स्वर्गीय बाबू बालेश्वर लाल को याद करने का यह प्रयास न केवल उनके योगदान को नमन है, बल्कि आने वाली पीढ़ी के पत्रकारों और साहित्यकारों को एक प्रेरणा देने का माध्यम भी है।
रिपोर्ट🔹विकास भारद्वाज
आगरा। यूपी के जनपद आगरा में खेरागढ़ का अग्रवाल भवन आज एक ऐतिहासिक आयोजन का साक्षी बनने जा रहा है। ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन के संस्थापक स्वर्गीय बाबू बालेश्वर लाल की पुण्यतिथि के अवसर पर आज सायं 6 बजे से एक भव्य कवि सम्मेलन और सम्मान समारोह का आयोजन किया जा रहा है।

श्रद्धांजलि से होगा शुभारंभ
कार्यक्रम की शुरुआत स्व. बालेश्वर लाल को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित कर की जाएगी। वे न केवल पत्रकारिता के एक मजबूत स्तंभ थे, बल्कि ग्रामीण पत्रकारों के अधिकारों की बुलंद आवाज भी थे।
पांच वरिष्ठ पत्रकारों को मिलेगा विशेष सम्मान
श्रद्धांजलि के पश्चात पत्रकारिता के क्षेत्र में दशकों से योगदान देने वाले पांच वरिष्ठ पत्रकारों को सम्मानित किया जाएगा। यह सम्मान उनकी निष्पक्ष लेखनी, जनसरोकारों के प्रति समर्पण और निष्ठा को समर्पित होगा।
कवियों की रचनाओं से गूंजेगा सभागार
इस अवसर पर आयोजित कवि सम्मेलन में क्षेत्र के अनेक प्रतिष्ठित कवि भाग लेंगे। हास्य, श्रृंगार, वीर रस और समसामयिक विषयों पर आधारित काव्य प्रस्तुतियां कार्यक्रम में चार चांद लगाएंगी। श्रोताओं को एक यादगार साहित्यिक संध्या की अनुभूति होगी.
संस्कृति और पत्रकारिता का मिलन बिंदु
इस आयोजन को केवल एक श्रद्धांजलि या सांस्कृतिक कार्यक्रम भर मानना गलत होगा। यह आयोजन एक संदेश भी देगा — कि पत्रकारिता और साहित्य एक-दूसरे के पूरक हैं। जहाँ पत्रकारिता तथ्य कहती है, वहीं साहित्य उसे संवेदना से जोड़ता है।
जिला इकाई का आयोजन, सभी आमंत्रित
इस आयोजन की जिम्मेदारी ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन, जिला इकाई आगरा ने ली है। जिलाध्यक्ष श्री विष्णु सिकरवार ने जानकारी देते हुए बताया कि कार्यक्रम में सभी पत्रकार बंधु, साहित्य प्रेमी, और गणमान्य नागरिक सादर आमंत्रित हैं।
एक संदेश, एक प्रेरणा:
स्वर्गीय बाबू बालेश्वर लाल को याद करने का यह प्रयास न केवल उनके योगदान को नमन है, बल्कि आने वाली पीढ़ी के पत्रकारों और साहित्यकारों को एक प्रेरणा देने का माध्यम भी है।
खेरागढ़ आज एक ऐसे आयोजन का गवाह बनने जा रहा है, जहां कलम, काव्य और कल्चर तीनों एक साथ मंच साझा करेंगे। पत्रकारिता की सादगी और साहित्य की सुंदरता जब एक मंच पर मिलती है, तब इतिहास लिखा जाता है – और आज वही दिन है।
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