आगरा: उत्तर प्रदेश के आगरा में अपराध नियंत्रण और इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (ITMS) के लिए 282 करोड़ रुपये के भारी खर्च के बावजूद स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की ‘तीसरी आंख’ यानी कैमरों में गंभीर खामियां सामने आ रही हैं। लाल और सफेद रंग के हेलमेट पहनने वाले बाइक सवारों के गलत चालान कट रहे हैं, जबकि तेज रफ्तार वाहनों की नंबर प्लेट कैमरों में साफ नजर नहीं आ रही। इससे गलत नंबर प्लेट के फोटो खींचकर यातायात पुलिस को भेजे जा रहे हैं, जिससे निर्दोष लोगों को परेशानी हो रही है। हर महीने 40-50 ऐसे मामले दर्ज हो रहे हैं। यातायात पुलिस ने स्मार्ट सिटी लिमिटेड को पत्र लिखा है, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा। यह खुलासा स्मार्ट सिटी मिशन की कमियों को उजागर करता है, जहां 2015 से शुरू हुए इस प्रोजेक्ट में कई शहरों में तकनीकी दिक्कतें बरकरार हैं।
स्मार्ट सिटी के तहत आगरा में 63 चौराहों पर कुल 1,578 कैमरे लगाए गए हैं, जिनमें से 43 चौराहों पर चालान की कार्रवाई के लिए इस्तेमाल हो रहे हैं। ये कैमरे एमजी रोड के चौराहों के साथ-साथ बोदला, सिकंदरा, भगवान टॉकीज, रामबाग, लोहामंडी, साकेत कॉलोनी, कारगिल चौराहा, फतेहाबाद रोड और शमसाबाद रोड पर ट्रैफिक मैनेजमेंट के लिए तैनात हैं। इसके अलावा, आमजन के 5,500 कैमरों को भी स्मार्ट सिटी कंट्रोल रूम से जोड़ा गया है। नगर निगम और यातायात पुलिस के कंट्रोल रूम से इनके जरिए शहर की निगरानी की जाती है। कैमरों की मदद से अपराधियों की पहचान और यातायात नियम उल्लंघन पर चालान किए जाते हैं। हालांकि, तकनीकी खराबी के कारण सिस्टम की विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं।
मुख्य खामियां: गलत चालान और तकनीकी कमियां
- हेलमेट पहनने वालों पर जुर्माना: कैमरों का AI सिस्टम लाल और सफेद हेलमेट को गलत पहचान रहा है, जिससे नियमों का पालन करने वाले बाइक सवारों के चालान कट रहे हैं। इससे सड़क सुरक्षा अभियान प्रभावित हो रहा है।
- नंबर प्लेट न दिखना: तेज रफ्तार वाहनों की नंबर प्लेट कैमरों में धुंधली या अस्पष्ट आ रही है। इससे गलत नंबर के आधार पर फोटो कैप्चर हो रहे हैं, जो यातायात पुलिस को भेजे जाते हैं। हर माह 40-50 गलत चालान के केस सामने आ रहे हैं।
- समाधान की कोशिश: यातायात पुलिस ने स्मार्ट सिटी लिमिटेड को कई पत्र लिखे हैं, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। विशेषज्ञों का कहना है कि कैमरों की रिजॉल्यूशन क्वालिटी और AI एल्गोरिदम में सुधार जरूरी है।
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट का पृष्ठभूमि
आगरा को 2016 में स्मार्ट सिटी मिशन के दूसरे चरण में शामिल किया गया था। 281 करोड़ रुपये के निवेश से इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर (ICCC) बनाया गया, जो अपराध नियंत्रण और ट्रैफिक मॉनिटरिंग के लिए है। हालांकि, 2025 तक मिशन की डेडलाइन कई बार बढ़ चुकी है, और कई परियोजनाएं अधर में लटकी हैं। सेंटर में अभी केवल कुछ चौराहों की निगरानी हो पा रही है, जबकि कूड़ा प्रबंधन और पैनिक बटन जैसी सुविधाएं पूरी तरह कार्यरत नहीं हैं। हाल ही में, स्मार्ट सिटी ने सीट बेल्ट न लगाने वालों पर 110 AI-आधारित कैमरों से नजर रखने का नया प्रयोग शुरू किया है, लेकिन मौजूदा खामियां इसकी प्रभावशीलता पर सवाल खड़े कर रही हैं।
प्रभाव और मांगें
यह समस्या न केवल यातायात पुलिस और स्मार्ट सिटी प्रशासन के बीच तनाव बढ़ा रही है, बल्कि आम नागरिकों का विश्वास भी कम कर रही है। गलत चालान से परेशान लोग अपील करते हैं, लेकिन प्रक्रिया लंबी है। स्थानीय संगठनों ने मांग की है कि कैमरों का अपग्रेडेशन तुरंत किया जाए और गलत चालानों के लिए मुआवजा दिया जाए। आगरा के मेयर और डीएम ने मामले को गंभीरता से लिया है, लेकिन कोई आधिकारिक बयान नहीं आया। स्मार्ट सिटी मिशन के तहत पूरे देश में 7% परियोजनाएं अभी भी अधूरी हैं, जो इसकी चुनौतियों को दर्शाता है।