मुरैना/मप्र। जौरा विधायक पंकज उपाध्याय ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि कैलारस शक्कर कारखाने के मुद्दे पर सरकार के मंत्री, विधायक और विधानसभा अध्यक्ष जनता को धोखा दे रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि 19 अगस्त को मंत्रिमंडल की बैठक में शक्कर कारखाने को समाप्त करने और परिसमापन की घोषणा की गई, जिसके तहत कारखाने की 61 करोड़ रुपये की संपूर्ण भूमि और संपत्ति को एमएसएमई उद्योग को सौंप दिया गया।
किसानों और कर्मचारियों का विरोध
उपाध्याय ने कहा कि इस निर्णय के खिलाफ किसानों, आम जनता और कर्मचारियों ने व्यापक विरोध प्रदर्शन किया। इसके बावजूद, भाजपा नेता लगातार गलत बयानबाजी कर रहे हैं। हाल ही में विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने एक क्षेत्रीय कार्यक्रम में दावा किया कि शक्कर कारखाना जल्द चालू होगा और कांग्रेस नेता जनता को गुमराह कर रहे हैं। इसी तरह, 6 सितंबर को कैबिनेट मंत्री ऐदल सिंह कंसाना ने पत्रकारों से कहा कि भाजपा सरकार कारखाने को फिर से शुरू करने के लिए काम कर रही है, जबकि कांग्रेस जनता को भटका रही है।
विधायक ने लिखा पत्र, नहीं मिला जवाब
पंकज उपाध्याय ने बताया कि उन्होंने 26 अगस्त को मुख्यमंत्री मोहन यादव, विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर, कृषि मंत्री ऐदल सिंह कंसाना, संसदीय कार्य मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और विधानसभा के प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर मांग की थी कि मंत्रिमंडल के परिसमापन के फैसले को तत्काल वापस लिया जाए और कारखाने को पुनः शुरू करने के लिए त्वरित कार्रवाई की जाए। हालांकि, आज तक न तो किसी मंत्री और न ही किसी अधिकारी ने उनके पत्र का जवाब दिया। उपाध्याय ने तंज कसते हुए कहा, “एक विधायक के पत्राचार का जवाब देना भी ये लोग उचित नहीं समझते। अब जनता तय करेगी कि धोखा कौन दे रहा है—भाजपा या कांग्रेस।”
राकेश टिकैत करेंगे जनसभा
उपाध्याय ने किसानों, आम जनता और कर्मचारियों से आह्वान किया कि वे 21 सितंबर को मुरैना में आयोजित होने वाली जनसभा में शामिल हों, जिसमें किसान नेता राकेश टिकैत कैलारस शक्कर कारखाने को पुनः शुरू करने की मांग को लेकर आंदोलन में हिस्सा लेंगे और जनसभा को संबोधित करेंगे। उन्होंने कहा, “यह आंदोलन किसानों और कर्मचारियों के हक की लड़ाई है, और हम इसे तब तक जारी रखेंगे जब तक कारखाना फिर से शुरू नहीं हो जाता।”
कारखाने का महत्व
कैलारस शक्कर कारखाना, जिसे मुरैना मंडल सहकारी शक्कर कारखाना लिमिटेड के नाम से भी जाना जाता है, 1973 में स्थापित हुआ था और यह ग्वालियर-चंबल क्षेत्र के हजारों गन्ना किसानों के लिए जीवन रेखा रहा है। 2010-11 में गन्ने की कमी और कार्यशील पूंजी की कमी के कारण इसे बंद कर दिया गया था। तब से किसान और स्थानीय नेता इसे पुनः शुरू करने की मांग कर रहे हैं।
नीलामी पर रोक, लेकिन भविष्य अनिश्चित
हाल ही में, जनवरी 2025 में किसानों और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के ‘जेल भरो आंदोलन’ और सत्याग्रह के बाद कारखाने की जमीन की नीलामी को अस्थायी रूप से रोक दिया गया था। मुरैना जिला कलेक्टर अंकित अस्थाना ने आश्वासन दिया था कि कारखाने को फिर से शुरू करने पर विचार किया जाएगा। हालांकि, उपाध्याय का कहना है कि सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है, और किसानों के साथ धोखा किया जा रहा है।
रिपोर्ट 🔹 मुहम्मद इसरार खान- मुरैना ब्यूरो चीफ