रिपोर्ट 🔹मुहम्मद इसरार खान
JNN! मुरैना/मप्र। शनिश्चरी अमावस्या, जो इस वर्ष 23 अगस्त 2025 को पड़ रही है, एक ऐसा पावन दिन है जब न्याय के देवता श्री शनिदेव की पूजा-अर्चना और स्नान-दान का विशेष महत्व है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस दिन शनिदेव की विधि-विधान से पूजा करने से शनि दोष, साढ़ेसाती और ढैय्या जैसे कष्टों से मुक्ति मिलती है। यह दिन भक्तों के लिए शनिदेव का आशीर्वाद प्राप्त करने का सुनहरा अवसर माना जाता है।
देश का सबसे प्राचीन शनि मंदिर: ऐंती पर्वत, मुरैना
मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में स्थित ऐंती गाँव का श्री शनिदेव मंदिर देश का सबसे प्राचीन त्रेतायुगीन मंदिर माना जाता है। इस मंदिर की शनिदेव प्रतिमा की विशेषता इसे और भी अद्भुत बनाती है। ज्योतिषियों के अनुसार, यह प्रतिमा आसमान से टूटकर गिरे उल्कापिंड से निर्मित है, जो इसे अलौकिक शक्ति प्रदान करती है।
पौराणिक कथा: हनुमान जी और शनिदेव का संबंध
पौराणिक कथाओं के अनुसार, शनिदेव को लंकापति रावण ने अपने पैरों तले दबाकर कैद कर लिया था। हनुमान जी ने अपनी बुद्धि और चातुर्य से शनिदेव को रावण की कैद से मुक्त कराया। लंबे समय तक कैद में रहने के कारण शनिदेव अत्यंत दुर्बल हो गए थे। जब हनुमान जी लंका दहन की तैयारी कर रहे थे, तब शनिदेव ने बताया कि उनकी उपस्थिति में लंका का दहन संभव नहीं होगा। साथ ही, अपनी दुर्बलता के कारण उनका वहां से हटना भी कठिन था।
हनुमान जी ने शनिदेव की इस स्थिति को समझा और उन्हें अपनी पूरी शक्ति से भारत भूमि पर फेंक दिया। शनिदेव मुरैना के ऐंती गाँव के पास एक पर्वत पर जा गिरे, जिसे आज शनि पर्वत या ऐंती पर्वत के नाम से जाना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, इसी पर्वत पर शनिदेव ने घोर तपस्या कर अपनी खोई हुई शक्ति और बल को पुनः प्राप्त किया।
शनिश्चरी अमावस्या का महत्व
शनि दोष से मुक्ति: इस दिनशनिदेव की पूजा, तेल अभिषेक और दान करने से शनि की अशुभ दशा का प्रभाव कम होता है।
साढ़ेसाती और ढैय्या का निवारण: साढ़ेसाती और ढैय्या के कष्टों से राहत पाने के लिए यह दिन विशेष फलदायी माना जाता है।
स्नान और दान का पुण्य: शास्त्रों में इस दिन पवित्र नदियों में स्नान और तिल, तेल, काले वस्त्र, और उड़द दाल जैसे दान का विशेष महत्व बताया गया है।
भक्तों के लिए सुझाव
पूजा विधि: शनिदेव को सरसों का तेल, काले तिल, और नीले फूल अर्पित करें। शनि चालीसा और शनि मंत्रों का जाप करें।
दान: गरीबों और जरूरतमंदों को तेल, काले कपड़े, और भोजन का दान करें।
मंदिर दर्शन: यदि संभव हो, मुरैना के शनि पर्वत मंदिर में दर्शन करें, जहां शनिदेव की अलौकिक प्रतिमा स्थापित है।
शनिश्चरी अमावस्या का यह पावन अवसर शनिदेव के प्रति श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। मुरैना का शनि पर्वत मंदिर न केवल धार्मिक, बल्कि ऐतिहासिक और पौराणिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इस दिन शनिदेव की कृपा प्राप्त करने के लिए पूजा, दान, और तप में संलग्न हों और अपने जीवन से कष्टों को दूर करें।
नोट: मंदिर दर्शन से पहले स्थानीय प्रशासन और मंदिर प्रबंधन के दिशा-निर्देशों की जानकारी अवश्य लें।
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