चन्द्र ग्रहण | दिनांक 07 सितम्बर 2025 को चन्द्र ग्रहण है, जोकि भारत में भी मान्य है,और यह ग्रहण पश्चिम- दक्षिण की ओर से ग्रसित होकर उत्तर-पूर्व की ओर मुक्त होगा,रात्रि 09:57 से स्पर्श काल शुरू होंगा, मध्यरात्रि खग्रास प्रारम्भ 11:01 हो जायेगा, ग्रहण का मध्य काल रात्रि के 11:42 तक और पूर्ण ग्रहण समाप्त रात्रि के 1:26 तक समाप्त हो जायेगा, सम्पूर्ण ग्रहण*
धार्मिक मान्यतानुसार सूर्य ग्रहण का सूतक 12 घंटे पूर्व और चंद्र ग्रहण लगने के 9 घंटे पूर्व सूतक प्रारंभ हो जाता है। इसलिए 07 सितंबर को दोपहर 12:57 मिनट से सूतक प्रारंभ हो जाएगा। इसी दिन पूर्णिमा का श्राद्ध भी है, जिन परिवारों में श्राद्ध है, वह श्राद्ध हेतु ब्राह्मण भोजन एवं दान-पुण्य दोपहर 12:00 से पहले पहले पूर्ण कर लें, इसका विशेष ध्यान रखें। इसके बाद में सूतक प्रारंभ हो जाएगा,और यह ग्रहण भारत के सभी नगरो ग्रामों 07 सितम्बर को सायं 6pm से लेकर 7pm तक चन्द्र उदय हो चुका होगा, इसलिए यह ग्रहण सम्पूर्ण भारत में दिखाई देगा,इसके आलावा जैसे अन्य देशों सम्पूर्ण यूरोप,सम्पूर्ण एशिया के देशों, ऑस्ट्रेलिया,न्यूजीलैंड,अफ्रीका,पश्चिमी उत्तरी अमेरिका,तथा दक्षिणी अमरीका के पूर्वी क्षेत्रों(केवल ब्राजील के पूर्वी क्षेत्रों)में दिखाई देगा,यूरोप के लगभग सभी देशों में(इंग्लैंड,इटली,जर्मनी,फ़्रांस आदि)अफ्रीका के अधिकतर देशों में इस ग्रहण का प्रारम्भ चन्द्रोदय के बाद देखा जा सकेगा,अर्थात् जब इन क्षेत्रों में चन्द्रोदय होंगा,तब ग्रहण प्रारम्भ हो चुका होगा,जब कि दक्षिणी-पूर्वी आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड,फिजी आदि में इस ग्रहण की समाप्ति चन्द्रास्त के समय देखा जा सकेगा, अर्थात् जब ग्रहण घटित हो रहा होगा,तो चन्द्रास्त हो जायेगा, भारत तथा सम्पूर्ण एशिया में इस ग्रहण का दृश्य प्रारम्भ से समाप्ति तक देखा जा सकेगा,
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विशेष ग्रहण काल तथा बाद में क्या करे,और क्या ना करें,
ग्रहण के सूतक तथा ग्रहण काल में स्नान,दान मंत्र सिद्धि, ध्यान,जाप, व संकीर्तन कर सकते है।दान देने वाली वस्तु जैसे अपने राशि के अनुसार या अन्न,जल,चावल, सफेद वस्त्र,फल,अथवा ब्राह्मण के परामर्शानुसार दान देने योग्य,वस्तुओं का संग्रह करके मानसिक संकल्प कर लेना चाहिये,तथा अगले दिन यानि 8 सितम्बर को प्रातः सूर्योदय के समय पुनः स्नान करके संकल्प पूर्वक किसी योग्य ब्राह्मण को दान कर देना चाहिये,
श्लोक– पुत्रजन्मनि यज्ञे च् तथा संक्रमणे रवे:,
राहोश्च दर्शने कार्यम् प्रशस्तं नान्यथा निशि….
