भारत त्योहारों की भूमि है और यहाँ हर पर्व अपने साथ एक विशेष संदेश लेकर आता है। इन्हीं पर्वों में से एक है विजयादशमी या दशहरा, जो अच्छाई की जीत और बुराई के अंत का प्रतीक है। यह पर्व नवरात्रि के समापन पर आता है और अपने धार्मिक, सामाजिक व सांस्कृतिक महत्व के कारण पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है।
विजयादशमी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, इस वर्ष विजयादशमी का पावन पर्व 2 अक्टूबर 2025 (गुरुवार) को मनाया जाएगा।
दशमी तिथि प्रारंभ: 1 अक्टूबर रात 9:45 बजे
दशमी तिथि समाप्त: 2 अक्टूबर रात 8:10 बजे
शुभ समय (रावण दहन के लिए): शाम 4:30 बजे से 6:30 बजे तक का समय विशेष रूप से उत्तम माना गया है।
विजयादशमी क्यों मनाई जाती है?
दशहरे से जुड़ी मान्यताएँ बहुत गहरी और प्रेरणादायी हैं।
1. राम-रावण युद्ध की स्मृति
त्रेतायुग में भगवान श्रीराम ने असत्य और अधर्म का प्रतीक माने जाने वाले रावण का वध इसी दिन किया था। राम ने केवल युद्ध ही नहीं जीता बल्कि मानवता, धर्म और न्याय के मार्ग पर चलने का संदेश दिया। तभी से देशभर में रावण दहन की परंपरा चली आ रही है।
2. महिषासुर मर्दिनी दुर्गा की विजय
एक अन्य कथा के अनुसार, देवताओं और ऋषियों को आतंकित करने वाले राक्षस महिषासुर का वध माँ दुर्गा ने इसी दिन किया था। माँ दुर्गा की इस विजय को शक्ति की विजय माना जाता है।यही कारण है कि इसे विजयादशमी कहा गया।
विजयदशमी /दशहरा का धार्मिक महत्व
विजयादशमी हमें यह संदेश देती है कि चाहे बुराई कितनी ही शक्तिशाली क्यों न हो, सत्य और धर्म की जीत निश्चित है। यह पर्व हमें भीतर छिपे अहंकार, क्रोध और नकारात्मकता को समाप्त कर सदाचार, संयम और भक्ति का मार्ग अपनाने की प्रेरणा देता है। इस दिन शस्त्र पूजा, वाहन और नए कार्यों की शुरुआत करना बेहद शुभ माना जाता है।
देशभर में ऐसे मनाया जाता है दशहरा
उत्तर भारत के विभिन्न शहरों में भव्य रामलीला मंचन होता है, जिसमें भगवान राम के जीवन और रावण वध की कथा का चित्रण किया जाता है। शाम होते ही हजारों-लाखों लोग मैदानों में एकत्र होकर रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण के विशाल पुतलों का दहन देखते हैं।
🔹 बंगाल और पूर्वी भारत में इसे दुर्गा विसर्जन के रूप में मनाया जाता है, जहाँ माँ दुर्गा की प्रतिमाओं का भव्य जुलूस निकालकर नदी या तालाब में विसर्जन किया जाता है।
🔹 महाराष्ट्र में इसे ‘आयुध पूजा’ और ‘सीमा उल्लंघन’ परंपरा के साथ मनाया जाता है।
🔹ग्रामीण भारत में दशहरा लोकनृत्य, मेलों और पारंपरिक आयोजनों के जरिए उत्सव का रूप लेता है।
विजयादशमी का जीवन संदेश
यह पर्व केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि जीवन दर्शन है। विजयादशमी हमें यह सिखाती है कि
सत्य और धर्म की राह कठिन हो सकती है, लेकिन उसका परिणाम हमेशा मंगलकारी होता है।
बुराई चाहे कितनी भी प्रबल हो, उसका अंत निश्चित है।
मनुष्य को अपने भीतर के ‘रावण’— काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार—का दहन करना चाहिए।
विजयादशमी 2025 का पर्व पूरे देश में उमंग और उल्लास के साथ मनाया जाएगा। यह न केवल पौराणिक कथाओं की याद दिलाता है बल्कि आज के समाज को भी यह प्रेरणा देता है कि अच्छाई, सत्य और धर्म ही अंततः विजयी होते हैं।
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