आगरा: जब कानून के रक्षक ही भक्षक बन जाएं, तो आम नागरिकों की सुरक्षा का क्या भरोसा? आगरा कमिश्नरेट पुलिस के लिए एक और काला अध्याय जुड़ गया है। न्यू आगरा थाना पुलिस ने सैंया थाने के सिपाही मोनू तालान (उर्फ सोनू) और उसके दो साथियों, राहुल सिंह और राजकुमार, को एक सनसनीखेज मामले में गिरफ्तार किया है। इन तीनों ने मिलकर हर्षवर्धन नामक युवक का अपहरण किया और उसके परिजनों से पांच लाख रुपये की फिरौती मांगी।
घटना का विवरण
घटना न्यू आगरा क्षेत्र की है। कुशल पाल सिंह, पुत्र जगपाल सिंह, निवासी रामपुर, चंद्रसैनी, बाह, अपने भाई हर्षवर्धन के साथ न्यू आगरा में रहते हैं। 22 सितंबर की शाम हर्षवर्धन कुछ सामान लेने बाजार गया था, लेकिन रात तक घर नहीं लौटा। परिजनों ने उसकी तलाश शुरू की, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। रात करीब 2:30 बजे हर्षवर्धन के फोन से परिजनों को एक कॉल आया, जिसमें अपहरण की जानकारी देते हुए पांच लाख रुपये की फिरौती मांगी गई। घबराए परिजनों ने तुरंत न्यू आगरा थाना पुलिस को सूचना दी।
पुलिस की त्वरित कार्रवाई
न्यू आगरा पुलिस ने मामले को गंभीरता से लिया और जांच शुरू की। जांच के दौरान पता चला कि अपहरण में सैंया थाने का सिपाही मोनू तालान (सोनू) शामिल है, जो पहले भी विवादों में रह चुका है और निलंबन का सामना कर चुका है। पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए मात्र तीन से चार घंटे में हर्षवर्धन को सकुशल बरामद कर लिया। अपहरण में शामिल सिपाही सोनू और उसके साथियों राहुल सिंह और राजकुमार को गिरफ्तार कर लिया गया।
बरामदगी और गिरफ्तारी
- पुलिस ने हर्षवर्धन को पोइया घाट के पास से बरामद किया। गिरफ्तार अभियुक्तों में शामिल हैं:
- मोनू तालान (सोनू), पुत्र मेंबर सिंह, निवासी ग्रामवा, पोस्ट बैठा, थाना टप्पल, अलीगढ़।
- राहुल सिंह, पुत्र ओमवीर सिंह, निवासी जिला अलीगढ़।
- राजकुमार, पुत्र सत्यवीर सिंह, निवासी जिला अलीगढ़।
- पुलिस ने अपहरण में इस्तेमाल की गई बिना नंबर प्लेट की आई20 कार भी बरामद की।
अपहरण की साजिश का खुलासा
पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि उन्होंने हर्षवर्धन को किसी अन्य व्यक्ति के जरिए कारगिल चौराहे पर बुलाया था, जहां से उसका अपहरण किया गया। जब उन्हें पता चला कि हर्षवर्धन के पास पैसे नहीं हैं, तो उन्होंने परिजनों से फिरौती वसूलने की योजना बनाई। 22 सितंबर की रात से 23 सितंबर तक वे हर्षवर्धन को गाड़ी में घुमाते रहे। पुलिस ने मोबाइल लोकेशन ट्रेसिंग के जरिए आरोपियों तक पहुंच बनाई और उन्हें धर दबोचा।
पुलिस की साख पर सवाल
इस घटना ने आगरा पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं। एक सिपाही का इस तरह के जघन्य अपराध में शामिल होना न केवल शर्मनाक है, बल्कि आम जनता के भरोसे को भी ठेस पहुंचाता है। न्यू आगरा पुलिस की त्वरित कार्रवाई ने भले ही हर्षवर्धन को सुरक्षित बचा लिया, लेकिन इस घटना ने पुलिस प्रशासन के लिए आत्ममंथन की आवश्यकता को उजागर किया है।





