लखनऊ, 1 दिसंबर 2025 – उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने प्राइवेट स्कूलों पर सख्ती बरतते हुए एक बड़ा कदम उठाया है। मोटी फीस वसूलने वाले इन स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने वाले शिक्षकों की योग्यता की जांच का आदेश जारी कर दिया गया है। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) की सख्ती के बाद यह फैसला लिया गया है, जिसके तहत सभी 75 जिलों में जिला विद्यालय निरीक्षक प्राइवेट स्कूलों के टीचर्स की शैक्षिक योग्यताओं का सत्यापन करेंगे। जहां भी NCTE के मानकों का उल्लंघन पाया जाएगा, वहां बिना योग्यता वाले शिक्षकों को तुरंत सेवा से हटा दिया जाएगा।

यह कार्रवाई प्राइवेट शिक्षा क्षेत्र में लंबे समय से चली आ रही अनियमितताओं पर लगाम लगाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उच्च फीस के बावजूद कई स्कूलों में अयोग्य शिक्षकों की भर्ती से छात्रों का भविष्य खतरे में पड़ रहा था। शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार, यह जांच NCTE के दिशा-निर्देशों के अनुपालन को सुनिश्चित करेगी और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को बढ़ावा देगा।

NCTE की शिकायत से शुरू हुई जांच की प्रक्रिया

NCTE ने हाल ही में उत्तर प्रदेश के कई प्राइवेट स्कूलों पर नाराजगी जताई थी, जहां शिक्षकों की नियुक्ति बिना उचित योग्यता के हो रही थी। इसकी शुरुआत झांसी के निवासी राहुल जैन की शिकायत से हुई, जिन्होंने NCTE को साक्ष्यों के साथ पत्र लिखा। पत्र में दावा किया गया कि कई स्कूलों के शिक्षकों के पास अनिवार्य डिग्रियां जैसे B.Ed, CTET, TET या D.El.Ed नहीं हैं। यह शिकायत मुख्य सचिव एसपी गोयल और अपर मुख्य सचिव बेसिक व माध्यमिक शिक्षा तक पहुंची, जिसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर全省 स्तर पर जांच का आदेश दिया गया।

शिक्षा विभाग ने सभी जिलों के जिला विद्यालय निरीक्षकों को निर्देश जारी किए हैं कि वे तत्काल प्राइवेट स्कूलों का दौरा करें और शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच करें। जांच रिपोर्ट जल्द ही विभाग को सौंपी जाएगी, और पाए गए उल्लंघनों पर कड़ी कार्रवाई होगी। NCTE के अनुसार, प्राइवेट स्कूलों में कम वेतन और अयोग्य भर्ती की समस्या शिक्षा की गुणवत्ता को प्रभावित कर रही है, जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) के विपरीत है।

प्राइवेट स्कूलों पर बढ़ी मुसीबत: फीस vs. क्वालिटी का सवाल

उत्तर प्रदेश में हजारों प्राइवेट स्कूल हैं, जो मासिक फीस 5,000 से 20,000 रुपये तक वसूलते हैं। लेकिन कई मामलों में ये स्कूल NCTE के न्यूनतम मानकों का पालन नहीं कर रहे। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम न केवल शिक्षकों की योग्यता सुनिश्चित करेगा, बल्कि अभिभावकों के लिए भी राहत लेकर आएगा। एक शिक्षा विशेषज्ञ ने कहा, “बच्चों का भविष्य अयोग्य शिक्षकों के हाथों में नहीं छोड़ा जा सकता। योगी सरकार का यह फैसला सराहनीय है, लेकिन इसे पारदर्शी और समयबद्ध तरीके से लागू करना जरूरी है।”

इस कार्रवाई से प्राइवेट स्कूलों को अपनी भर्ती प्रक्रिया में सुधार करना पड़ेगा। यदि कोई स्कूल मानकों का उल्लंघन करता पाया गया, तो उसके खिलाफ जुर्माना या मान्यता रद्द करने जैसी सख्त कार्रवाई हो सकती है। सरकार का उद्देश्य स्पष्ट है – शिक्षा को एकरूप और गुणवत्तापूर्ण बनाना।

क्या होगा छात्रों और अभिभावकों पर असर?

यह जांच छात्रों के हित में है, लेकिन अल्पकालिक रूप से कुछ स्कूलों में शिक्षक परिवर्तन से पढ़ाई प्रभावित हो सकती है। अभिभावक संगठनों ने सरकार से अपील की है कि जांच के दौरान वैकल्पिक व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। वहीं, NCTE ने भी राज्य सरकारों को सलाह दी है कि TET (टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट) को अनिवार्य बनाया जाए, ताकि भविष्य में ऐसी अनियमितताएं न हों।

योगी सरकार की यह पहल शिक्षा क्षेत्र में पारदर्शिता लाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। आने वाले दिनों में जांच रिपोर्ट से और स्पष्ट तस्वीर सामने आएगी।

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