कानपुर। दिवाली का त्योहार रोशनी और खुशी का प्रतीक माना जाता है, लेकिन इस बार कार्बाइड युक्त पटाखों के इस्तेमाल ने कई परिवारों की खुशियों पर ग्रहण लगा दिया है। कानपुर और इसके आसपास के जिलों में पटाखों के कारण कॉर्नियल इंजरी के 100 से अधिक मामले सामने आए हैं, जो एक गंभीर चेतावनी है।
क्या है कॉर्नियल इंजरी?
कॉर्निया आंख का वह पारदर्शी हिस्सा है, जो रोशनी को आंख के अंदर पहुंचाने में मदद करता है। कार्बाइड युक्त पटाखों और बारूद के संपर्क में आने से कॉर्निया जलने, फटने, पुतली के सफेद होने, लालपन, सूजन और यहां तक कि रोशनी कम होने की समस्या हो रही है। ये चोटें न केवल दर्दनाक हैं, बल्कि स्थायी अंधापन भी पैदा कर सकती हैं।
कानपुर में स्थिति गंभीर
कानपुर के प्रमुख अस्पतालों जैसे हैलट, उर्सला और कांशीराम में नेत्र रोग विशेषज्ञों के पास प्रभावित मरीजों की भीड़ उमड़ रही है। डॉक्टरों का कहना है कि अधिकांश मामले कार्बाइड युक्त पटाखों के कारण हुए हैं, जिनका उपयोग सस्ते और तेज आवाज वाले पटाखों में किया जाता है। इन पटाखों से निकलने वाला रासायनिक धुआं और चिंगारी आंखों के लिए बेहद खतरनाक साबित हो रही है।
विशेषज्ञों की चेतावनी
नेत्र रोग विशेषज्ञों ने लोगों से अपील की है कि वे कार्बाइड युक्त पटाखों से बचें और सुरक्षित पटाखों का उपयोग करें। साथ ही, पटाखे फोड़ते समय सुरक्षात्मक चश्मे पहनने की सलाह दी जा रही है। छोटे बच्चों को पटाखों से दूर रखने और किसी भी चोट के तुरंत बाद नजदीकी अस्पताल में इलाज कराने की सिफारिश की गई है।
जागरूकता और सावधानी जरूरी
दिवाली का उत्साह बनाए रखने के लिए जागरूकता और सावधानी बेहद जरूरी है। पर्यावरण के साथ-साथ अपनी और अपनों की सुरक्षा का ध्यान रखें। आइए, इस दीवाली को सुरक्षित और खुशहाल बनाएं, ताकि रोशनी का यह पर्व वाकई में हर किसी के लिए उजाला लाए।
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