आगरा: चर्चित पनवारी कांड में 34 साल बाद कोर्ट ने बुधवार को अपना फैसला सुनाया। 1990 में पनवारी गांव में अनुसूचित जाति के परिवार की बेटी की बरात चढ़ाने को लेकर दंगा हुआ था। इस मामले में एससी एसटी पुष्कर उपाध्याय की कोर्ट में सुनवाई हुई। अदालत ने 36 आरोपियों को दोषी माना है। 15 को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया। 30 मई को दंड मात्र की सुनवाई होगी।

घटनाक्रम 21 जून 1990 का है। सिकंदरा के गांव पनवारी निवासी चोखेलाल जाटव की बेटी मुंद्रा की शादी थी। सदर के नगला पद्मा से रामदीन की बरात आई थी। जाट समाज के लोगों ने बरात चढ़ाने का विरोध किया था। इस कारण बरात नहीं चढ़ सकी।  दूसरे दिन पुलिस प्रशासन के अधिकारियों की मौजूदगी में बरात चढ़ाई जा रही थी। तब पांच-छह हजार लोगों की भीड़ ने बरात को चढ़ने से रोका था।

पुलिस ने भीड़ को रोकने के लिए बल प्रयोग किया था। फायरिंग तक करनी पड़ी थी। गोली लगने से सोनी राम जाट की मृत्यु हो गई थी।घटना के बाद गांव से लेकर शहर तक हिंसा भड़क गई थी। कर्फ्यू लगाया गया था। स्थिति को काबू करने के लिए पुलिस-पीएसी के साथ सेना भी लगी थी।

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