आगरा: वर्ष 2012 में किरावली दंगल के दौरान पहलवान की करंट से मौत के बाद हुए हंगामे और पुलिस पर हमले के मामले में बुधवार को विशेष न्यायाधीश (एमपी-एमएलए) लोकेश कुमार की अदालत में सुनवाई हुई। अभियोजन पक्ष घटना को सिद्ध करने में विफल रहा, और स्वतंत्र गवाहों के अभाव तथा मेडिकल राय में विरोधाभास के कारण कोर्ट ने विधायक चौधरी बाबूलाल सहित 12 आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया।
अछनेरा थाने में दर्ज केस के अनुसार, 2 अप्रैल 2012 को किरावली के मौनी आश्रम में कुश्ती दंगल मेले का आयोजन हुआ था। तत्कालीन थानाध्यक्ष सुधीर कुमार सिंह की तहरीर के मुताबिक, दंगल देखने आए कागारौल निवासी पहलवान हाकिम सिंह का हाथ दीवार पर बैठे हुए लटक रही हाईटेंशन लाइन से छू गया, जिससे उनकी मृत्यु हो गई। उन्हें बचाने की कोशिश में धौलपुर निवासी जावेद भी गंभीर रूप से घायल हो गए। दोनों को अस्पताल ले जाया गया, जहां हाकिम को मृत घोषित कर दिया गया।
इसके बाद, विधायक चौधरी बाबूलाल और अन्य लोगों ने हाकिम के शव को किरावली चौराहे पर जयपुर हाईवे पर रखकर जाम लगा दिया और प्रदर्शन शुरू कर दिया। अछनेरा, कागारौल, मलपुरा और अन्य थानों की पुलिस मौके पर पहुंची। आरोप था कि प्रदर्शनकारियों ने पुलिस को समझाने की कोशिश के दौरान ईंट-पत्थर और कांच की बोतलें फेंककर हमला किया, जिसमें तीन पुलिसकर्मी घायल हो गए। पुलिस ने विधायक चौधरी बाबूलाल, हरपाल, बंटी प्रधान, बने सिंह पहलवान, दिनेश, ज्ञान सिंह, सतेंद्र, पवन इंदौलिया सहित अन्य के खिलाफ बलवा, हत्या की कोशिश, शासकीय कार्य में बाधा, और 7 क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंट एक्ट समेत विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था।
कोर्ट में सुनवाई: अभियोजन पक्ष के दावे कमजोर
सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष घटना को सिद्ध करने में नाकाम रहा। पुलिस ने स्वतंत्र गवाह पेश नहीं किए, जो आरोपों की पुष्टि के लिए जरूरी थे। इसके अलावा, तीन घायल पुलिसकर्मियों का मेडिकल अछनेरा में घटना के अगले दिन कराया गया था। कोर्ट में पूछताछ के दौरान डॉक्टर ने कहा कि पुलिसकर्मियों को लगी चोटें बाइक फिसलने जैसे अन्य कारणों से भी हो सकती हैं, जिसने अभियोजन के दावों को और कमजोर कर दिया। इन कमजोरियों के आधार पर विशेष न्यायाधीश लोकेश कुमार ने सभी 12 आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी करने का आदेश दिया।
बरी हुए आरोपी
कोर्ट ने निम्नलिखित लोगों को बरी किया:
- विधायक चौधरी बाबूलाल (थाना लोहामंडी, जयपुर हाउस)
- हरपाल (अभुआपुरा)
- विजयपाल (अभुआपुरा)
- पवन इंदौलिया (किरावली)
- कृष्ण कुमार (किरावली)
- हरेंद्र सिंह (किरावली)
- बने सिंह (सकतपुर)
- सतेंद्र सिंह (रसूलपुर)
- ज्ञान सिंह (बरौली)
- संतोष चाहर (जैगारा)
- बंटी प्रधान (जैगारा)
मामले का महत्व
यह मामला 2012 में किरावली में हुए हादसे और उसके बाद की हिंसक प्रतिक्रिया के कारण चर्चा में रहा था। विधायक चौधरी बाबूलाल जैसे प्रमुख व्यक्ति का इस केस में शामिल होना इसे और संवेदनशील बनाता था। कोर्ट का यह फैसला अभियोजन पक्ष की कमजोर तैयारी और सबूतों के अभाव को उजागर करता है। साथ ही, यह हाईटेंशन लाइनों की सुरक्षा और सार्वजनिक आयोजनों में सावधानी की आवश्यकता पर भी सवाल उठाता है।