोड से नगला बूढ़ी की ओर आ रही अंशुल गुप्ता की कार (जिसके नाम पर पंजीकृत है) पुलिस चेकिंग देखकर घबरा गई। चालक ने स्पीड 100 किमी/घंटा से अधिक कर दी। पहले कार ने एक जोमैटो डिलीवरी बॉय भानुप्रताप सिंह की बाइक को टक्कर मारी, जिससे उनकी मौके पर मौत हो गई। बचने के लिए अंशुल ने कार नहीं रोकी, बल्कि 400 मीटर के दायरे में 6 और लोगों को रौंद दिया।
- मृतक: भानुप्रताप सिंह (डिलीवरी बॉय), बबली (42 वर्ष) व उनका बेटा गोलू (23 वर्ष, जो दिवाली के लिए कपड़े खरीदने जा रहे थे), कमल (24 वर्ष, पेंटर) व उनका दोस्त कृष्णा (कपड़े खरीदने जा रहे दोस्त), और एक अन्य व्यक्ति।
- घायल: 2 लोग गंभीर, एसएन मेडिकल कॉलेज में भर्ती।
कार डिवाइडर से टकराकर 3 बार पलटी खाई। हादसे के बाद भड़की भीड़ ने अंशुल को पकड़कर पीटा। पुलिस ने भीड़ को संभाला और आरोपी को थाने ले गई। अंशुल दयालबाग का रहने वाला है, शादीशुदा है और एक बेटे का बाप। वह नोएडा में एरिक्सन कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर है और दिवाली छुट्टियों में घर आया था। पुलिस जांच में उसके नशे में होने की पुष्टि हुई।
पहले जमानत, फिर जेल: धाराओं का खेल
पुलिस ने शुरुआत में मामूली लापरवाही वाली धाराएँ लगाईं, जिससे अंशुल को जमानत मिल गई। लेकिन मृतकों की संख्या बढ़ने और जांच में नशे व जानबूझकर रौंदने के सबूत मिलने पर धारा 105 जोड़ी गई। यह गैर-जमानती है और हत्या के समान मानी जाती है। अधिवक्ता अनूप कुमार शर्मा ने बताया कि ये धाराएँ बीएनएस (भारतीय न्याय संहिता) की हैं, जो पुरानी IPC की जगह ले चुकी हैं।
शुरुआती धाराएँ (जमानती, कम सजा वाली)
ये धाराएँ लापरवाही पर आधारित थीं, जिनमें सजा 7 साल से कम थी:
| धारा | आरोप | सजा का प्रावधान |
|---|---|---|
| धारा 281 | सार्वजनिक स्थान पर लापरवाही से वाहन चलाना | 6 महीने तक की कैद |
| धारा 125ए | उपहति कारित (नुकसान पहुँचाना) | 6 महीने तक की कैद + 5,000 रुपये जुर्माना |
| धारा 125बी | अधिक उपहति (ज्यादा नुकसान पहुँचाना) | 3 साल तक की कैद + 10,000 रुपये जुर्माना |
| धारा 106(1) | जानते हुए लापरवाही करना, जिससे जानमाल का खतरा हो | 5 साल तक की कैद |
इन धाराओं के कारण अंशुल को आसानी से जमानत मिल गई।
बाद में जोड़ी गई कड़ी धारा
- धारा 105: आपराधिक मानव वध (हत्या की कोटि में न आने वाला), मृत्यु का आशय से किया गया कार्य, जानते हुए कि मौत संभव है। सजा: 10 साल तक की सख्त कैद (गैर-जमानती)। पुलिस ने सबूतों (नशा, स्पीड, भागने की कोशिश) के आधार पर यह धारा जोड़ी, जिसके बाद कोर्ट ने अंशुल को जेल भेज दिया।
परिवारों का दर्द और मांग
मृतकों के परिवार शोक में डूबे हैं। बबली के पति हरीश ने कहा, “बेटे को कपड़े दिलाने गई थी, मौत लौट आई।” कमल के परिवार ने बताया कि वह प्रेम विवाह के बाद पत्नी की मौत के सदमे से उबर रहे थे। लोगों ने मुआवजे और सख्त सजा की मांग की। डीसीपी सिटी सोनम कुमार ने कहा कि जांच पूरी होने पर और कार्रवाई होगी।






