
JNN: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की है कि “वो एक गोल्डन डोम मिसाइल डिफेंस सिस्टम विकसित करने जा रहे है जो इजराइली आयरन डोम से भी बेहतर होगा।”
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा घोषित “गोल्डन डोम” मिसाइल रक्षा प्रणाली ने वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य में एक नई बहस को जन्म दिया है। यह प्रणाली, जो $175 बिलियन की लागत से विकसित की जाएगी, अंतरिक्ष-आधारित हथियारों और उपग्रहों के माध्यम से अमेरिका को बैलिस्टिक और हाइपरसोनिक मिसाइल खतरों से सुरक्षित रखेगी।
अगर उनकी इस घोषणा को गौर से सुनेंगे और उसके पीछे के कारणों को जानेंगे तो आपको वर्तमान भारत की शक्तियों का अंदाजा लगाना सुलभ हो जाएगा और एक भारतीय होने पर गर्व का अनुभव होगा।
गौरतलब है कि भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान जब से अमेरिका ने भारत की डिफेंसिव और ऑफेंसिव ताकत को देखा है, जब से भारत ने पाकिस्तान की कंबल कुटाई की है तब से भारत के प्रति उसका व्यवहार बदला बदला नजर आ रहा है।
ऐसा प्रतीत होता है मानो इस युद्ध से अमेरिका कुछ और ही उम्मीद लगाकर बैठा था और परिणाम कुछ और ही आ गया।
अमेरिका जानता था कि पाकिस्तान के पास हजारों तुर्की, चीनी ड्रोन हैं, 75 अमेरिकी अत्याधुनिक F-16 विमान हैं, AWACS है, अमेरिकी एयर डिफेंस रडार है, 150 चीनी JF-17 थंडर विमान है, मैक 5 स्पीड वाली PL-15E एयर टू एयर मिसाइल है, ऊपर से परमाणु हथियार हैं।
विशेषज्ञों की मानें तो अमेरिका को लगता था कि भारत पाकिस्तान के सामने नहीं टिक पाएगा, दो चार दिन में ही सरेंडर कर देगा। ऐसे में भारत ट्रंप से युद्ध विराम की गुहार लगाएगा, उस स्थिति में अमेरिका भारत के सामने अपनी शर्तों की एक लंबी फेहरिस्त रखता। जिसमें मुख्य रूप से टैरिफ घटाकर Zero करना, रूस से कच्चे तेल और हथियारों के आयत पर रोक लगाना।
लेकिन लगता है भगवान को कुछ और ही मंजूर था,
भारतीय सेना ने एक एक कर पाकिस्तान के हर किले को ध्वस्त कर दिया।
22 अप्रैल 2025 पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर चलाया जिसके अंतर्गत 6-7 मई की रात पाकिस्तान के एयर डिफेंस को चीरते हुए उसके 9 आतंकवादी ठिकानों को पिन प्वाइंट स्ट्राइक के साथ ध्वस्त कर दिया था। 1971 के बाद ऐसा पहली बार हुआ था कि भारतीय सेना ने अंतराष्ट्रीय बॉर्डर के उस पार जाकर पाकिस्तान के अंदर हमला किया।
इसके जवाब में पकिस्तान ने 8-9 मई की रात चीन, तुर्की से मिले 400 ड्रोन, और बैलिस्टिक मिसाइलों से एक साथ भारत पर हमला बोल दिया। पाकिस्तान द्वारा दागी गई चीनी PL-15E एयर-टू-एयर मिसाइलों को भारत की S-400 ट्रायम्फ प्रणाली ने प्रभावी ढंग से निष्क्रिय किया । इसके अलावा, स्वदेशी “आकाशतीर” प्रणाली ने ड्रोन और मिसाइल हमलों के खिलाफ 100% सफलता दर के साथ रक्षा प्रदान की।
भारत ने न केवल अपने एयर डिफेंस सिस्टम की क्षमता का प्रदर्शन किया, बल्कि पाकिस्तान के भीतर स्थित AWACS, रडार स्टेशनों और एयरबेस को भी सटीक मिसाइल हमलों के माध्यम से नष्ट किया। इसमें इजरायली HARPY ड्रोन और स्वदेशी SAMAR प्रणाली की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
भारत की डिफेंसिव और ऑफेंसिव ताकत को देखकर अमेरिकी थिंक टैंक उनके रक्षा विशेषज्ञ भी परेशान है, उन्हें अभी तक समझ में नहीं आ रहा है कि भारत ने ऐसे कौन से हथियारों का प्रयोग किया जिनका पता लगाने में AWACS तक फेल हो गया? चीनी रडार, अमेरिकी रडार, चीनी एयर डिफेंस सिस्टम HQ-9 सब जाम करके नष्ट कर दिए गए?
