आगरा। हाल ही में आई बाढ़ के बाद यमुना नदी में जमा गाद, मलबे और प्लास्टिक कचरे को लेकर चिंता बढ़ गई है। इसी मुद्दे पर रिवर कनेक्ट कैंपेन के डॉ. देवाशीष भट्टाचार्य ने मंगलवार को मंडलायुक्त को ज्ञापन सौंपते हुए नदी की तत्काल सफाई और ड्रेजिंग (खनन) कराने की मांग की।
ज्ञापन में कहा गया कि यमुना की हाल की बाढ़ के कारण आगरा, मथुरा और वृंदावन में नदी तल पर भारी मात्रा में गाद और मलबा जमा हो गया है, जिससे यमुना की जल वहन क्षमता काफी घट गई है। यह स्थिति न केवल निचले इलाकों के लिए बाढ़ का खतरा बढ़ा रही है, बल्कि ताजमहल और उसके घाटों जैसी विश्व धरोहर संपत्तियों को भी नुकसान पहुंचा सकती है।
कैंपेन की ये हैं प्रमुख मांगें
संयुक्त सर्वेक्षण और एनजीटी आवेदन- केंद्रीय जल आयोग, सिंचाई विभाग और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की संयुक्त टीम नदी तल में जमा गाद का आकलन करे और नियंत्रित ड्रेजिंग की अनुमति के लिए एनजीटी में याचिका दायर की जाए।
तत्काल सफाई – घाटों और तटों पर जमा प्लास्टिक, मलबे और कीचड़ की तत्काल सफाई की जाए ताकि प्रवाह बाधित न हो।
पारिस्थितिक ड्रेजिंग – संवेदनशील क्षेत्रों में पारिस्थितिक मानदंडों के अनुरूप ड्रेजिंग कर नदी की वहन क्षमता बहाल की जाए। साथ ही अपस्ट्रीम सीवेज वेस्ट मैनेजमेंट को सख्ती से लागू किया जाए।
सख्त समयसीमा व निगरानी – अगले बाढ़ मौसम से पहले 30–45 दिनों में प्राथमिक हस्तक्षेप किए जाएं। इसके लिए एएसआई, विश्वविद्यालयों और पर्यावरण संगठनों के विशेषज्ञों की निगरानी समिति गठित हो।
ज्ञापन में चेतावनी दी गई कि अगर सरकार ने ठोस कदम नहीं उठाए तो आगरा को संयुक्त आपदा का सामना करना पड़ सकता है। ज्यादा भीषण बाढ़, जल संसाधनों का प्रदूषण, स्थानीय समुदायों का विस्थापन और यमुना किनारे की धरोहरों को अपूरणीय क्षति हो सकती है।
रिवर कनेक्ट कैंपेन के संयोजक बृज खंडेलवाल ने कहा कि मंडलायुक्त से इस पर त्वरित कार्ययोजना की रूपरेखा साझा करने की मांग की गई है। उन्होंने कहा कि यह केवल पर्यावरणीय मुद्दा नहीं बल्कि सांस्कृतिक और मानवीय संकट भी है।
2014 में शुरू हुआ रिवर कनेक्ट कैंपेन यमुना और अन्य जल निकायों के संरक्षण के लिए सक्रिय नागरिक समूह है। यह सरकार और समाज के साथ मिलकर नदियों को पुनर्जीवित करने के प्रयास करता है।