आगरा। आगरा कलेक्ट्रेट मंगलवार को ग्रामीण पत्रकारों की हुंकार से गूंज उठा। ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन उत्तर प्रदेश, जिला आगरा के बैनर तले सैकड़ों पत्रकार एकजुट हुए और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को संबोधित सात सूत्रीय मांगों का ज्ञापन जिलाधिकारी की अनुपस्थित में एडीएम विनोद कुमार को सौंपा। पत्रकारों ने साफ चेतावनी दी—यदि उनकी समस्याओं का तत्काल समाधान नहीं हुआ, तो आंदोलनात्मक कदम उठाने से पीछे नहीं हटेंगे।
पत्रकारों की पुकार: “सम्मान चाहिए, उपेक्षा नहीं” – शंकर देव तिवारी
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शंकर देव तिवारी ने कहा कि ग्रामीण पत्रकार लोकतंत्र की रीढ़ हैं। उनकी उपेक्षा करना, लोकतंत्र की जड़ों को कमजोर करने के बराबर है। उन्होंने चेतावनी दी—“यदि सरकार ने त्वरित संज्ञान नहीं लिया, तो यह चुप्पी एक बड़े आंदोलन का कारण बनेगी।”
सात सूत्रीय मांगें: पत्रकारों के हक की लड़ाई – विष्णु सिकरवार
जिलाध्यक्ष विष्णु सिकरवार ने कहा कि ग्रामीण पत्रकार विषम परिस्थितियों में भी लोकतंत्र की धाराओं को जीवित रखते हैं। वे न केवल सरकार की योजनाओं को गांव-गांव तक पहुंचाते हैं, बल्कि जनता की आवाज को शासन तक पहुंचाने का कार्य भी करते हैं। इसके बावजूद, उन्हें न सुरक्षा मिल रही है, न सुविधाएं। सिकरवार ने जोर देकर कहा—“अब सरकार को ठोस कदम उठाने होंगे, तभी पत्रकारों का सम्मान और मनोबल बचा रहेगा।”
पत्रकारों के हित के लिए सात सूत्रीय मांगें —
मान्यता का अधिकार: ग्रामीण पत्रकारों को भी मान्यता मिले।
लखनऊ में भवन आवंटन: एसोसिएशन को राजधानी में भवन दिया जाए।
आयुष्मान योजना का लाभ: पत्रकार व उनके परिवार कैशलेस इलाज पा सकें।
बीमा और पेंशन योजना: सभी पत्रकार बीमा से कवर हों और 60 वर्ष के बाद पेंशन मिले।
मुकदमों पर नियंत्रण: बिना राजपत्रित अधिकारी की जांच के मुकदमा दर्ज न हो।
नियमित बैठकें: प्रशासन व पत्रकारों की तहसील स्तर पर बैठकें हों।
दुर्घटना सहायता: मृत पत्रकार के परिवार को 20 लाख तक की मदद मिले।
इसके साथ ही, फर्जी पत्रकारिता पर कठोर कार्रवाई की मांग भी बुलंद की गई।
एकजुटता का प्रदर्शन: गूंजा पत्रकारों का आक्रोश
इस प्रदर्शन में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शंकर देव तिवारी, मंडल महासचिव सन्त कुमार भारद्वाज, जिलाध्यक्ष विष्णु सिकरवार, महामंत्री श्रीकांत पाराशर, मोहम्मद इस्माइल, सुरेश जारोलिया, प्रमेंद्र फौजदार, शिवम सिकरवार, राजवीर सिंह, अशोक शर्मा, मुकेश शर्मा, उमाशंकर मिश्रा, मनोज शर्मा, दिलीप गुप्ता, राकेश जैन, सुमित गर्ग एवं भोजराज फौजी भाई सहित बड़ी संख्या में पत्रकार मौजूद रहे। सबने एक स्वर में अपनी मांगों को लेकर हुंकार भरी।
लोकतंत्र की रीढ़ को मजबूत करने की अपील
ग्रामीण पत्रकारों का यह आंदोलन केवल उनके हक की लड़ाई नहीं, बल्कि लोकतंत्र की चेतावनी भी है। यदि उनकी मांगों को अनसुना किया गया, तो यह सिर्फ पत्रकारिता नहीं, बल्कि लोकतंत्र की आत्मा पर चोट होगी। अब सबकी निगाहें सरकार पर टिकी हैं—क्या वह लोकतंत्र की इस रीढ़ को मजबूत करेगी या उपेक्षा का रास्ता चुनेगी?
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