•  ‘पटाना, बच्चे पैदा करना, फिर छोड़ देना – ये हमारे संस्कार नहीं!’

लखनऊ (JNNन्यूज डेस्क)।  उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने बेटियों को लिव-इन रिलेशनशिप के खतरों के बारे में चेतावनी भरी सलाह दी है। एक हालिया कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा कि युवा लड़कियों को ‘फ्रेंडशिप’ के नाम पर लिव-इन रिलेशनशिप में फंसने से बचना चाहिए, क्योंकि इसके परिणाम बेहद दर्दनाक हो सकते हैं। राज्यपाल ने अनाथालयों का जिक्र करते हुए बताया कि वहां 15-20 साल की लड़कियां अपने छोटे बच्चों के साथ खड़ी नजर आती हैं, जो समाज के लिए एक बड़ा सवाल खड़ा करता है।

राज्यपाल के शब्दों में चेतावनी: ‘लालच, पटाना और फिर धोखा’

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने स्पष्ट शब्दों में कहा, “आपके पास कोई फ्रेंडशिप करने के लिए आएगा। उसे लिव-इन रिलेशनशिप कहते हैं। अनाथालय जाकर देखिए, इसके परिणाम क्या है? वहां प्रत्यक्ष दिखाई पड़ेगा। 15-20 साल की बेटियां 1-1 बच्चा लेकर खड़ी हैं। किसने पैदा किया? क्या यही पढ़ाई है हमारी? लालच देना, पटाना, बच्चे पैदा करना और फिर छोड़ देना। ये संस्कार हमारा नहीं, लेकिन ऐसा हो रहा है।”

उनका यह बयान महिलाओं के सशक्तिकरण और पारिवारिक मूल्यों को मजबूत करने के उनके लंबे संघर्ष को दर्शाता है। आनंदीबेन पटेल, जो गुजरात की पहली महिला मुख्यमंत्री रह चुकी हैं, ने हमेशा महिलाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा पर जोर दिया है। हाल ही में मार्च 2025 में गोंडा में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने बाल विवाह और दहेज प्रथा को ‘समाज का अभिशाप’ बताते हुए बेटियों को ‘बलि बेदी पर चढ़ने’ से रोकने की अपील की थी।

सामाजिक संदर्भ: बढ़ते लिव-इन रिलेशनशिप और अनचाहे गर्भधारण के आंकड़े

भारत में लिव-इन रिलेशनशिप तेजी से लोकप्रिय हो रही हैं, खासकर शहरी युवाओं में। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार, 2024 में महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा और परित्याग के मामलों में 12% की वृद्धि हुई है, जिसमें कई लिव-इन रिलेशनशिप से जुड़े हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि बिना कानूनी सुरक्षा के ये रिश्ते अक्सर महिलाओं को भावनात्मक, आर्थिक और सामाजिक रूप से कमजोर कर देते हैं।

एनजीओ ‘चाइल्डलाइन इंडिया’ के आंकड़ों के मुताबिक, अनाथालयों में 20% से अधिक बच्चे अविवाहित माताओं के हैं, जिनकी उम्र 18-25 वर्ष के बीच है। राज्यपाल का बयान इस समस्या को उजागर करता है और माता-पिता व समाज से जिम्मेदारी लेने की अपील करता है।

राज्यपाल का सफर: महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत

आनंदीबेन पटेल का राजनीतिक सफर संघर्षों से भरा रहा है। गुजरात में मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने ‘स्वच्छ भारत अभियान’ को 100% सफल बनाया और महिलाओं के लिए कैंसर जांच व मुफ्त इलाज की योजना शुरू की। उत्तर प्रदेश में राज्यपाल बनने के बाद (29 जुलाई 2019 से), उन्होंने विश्वविद्यालयों की NAAC ग्रेडिंग में सुधार कराया, जिससे कई संस्थानों को A+ रेटिंग मिली। जनवरी 2025 में वह यूपी की सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाली राज्यपाल बनीं, जो उनके समर्पण को प्रमाणित करता है।
उनकी हालिया आत्मकथा ‘चुनौतियाँ मुझे पसंद हैं’ में महिलाओं के नेतृत्व और सशक्तिकरण पर विस्तार से चर्चा की गई है, जिसका विमोचन उपराष्ट्रपति ने किया था।

विशेषज्ञों की राय: शिक्षा और जागरूकता ही समाधान

सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. रीता सिंह कहती हैं, “राज्यपाल का संदेश सही दिशा में है। लिव-इन रिलेशनशिप पर कानूनी सुरक्षा की जरूरत है, लेकिन इससे पहले शिक्षा और पारिवारिक संवाद महत्वपूर्ण हैं। बेटियों को आत्मनिर्भर बनाना ही असली सुरक्षा है।”

महिला आयोग की पूर्व सदस्य सुधा मिश्रा ने कहा, “ये बयान विवादास्पद लग सकता है, लेकिन यह वास्तविकता को आईना दिखाता है। समाज को लिव-इन को सामान्य मानने से पहले उसके जोखिमों पर विचार करना चाहिए।”

आगे की राह: सरकार की पहलें

उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल ही में ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना को मजबूत किया है, जिसमें लिव-इन रिलेशनशिप से जुड़े कानूनी जागरूकता कैंप शामिल हैं। राज्यपाल पटेल ने भी कई जिलों में महिला हेल्पलाइन को सक्रिय करने का निर्देश दिया है।

यह बयान न केवल बेटियों के लिए चेतावनी है, बल्कि पूरे समाज के लिए एक आह्वान है – पारंपरिक मूल्यों को बनाए रखते हुए आधुनिक चुनौतियों का सामना करने का। क्या आप मानते हैं कि लिव-इन रिलेशनशिप पर ऐसी खुली चर्चा जरूरी है? कमेंट्स में अपनी राय साझा करें!

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