अर्थात् सूतक एवं ग्रहण काल में मूर्ति स्पर्श करना, अनावश्यक खाना पीना,मैथुन,निद्रा,नाखून काटना,तेल लगाना वर्जित हैं,झूट कपट आदि,वृथा रोना,मल मूत्र त्यागने से बचना चाहिये,वृद्ध,रोगी,बालक एवं गर्भवती स्त्रियों को यथानुकूल भोजन या दवाई आदि लेने में कोई दोष नही होता,विशेष रूप से गर्भवती स्त्रियों को ग्रहण काल में तनाव चिंता ना करें नुकीली वस्तु कैंची चाकू से आदि का उपयोग न करें, बाल खोलकर रखें, शयन ना करें, बाहर न निकले, सब्जी काटना, भोजन पकाना पापड़ सेकना आदि उत्तेजित कार्यों से परहेज करना चाहिये,तथा धार्मिक ग्रन्थ का पाठ करते हुये प्रसन्नचित रहे,इससे होने वाली संतान स्वस्थ एवं सद्गुणी होती है, विशेष ध्यान दें। ग्रहण सूतक से पहिले ही दूध दही,आचार,चटनी,मुरब्बा में भोजन में कुषा व तुलसी के पत्ते डालकर रखें,इससे सभी दोषो से बचाव होता हैं,
यह खग्रास चन्द्र ग्रहण पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र तथा कुम्भ राशि में घटित हो रहा है,इसलिये इस राशि तथा नक्षत्र में उत्पन्न जातको को विशेष रूप से चन्द्र-राहु तथा स्वामी शनि का जप दान करना कल्याणकारी रहेगा।
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किन राशियों पर ग्रहण का प्रभाव कैसा होगा–
“मेष”-धन लाभ और उन्नति
“वृष”-रोग शरीर पीड़ा
“मिथुन”-संतान सम्बन्धी गुप्त चिंता
“कर्क”-शत्रुभय साधारण लाभ,और खर्च
“सिंह”-स्त्री/पति संबंधी परेशानी
“कन्या”-रोग,गुप्त चिंता, संघर्ष
“तुला”-खर्च अधिक,कार्य विलम्ब
“वृश्चिक”-कार्य सिद्धि,और लाभ
“धनु”-धन लाभ,उन्नति
“मकर”-धन हानि,व्यर्थ यात्रा
“कुम्भ”-दुर्घटना,शरीर कष्ट,शत्रुता
“मीन”-धन हानि,चिंता की वृद्धि
अब आपको बताते हैं,जिस राशि के लिये ग्रहण का फल शुभ नही हैं,उनको एक कांसे की कटोरी में घी भरकर उसमे तांबा का सिक्का डालकर अपना मुँह देखकर छायापात्र को और वस्त्र फल व् दक्षिणा सहित दूसरे दिन 8th sep दान करने से क्लिष्ट रोग एवं समस्त बाधाओं से मुक्ति मिलती हैं
ग्रहण कालीन चन्द्र पर ग्रह दृष्टिफल- ग्रहण के समय कुम्भ राशिस्थ चन्द्र का राहु से सन्निकर्ष एवं सूर्य- बुध-केतु ग्रहों के साथ समसप्तक योग बना हुआ है,कही अग्नि कांड,उपद्रव,युद्धभय,प्रजा को रोग व् प्राकृतिक प्रकोपो से कष्ट,वर्षा से हानि तथा आवश्यक वस्तुओं के मूल्यों में वृद्धि होगी,परन्तु ‘चन्द्र-राहु’ पर गुरु की दृष्टि रहने से शीघ्र ही परिस्थियाँ अनुकूल हो जायेगी
ग्रहण काल का समय- ग्रहण प्रारंभ रात्रि 9:57 से खग्रास ग्रहण प्रारंभ रात्रि 11:1 से ग्रहण समाप्त रात्रि भारत 23:00 बजे ग्रहण का रात्रि 1:26 बजे
विशेष – आज पूर्णिमा का व्रत है आज ही पूर्णिमा का श्राद्ध है श्राद्ध वाले सभी 12:00 बजे तक ब्राह्मण को भोजन करा दें, और सत्यनारायण व्रत वाले एवं पूर्णिमा व्रत वाले भी 12:57 से पहले अपनी पूजा सत्यनारायण की कथा श्रवण कर ले, पूर्णिमा व्रत वाले कुशा तुलसी युक्त जल से चंद्रमा को भावपूर्ण अर्घ दें दिन में 1:00 बजे से मंदिरों के पट बंद रहेंगे।
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