JNN: रक्त यानी जीवन का प्रतीक, और स्वाभिमान यानी आत्मगौरव। जब ये दोनों शब्द एक साथ आते हैं, तो एक सशक्त सामाजिक आंदोलन की झलक मिलती है। रक्त स्वाभिमान सम्मेलन न केवल एक आयोजन है, बल्कि यह एक चेतना है, एक विचारधारा है, जो समाज में बराबरी, आत्मसम्मान और संगठन की भावना को मजबूत करने का कार्य करती है।
यह सम्मेलन उन वर्गों की आवाज़ है, जो लंबे समय से सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक उपेक्षा के शिकार रहे हैं। यह मंच उन्हें अपनी बात रखने, अपने अधिकारों के लिए खड़े होने और एकजुट होकर बदलाव लाने का अवसर देता है। इस सम्मेलन का उद्देश्य केवल जनगणना में संख्या दिखाना नहीं, बल्कि उस संख्या को एक ताकत में बदलना है।
आज जब समाज तेजी से बदल रहा है, तब भी कई वर्ग हाशिए पर हैं। ऐसे में इस तरह के सम्मेलन सामाजिक जागरूकता को बढ़ाने, नई पीढ़ी को अपने इतिहास और संस्कृति से जोड़ने, और अधिकारों के प्रति सजग करने का कार्य करते हैं। यह एक सकारात्मक प्रयास है, जो राजनीति को जनहित से जोड़ता है और लोकतंत्र को मजबूती देता है।
हमें यह समझना होगा कि सामाजिक न्याय केवल सरकारी योजनाओं से नहीं, बल्कि समाज की सोच बदलने से आएगा। रक्त स्वाभिमान सम्मेलन इसी सोच को आगे बढ़ाता है। यह सम्मेलन नफरत नहीं, आत्मसम्मान का प्रतीक है; विभाजन नहीं, एकता का संदेश है।
यह सम्मेलन हमें एक अवसर देता है — न केवल सोचने का, बल्कि साथ मिलकर चलने का। एक ऐसे समाज की कल्पना का, जहाँ हर व्यक्ति को उसके हक और सम्मान के साथ जीने का अधिकार हो।
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