पाकिस्तान की ओर से दागी गई बैलिस्टिक मिसाइलें इंटरसेप्ट कर ली गईं, उनके रडार को जाम करके नेविगेशन को कंट्रोल करके उनका रास्ता भटकाकर बिना विस्फोट के खेतों में उतार दिया गया?
जो जिंदा PL-15E मिसाइल भारत के हाथ लगी है वो दुनियां की सबसे एडवांस एयर टू एयर मिसाइल है। जिसकी गति मैक 5 है जो ब्रह्मोस से भी डेढ़ गुना ज्यादा है।
भारत की इसी ताकत को देखकर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने गोल्डन डोम मिसाइल डिफेंस सिस्टम की घोषणा की है, क्योंकि अमेरिका भी जान चुका है कि भारत की मिसाइल और एंटी मिसाइल टेक्नोलॉजी अमेरिका से भी बेहतर हो चुकी है। इसे भारत कभी भी अपने मित्र देश रूस को उपलब्ध करा सकता है। इसी भय ने अमेरिका को तत्काल एंटी बैलिस्टिक एयर डिफेन्स सिस्टम गोल्डन डोम बनाने पर मजबूर कर दिया है।
अमेरिका रूसी एयर डिफेंस सिस्टम S-400, और भारतीय एयर डिफेन्स आकाशतीर, ब्रह्मोस जैसे अकाट्य हथियारों की कभी तारीफ नहीं कर सकता था क्योंकि ऐसा करने से भारत और रूस को हथियारों के बाजार में फायदा पहुंच जाता। भारत ने हथियारों के निर्यात में अभी अभी तो कदम रखने शुरू किए हैं ऐसे में भारतीय हथियारों की तारीफ करके प्रमोट करने की गलती अमेरिका कभी नहीं कर सकता, इसलिए मजबूरन ट्रंप को अपनी घोषणा में आयरन डोम का नाम लेना पड़ा।
अपने रक्षा विशेषज्ञों के बीच बात रखते हुए प्रेसिडेंट ट्रंप ने यकीनन भारतीय एयर डिफेंस की चर्चा की होगी ना कि आयरन डोम की। ट्रंप ने कहा होगा कि हम भारतीय एयर डिफेंस से भी मजबूत अपना एयर डिफेंस बनाएंगे।
भारत की बढ़ती ताकत और पाकिस्तान की अप्रत्याशित ठुकाई का असर प्रेसिडेंट ट्रंप के बयानों और फैसलों में आसानी से देखा जा सकता है। अमेरिका चुन चुनकर भारत के शत्रुओं के साथ एक के बाद एक डील करता जा रहा है, अमेरिका भारत की तरक्की से ना पहले कभी खुश था ना आगे कभी होगा।
यह लगभग स्पष्ट हो चुका है कि पाकिस्तान, जो दशकों से खुद को एक परमाणु शक्ति बताता आया था, असल में अपने दम पर कभी भी परमाणु राष्ट्र था ही नहीं। विश्वसनीय सूत्रों और रक्षा विशेषज्ञों की मानें तो 1998 में जब भारत ने अपने परमाणु परीक्षण किए, अमेरिका ने उसी दौरान पाकिस्तान को ‘ताकतवर’ दिखाने का खेल खेला।
दरअसल, अमेरिका ने अपने ही परमाणु हथियार पाकिस्तान की धरती पर तैनात कर दिए थे। जिनके बल पर पाकिस्तान लगातार भारत की पिछली सरकारों को “न्यूक्लियर ब्लैकमेल” करता आ रहा था।
किराना हिल्स की छाती में मिसाइल भेदकर ये न्यूक्लियर ब्लैकमेल भी हमेशा हमेशा के लिए खत्म कर दिया है।
F-16, AWACS, रडार, परमाणु पाकिस्तान में तैनात सभी अमेरिकी हथियारों की वैश्विक धमक भारत ने महज 4 दोनों के इस अल्पकालीन युद्ध में खत्म कर दी है।
अमेरिका इस युद्ध के बाद खुद को ठगा सा महसूस कर रहा है, आने वाले दिनों में अमेरिका भारत पर दवाब बनाने के लिए पाकिस्तान, तुर्की को और भी सपोर्ट करता दिखाई देगा।
अमेरिका कुछ भी कर ले, भारत अब झुकने वाला नहीं है, झुकना अमेरिका को ही पड़ेगा, भारत और चीन में से कम से कम किसी एक को चुनना उसके शक्ति संतुलन के लिए आवश्यक है।
हम भारतीयों को अपनी सेना पर, अनुसंधान संस्थानों पर अपने रक्षा वैज्ञानिकों पर गर्व होना चाहिए। साथ ही मौजूदा सरकार का भी धन्यवाद करना चाहिए जिसने सेना को 2014 से ही फ्री हैंड दे रखा है साथ ही रक्षा खरीद के लिए, रिसर्च के लिए सारे कोष खोल दिए हैं। पिछले 10 साल में रक्षा बजट तीन गुना तक बढ़ा दिया गया है।