JNN: क्या अमेरिका ने कभी बताया कि वह अपनी हाइपरसोनिक मिसाइल किस शहर में बनाता है?
क्या चीन ने प्रेस को खुलकर बताया कि उसकी बैलिस्टिक मिसाइलें किस फैक्ट्री में बनती हैं?
क्या ब्रिटेन ने कभी गर्व से कहा कि हार्पून मिसाइलें उसके किस ज़िले में तैयार होती हैं?
क्या रूस ने कभी RS-28 Sarmat जैसी घातक मिसाइल का निर्माण-स्थल मीडिया के सामने रखा?
इन सभी सवालों का एक ही उत्तर है—नहीं। क्योंकि आधुनिक हथियार सिर्फ ताकत का प्रतीक नहीं होते, बल्कि राष्ट्र की सुरक्षा प्रणाली की रीढ़ होते हैं। इनकी निर्माण-स्थल की जानकारी देना, अपने ही किले का नक्शा दुश्मन को थमाने जैसा है।
ऐसे में भारत के गृहमंत्री श्री राजनाथ सिंह का यह सार्वजनिक बयान कि ब्रहमोस मिसाइल लखनऊ में बनेगी, न केवल चौंकाने वाला है, बल्कि कई रणनीतिक सवाल भी खड़े करता है। यह कदम क्या देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा नहीं बन सकता?
ब्रह्मोस भारत की सबसे तेज़ सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल है, जो दुश्मन के होश उड़ाने में सक्षम है। इसकी लोकेशन बताना, आतंकवादियों, विदेशी एजेंसियों और साइबर हमलावरों को एक सीधा टारगेट देने जैसा है। लखनऊ जैसे घनी आबादी वाले शहर को इस तरह सामरिक चर्चा में लाना, रणनीतिक सूझबूझ पर सवाल खड़े करता है।
हम यह नहीं कह रहे कि मिसाइल फैक्ट्री लखनऊ में न बने। यह गर्व का विषय हो सकता है, लेकिन ऐसे संवेदनशील प्रोजेक्ट्स की जानकारी को सार्वजनिक मंच पर लाना, हमारी सुरक्षा नीतियों में लापरवाही को दर्शाता है।
भारत को चाहिए कि वह अपनी सैन्य रणनीतियों में पारदर्शिता और प्रचार की सीमा तय करे। राष्ट्रीय गौरव का प्रदर्शन और राष्ट्रीय सुरक्षा में फर्क समझना जरूरी है। क्योंकि जब बात मिसाइल की हो, तो चुप रहना ही असली ताकत होती है।