आगरा। उटंगन नदी में 12 युवकों को खोजने का कार्य प्रशासन और पुलिस के लिए एक अभूतपूर्व चुनौती था। जिलाधिकारी ने इस चुनौती को स्वीकार किया और खुद मौके पर डटे रहे। जिलाधिकारी अरविंद मलप्पा ने कहा भी है कि यह मेरे जीवन का अब तक का सबसे कठिन और भावनात्मक रेस्क्यू ऑपरेशन था। यह कहते समय उनकी आंखें नम थीं। 6 दिन तक वह भी सोए नहीं। आज उनके चेहरे पर हल्का सा सुकून जरूर था लेकिन दुख इस बात का अभी था कि 12 लोग काल के गाल में चले गए।

कुसियापुर गांव के 12 युवक गुरुवार को नदी में लापता हुए थे। जैसे ही यह सूचना जिलाधिकारी के पास पहुंची वह तत्काल मौके पर पहुंचे। पुलिस कमिश्नर दीपक कुमार भी उनके साथ में थे। मौके पर पहुंचने पर देखा कि हर आंख नम थी और हजारों लोगों की भीड़ अधिकारियों की ओर देख रही थी। रेस्क्यू टीमों के सामने यह साफ नहीं था कि तलाश कहां से शुरू की जाए।

जिलाधिकारी अरविंद मलप्पा बंगारी बताते हैं कि पहले दिन हमें अंदाज़ा ही नहीं था कि युवकों को किस हिस्से में ढूंढा जाए। नदी की गहराई, तेज बहाव और मिट्टी की परतों के कारण ऑपरेशन बेहद जटिल था। हादसे वाले दिन ही तीन शव तो बरामद कर लिए गये थे, लेकिन जीतोड़ कोशिशों के बाद भी नौ शवों का पता नहीं चल पा रहा था। लगातार 24 घंटे की माथापच्ची और कई विफल प्रयासों के बाद यह निर्णय लिया गया कि नदी में बहाव को रोका जाए, ताकि पानी का स्तर घटे और तलहटी में दबे शवों को खोजा जा सके। इसके लिए भरतपुर, करौली और धौलपुर जिलाधिकारियों से तत्काल संपर्क स्थापित कर यह अनुरोध किया गया कि कुछ समय तक नदी में पानी न छोड़ा जाए। साथ ही स्थानीय ग्रामीणों की मदद से नदी पर अस्थायी मिट्टी का बांध तैयार कराया गया, जिससे जल स्तर नियंत्रित हुआ। नदी का तल जलविहीन होने पर ही 20 से 30 फीट की गहराई में दलदल में शव मिले।

डीएम ने बताया कि सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, स्थानीय पुलिस और गोताखोरों की टीमें निरंतर अभियान में जुटी हुई थीं, लेकिन प्रारंभिक प्रयासों में सफलता नहीं मिली। इसके बाद दिशा बदलते हुए एक नया प्रयोग किया गया।

डीएम ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे मर्चेंट नेवी विशेषज्ञों से संपर्क करें और पता लगाएं कि क्या कोई ऐसी तकनीक संभव है जिससे पानी और मिट्टी के भीतर मौजूद शवों का पता लगाया जा सके। इसी दौरान शवों की खोज के लिए कई प्रयोग किए गए। मेटल रॉड्स, प्रेशर पाइप्स और कम्प्रेशर एयर तकनीक का उपयोग किया गया। अंतिम चरण में जब कम्प्रेशर के माध्यम से हवा से मिट्टी हटाकर तलहटी को साफ किया गया, तब पहले शव के मिलने के साथ उम्मीदें फिर से जाग उठीं। पहला शव मिलते ही पूरा प्रशासनिक दल भावुक हो उठा। हमने सोचा अब बाकी भी मिल जाएंगे, और हुआ भी वही।

लगातार प्रयासों के बाद इसी तकनीक से बीते दिन दो शव निकाले गए और मंगलवार को चारों लापता युवकों के शव मिलने के साथ ही ऑपरेशन उटंगन सफलतापूर्वक संपन्न हो गया।

जिलाधिकारी ने कहा कि हमें कई बार लगा कि शायद अब कोई संभावना नहीं बची, लेकिन टीमों ने हिम्मत नहीं हारी। अंततः नतीजे सामने आए। डीएम ने यह भी बताया कि कुछ शव मिट्टी के भीतर खड़े अवस्था में दबे हुए मिले, जिन्हें अत्यंत सावधानी से बाहर निकाला गया। उन्होंने कहा कि यह अनुभव उनके प्रशासनिक करियर की सबसे कठिन परीक्षा थी।

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