📜  समाचार सार:

गुरसरांय (झाँसी)में श्री हनुमान मंदिर, पुराने बस स्टैंड पर आयोजित श्री श्री 108 रामचरितमानस नवाह परायण महायज्ञ के आठवें दिन श्रीराम-केवट संवाद की हृदयस्पर्शी कथा का आयोजन हुआ। कथा व्यास महंत रामहृदय दास जी महाराज ने भावपूर्ण व्याख्या करते हुए मर्यादा, विनम्रता और सामाजिक समरसता का संदेश दिया। कथा में क्षेत्रीय जनता व गणमान्य अतिथियों की भारी उपस्थिति रही। भजन, पूजन, आरती और संगीत संगत के साथ यह भक्ति पर्व एक आध्यात्मिक उत्सव में परिवर्तित हो गया।

रिपोर्ट 🔹रोहित साहू

गुरसरांय/झाँसी। नगर के पुराने बस स्टैंड स्थित श्री हनुमान जी मंदिर परिसर में चल रहे नौ दिवसीय श्री श्री 108 रामचरितमानस नवाह परायण महायज्ञ के आठवें दिवस श्रीराम-केवट संवाद की कथा का भावपूर्ण वर्णन हुआ। कथा स्थल पर श्रद्धा और भक्ति की ऐसी बयार बही कि श्रोता भावविभोर हो उठे।

प्रख्यात रामकथा व्यास महंत रामहृदय दास जी महाराज ने अपनी अमृतमयी वाणी में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम केवट संवाद की व्याख्या करते हुए कहा—

“जो दूसरों की मर्यादा का सम्मान करता है, वही सच्चा मर्यादा पुरुष होता है।”

उन्होंने बताया कि जब भगवान श्रीराम 14 वर्षों के वनवास हेतु गंगा तट पहुँचे, तो गंगा पार कराने हेतु केवट से नाव माँगी। केवट ने भगवान के चरणों की महिमा समझते हुए कहा—

“पहले चरण धुलवाइए प्रभु, फिर नाव में बैठाइए।”

यह संवाद केवल एक भक्त और भगवान का संवाद नहीं, बल्कि जीवन की सरलता, भक्ति की गहराई और सेवा की सच्चाई का सजीव चित्रण है।

कथा का मूल संदेश यही था:

🔹 “बड़े लोगों के सुख-दुख में तो सब भाग लेते हैं, पर हमें छोटे लोगों के घर भी प्रेम से जाना चाहिए।”

कथा में सहयोग व संगत:

संगीत संयोजन में साकेत व्यास (हरमोनियम), रामजी मिश्रा, धर्मेंद्र सिंह (बेंजो), श्यामजी और अनमोल सिंह (तबला) का विशेष योगदान रहा।

कथा आरती व आयोजन में उपस्थिति:

पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री भानुप्रताप सिंह वर्मा, पूर्व विधायक बृजेन्द्र कुमार व्यास डमडम महाराज, थानाध्यक्ष वेदप्रकाश पांडे सहित अनेक विशिष्ट जन उपस्थित रहे। संचालन सतेंद्र त्रिपाठी ने किया।

कथा की गूंज:

कथा स्थल पर उमड़ी भारी भीड़ इस बात का प्रमाण थी कि आज भी राम के चरणों की धूल को अपने हृदय में बसाने वाले भक्ति भाव से ओतप्रोत समाज जीवित है।

श्रद्धालुओं की जुबानी:

“ऐसा लगा मानो स्वयं प्रभु श्रीराम गंगा तट पर खड़े हैं और हम सभी उनके संवाद सुन रहे हैं।”

आभार प्रदर्शन:

महेंद्र, नरेंद्र, अतुल, नितुल और रामजी व्यास ने संयुक्त रूप से सभी का आभार जताया।


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