वृन्दावन।परिक्रमा मार्ग/वंशीवट क्षेत्र स्थित चरणाश्रम (पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा) में पूज्य हनुमानजी वाले बाबा की सद्प्रेरणा से द्विदिवसीय नवम पाटोत्सव और अन्नकूट महोत्सव अत्यंत श्रद्धा एवं धूमधाम के साथ संपन्न हुआ।जिसके अंतर्गत गोपाष्टमी के पावन उपलक्ष्य में प्रातः काल वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य संतों व भक्तों के द्वारा गौमाता का पूजन-अर्चन किया गया।इससे पूर्व चरणाश्रम एके संस्थापक महामंडलेश्वर डॉ. सत्यानंद सरस्वती महाराज “अधिकारी गुरुजी” के सानिध्य में श्रीहरिनाम संकीर्तन के मध्य श्रीयमुना महारानी का चुनरी मनोरथ किया गया।
इस अवसर पर आयोजित संत-विद्वत सम्मेलन में श्रीपीपाद्वाराचार्य जगद्गुरु बाबा बलरामदास देवाचार्य महाराज एवं धीर समीर कुंज के श्रीमहन्त मदन मोहन दास महाराज ने कहा कि गौमाता में चौबीस कोटि देवी- देवता निवास करते हैं।गौ माता का पूजन करने से उनकी कृपा हम पर बरसती है।इसीलिए हम सभी को पूर्ण समर्पण के साथ गौ माता की सेवा करनी चाहिए।
महामंडलेश्वर स्वामी डॉ. इन्द्रदेवेश्वरानंद सरस्वती महाराज एवं पुराणाचार्य डॉ. मनोज मोहन शास्त्री ने कहा कि वर्तमान में भारतीय वैदिक सनातन धर्म पर चहुंओर से कुठाराघात हो रहा है।यदि इसे तत्काल न रोका गया तो, वह दिन दूर नहीं जब पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान और कश्मीर की तरह समूचे भारत से सनातन धर्म विलुप्त हो जाएगा।आज समस्त सनातन धर्मावलंबियों को धर्म की रक्षा हेतु एकत्र होने की परम् आवश्यकता है।
प्रख्यात साहित्यकार “यूपी रत्न” डॉ. गोपाल चतुर्वेदी एवं धर्मरत्न स्वामी बलरामाचार्य महाराज ने कहा कि प्राचीन भारतीय वैदिक सनातन संस्कृति में गौ को सर्वपूज्य माना गया है।गौमाता का दूध अमृत तुल्य है।इसीलिए हम भारत सरकार से यह मांग करते हैं, कि वो गौहत्या बन्द कर उसे शीघ्रातिशीघ्र राष्ट्र माता घोषित करे।
श्रीउमाशक्ति पीठाधीश्वर स्वामी रामदेवानंद सरस्वती महाराज एवं महामंडलेश्वर स्वामी सच्चिदानंद शास्त्री महाराज ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने गौमाता के संरक्षण व संवर्द्धन के लिए ही गिरिराज गोवर्धन की पूजा कराई थी।गिरिराज गोवर्धन केवल मात्र पर्वत नहीं बल्कि साक्षात् भगवान श्रीकृष्ण का ही अवतार हैं,जो गौ, संत और ब्रजवासियों की रक्षा हेतु ब्रज में विराजे हुए हैं।
इस अवसर पर महामंडलेश्वर स्वामी डॉ. आदित्यानंद गिरि महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी कृष्णानंद महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी नवल गिरि महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी राधाप्रसाद देव महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी चित्तप्रकाशानंद महाराज, आचार्य नेत्रपाल शास्त्री, पूर्व प्राचार्य डॉ. रामसुदर्शन मिश्र, सन्त अतुलकृष्ण दास महाराज, डॉ. रमेश चंद्राचार्य विधिशास्त्री महाराज, बाबा कर्मयोगी महाराज, महन्त हरिशंकर नागा, महन्त मोहिनी शरण महाराज, क्रान्तिकारी सन्त स्वामी सत्यमित्रानंद महाराज, पण्डित सौरभ गौड़, स्वामी हरिकृष्णानंद महाराज (कैलिफोर्निया, अमेरिका), पण्डित बिहारीलाल वशिष्ठ, पण्डित दिनेश शर्मा (फलाहारी), महन्त दशरथ दास महाराज, युवा साहित्यकार डॉ. राधाकांत शर्मा, बालशुक पुंडरीक कृष्ण शास्त्री, आचार्य रमाकांत शास्त्री, पंडित हरिप्रसाद द्विवेदी आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।संचालन आचार्य डॉ. रामविलास चतुर्वेदी महाराज ने किया।
महामंडलेश्वर स्वामी सत्यानंद सरस्वती महाराज (डॉ. अधिकारी गुरूजी) ने महोत्सव में पधारे समस्त सन्तों विद्वानों व धर्माचार्यों को उत्तरीय ओढ़ाकर व ठाकुरजी का प्रसादी भेंट कर सम्मानित किया।महोत्सव का समापन संत, ब्रजवासी, वैष्णव सेवा एवं अन्नकूट प्रसाद (भंडारा) के साथ हुआ।
