इंदौर/मप्र : मध्य प्रदेश के इंदौर जिले में चुनाव आयोग की स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया ने रफ्तार पकड़ ली है। जिला निर्वाचन कार्यालय की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, SIR का वितरण और गणना कार्य 100 प्रतिशत पूरा हो चुका है। लेकिन एक चौंकाने वाली बात सामने आई है – कुल 5.27 लाख मतदाताओं के फॉर्म अभी तक वापस नहीं मिल सके हैं। इनमें से अधिकांश के पते पर पहुंचने में दिक्कत हुई या वे उपलब्ध ही नहीं मिले। यह आंकड़ा पूरे मध्य प्रदेश के SIR अभियान की तस्वीर को और साफ करता है, जहां राज्य स्तर पर 93 प्रतिशत से अधिक डिजिटलाइजेशन का लक्ष्य हासिल हो चुका है।

SIR क्या है और क्यों महत्वपूर्ण?

SIR यानी स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन, मतदाता सूची को घर-घर जाकर अपडेट करने का एक विशेष अभियान है। यह प्रक्रिया 20 साल बाद फिर से शुरू की गई है, जो 1951 से 2004 के बीच आठ बार चली थी। इसका मकसद है:

  • मृत या स्थानांतरित मतदाताओं के नाम हटाना।
  • नए पात्र मतदाताओं को जोड़ना।
  • गलत एंट्रीज को सुधारना।

मध्य प्रदेश सहित 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (जैसे तमिलनाडु, केरल, गुजरात, उत्तर प्रदेश आदि) में यह अभियान चल रहा है। चुनाव आयोग के अनुसार, देशभर में 99.53 प्रतिशत गणना फॉर्म (Enumeration Forms) वितरित हो चुके हैं, और 84.30 प्रतिशत का डिजिटलाइजेशन पूरा हो गया है। गोवा, लक्षद्वीप और गुजरात जैसे राज्य 100 प्रतिशत लक्ष्य के करीब पहुंच चुके हैं।

इंदौर में क्या हुआ?

इंदौर जिले में कुल लगभग 25-26 लाख मतदाता हैं (2023 के आंकड़ों के आधार पर, SIR के बाद अपडेटेड संख्या आएगी)। यहां बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) ने घर-घर जाकर फॉर्म बांटे, लेकिन 5.27 लाख फॉर्म ‘नॉन-रिटर्नेबल’ श्रेणी में आ गए। कारण:

  • मृत्यु: अनुमानित 1-1.5 लाख मतदाता।
  • स्थानांतरण: 2-2.5 लाख ने शहर या राज्य छोड़ दिया।
  • अनुपलब्ध: शेष का पता नहीं चला, जैसे किराएदारों के खाली फ्लैट या गलत पते।

जिला निर्वाचन अधिकारी शिवम वर्मा ने बताया, “SIR का 100% वितरण पूरा हो चुका है, लेकिन इन 5.27 लाख के लिए अब ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू हो रही है। जिन्हें फॉर्म नहीं मिला, वे ECI पोर्टल (voters.eci.gov.in) पर जाकर फॉर्म भर सकते हैं।” मध्य प्रदेश में कुल 5.73 करोड़ मतदाताओं को फॉर्म बांटे गए थे, जिनमें से 3.27 करोड़ डिजिटाइज हो चुके हैं। 39 जिलों ने 95% से अधिक प्रगति दिखाई है।

तमिलनाडु जैसी स्थिति से सबक

यह समस्या सिर्फ इंदौर तक सीमित नहीं है। पड़ोसी राज्य तमिलनाडु में भी SIR के दौरान 84.91 लाख फॉर्म (13%) वापस नहीं मिले। वहां 25.73 लाख मतदाताओं की मौत, 39.28 लाख स्थानांतरित और 8.95 लाख अनुपलब्ध पाए गए। चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि SIR पूरा होने से पहले किसी को लिस्ट से हटाया नहीं जाएगा। ड्राफ्ट लिस्ट 9 दिसंबर को जारी होगी, जहां दावे-आपत्ति दर्ज कराई जा सकती हैं।

उत्तर प्रदेश (69.56% प्रगति) और पश्चिम बंगाल (95.24%) जैसे राज्य अभी पीछे हैं, जबकि मध्य प्रदेश 99.45% पर मजबूत स्थिति में है।

अगला कदम: डेडलाइन बढ़ी, अपील का मौका

चुनाव आयोग ने SIR की डेडलाइन 7 दिन बढ़ाकर 11 दिसंबर कर दी है।

  • ड्राफ्ट लिस्ट: 9 दिसंबर 2025।
  • दावे-आपत्ति: 16 दिसंबर 2025 से 15 जनवरी 2026।
  • फाइनल लिस्ट: 14 फरवरी 2026।

जिन 5.27 लाख मतदाताओं का नाम ड्राफ्ट में न आए, वे जिला निर्वाचन अधिकारी या CEO के पास अपील कर सकते हैं। अगर 2004 से पहले के रिकॉर्ड गायब हैं, तो स्थानीय नेताओं ने ECI से पुरानी लिस्ट उपलब्ध कराने की मांग की है।

प्रभाव: स्वच्छ वोटर लिस्ट से मजबूत लोकतंत्र

बिहार में SIR से 47.77 लाख नाम हटे थे, जिससे सूची सटीक बनी। इंदौर में भी यही लक्ष्य है – फर्जी वोटिंग रोकना और युवाओं को जोड़ना। अगर आपका फॉर्म लौटाना भूल गए हैं, तो तुरंत ECI ऐप डाउनलोड करें या हेल्पलाइन 1950 पर कॉल करें।

यह अभियान न सिर्फ चुनाव को निष्पक्ष बनाएगा, बल्कि 2026 के विधानसभा चुनावों के लिए तैयार करेगा। अधिक जानकारी के लिए indore.nic.in या ceo.mp.nic.in विजिट करें।

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