आगरा। सात साल पहले सिकंदरा थाने में पुलिस हिरासत में हुई राजू गुप्ता की मौत के मामले में सीआईडी ने दो साल में ही दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया है। 17 पुलिसकर्मियों को राजू की मौत का दोषी मानते हुए चार्जशीट दाखिल कर दी है। अब इन पुलिसकर्मियों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। इन पर गिरफ्तारी की तलवार भी लटकी हुई है। काश राजू की मां भी यह देखने के लिए जिंदा होती। राजू की मौत के सदमे उनकी भी मौत हो गई।
मूल रूप से मथुरा की रहने वाली रेनू लता गैलाना स्थित नरेंद्र एन्क्लेव में किराये के मकान में रहती थीं। उनके पति ओमप्रकाश भारतीय स्टेट बैंक में मैनेजर थे। उनकी मौत हो गई थी। रेनू 30 वर्षीय बेटे राजू के साथ रह रही थीं। बहन अन्नू और श्वेता की शादी हो गई थी। राजू ही मां का एकमात्र सहारा था। राजू ने शादी नहीं की थी। वह काम भी नहीं करता था। कई बार काम छोड़ दिया था। 19 नवंबर 2018 को पड़ोस में रहने वाले अंशुल के यहां चोरी की घटना हुई थी। अंशुल के परिवार का शक राजू पर गया था। उन्होंने पुलिस से शिकायत कर दी। इस पर पुलिस ने पहले राजू को पकड़ा। इसके बाद उनकी मां से भी थाने लाकर पूछताछ की। राजू को अवैध हिरासत में रखकर थर्ड डिग्री दी। 22 नवंबर 2018 को उसकी मौत हो गई।
आरोप था कि उसे करंट भी लगाया गया था। राजू की मौत के बाद पुलिसकर्मी थाना छोड़कर भाग गए थे पोस्टमार्टम रिपोर्ट में शरीर पर गंभीर चोट के निशान मिले थे। इसके बाद सिकंदरा थाने में हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ था। मामले में अंशुल प्रताप, विवेक और अज्ञात पुलिस कर्मियों को आरोपी बनाया गया था। पहले इस मामले की विवेचना लोहामंडी थाना पुलिस ने की। इसमें दरोगा अनुज सिरोही, अंशुल प्रताप और विवेक के खिलाफ गैर इरादतन हत्या की धारा के तहत चार्जशीट लगाई गई थी। 2023 में मानवाधिकार आयोग ने इसकी विवेचना सीआईडी को सौंपी। विवेचना में ये खुलासा हुआ कि राजू गुप्ता की पिटाई के समय सिकंदरा थाने में जो भी पुलिस कर्मी मौजूद थे वे गैर इरादतन हत्या और अवैध हिरासत में रखने के दोषी हैं। अभियोजन स्वीकृति के बाद पुलिसकर्मियों के ऊपर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है।
यह पुलिसकर्मी पाए गए दोषी
घटना के समय तत्कालीन सिकंदरा थाना प्रभारी निरीक्षक अजय कौशल अवकाश पर थे। थाना का चार्ज प्रभारी निरीक्षक ऋषिपाल सिंह पर था। पुलिस की चार्जशीट में इंस्पेक्टर ऋषि पाल सिंह, दरोगा ज्ञानेंद्र शर्मा, दरोगा तेजवीर सिंह, मुख्य आरक्षी राम किशन, देवेंद्र सिंह, राकेश कुमार, रणजीत, आरक्षी हरीश चंद्र, बृजेश कुमार, कंप्यूटर ऑपरेटर हिमांक कुमार, आरक्षी संजीव कुमार, राजेश, सतेंद्र सिंह, संजीव, अनिल कुमार, जोगेश कुमार और आरक्षी चालक संजय कुमार दोषी पाए गए हैं।