एटा:  दिवाली की रौनक अभी बाकी है, लेकिन आतिशबाजी का धुआं शहर की हवा को जहरीला बना चुका है। एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है, जिसका सबसे ज्यादा असर बुजुर्गों पर पड़ रहा है। सांस की तकलीफ और हार्ट अटैक जैसी समस्याओं से जिले में तीन से चार लोगों की मौत हो चुकी है। एसएन मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी में मरीजों की संख्या दोगुनी हो गई है, जहां ज्यादातर वृद्ध और बच्चे सांस लेने की दिक्कत की शिकायत लेकर पहुंच रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि PM2.5 कणों से फेफड़ों और दिल पर सीधा असर पड़ रहा है, जो हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा दोगुना कर देता है।

घटना का विवरण: बृहस्पतिवार-शनिवार के बीच चार मौतें

दिवाली की रात से ही प्रदूषण चरम पर पहुंच गया। मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी में दर्ज मामलों के अनुसार:

नाम उम्र निवास मौत का कारण समय
सत्यपाल 65 नगला नारायण सांस लेने में दिक्कत (प्रदूषण से एक्सर्बेशन) बृहस्पतिवार, रात 10:30 बजे
वीरपाल सिंह 65 नगला सुंदर सीने में दर्द (हार्ट अटैक) बृहस्पतिवार, रात 11 बजे
बृजमोहन पचौरी 63 अशोक नगर बलगम और सांस की तकलीफ शुक्रवार, दोपहर 2:30 बजे
युसूफ खान निर्दिष्ट नहीं पिलुआ सीने में दर्द (हार्ट अटैक) शनिवार, समय निर्दिष्ट नहीं
  • सत्यपाल की मौत: नाती रंजीत ने बताया कि रात 9:30 बजे दादाजी को सांस फूलने लगी। इमरजेंसी ले जाने पर डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। पहले से अस्थमा था, प्रदूषण ने बिगाड़ दिया।
  • वीरपाल सिंह की मौत: पुत्र बबलू के अनुसार, रात को अचानक सीने में दर्द हुआ। हार्ट अटैक से इमरजेंसी पहुंचते ही निधन।
  • बृजमोहन पचौरी की मौत: बेटे कपिल ने कहा कि दो दिन से बलगम की समस्या थी। दोपहर में सांस रुकने लगी, लेकिन बच न सके।
  • युसूफ खान की मौत: परिजनों ने बताया कि सीने में दर्द के बाद इमरजेंसी ले गए, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित किया।

मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों के अनुसार, इन मौतों का सीधा संबंध प्रदूषण से है। दिवाली पर पटाखों से निकले धुएं ने AQI को 200 से ऊपर पहुंचा दिया, जो ‘अनहेल्दी’ श्रेणी में है। इससे सांस नलिकाओं में सूजन, ब्लड प्रेशर बढ़ना और हार्ट पर दबाव पड़ता है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों की चेतावनी: बुजुर्गों और बच्चों पर सबसे ज्यादा खतरा

एसएन मेडिकल कॉलेज के पल्मोनरी विभाग प्रमुख डॉ. आरके शर्मा ने कहा, “दिवाली के बाद प्रदूषण से सांस की बीमारियां 50% बढ़ जाती हैं। वृद्धों में COPD (क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) और हार्ट पेशेंट्स को तुरंत दवा लें।” NCRB और WHO रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत में हर साल 38 लाख मौतें वायु प्रदूषण से होती हैं, जिसमें PM2.5 का बड़ा हाथ है। आगरा में AQI 154-190 के बीच रहा, जो बच्चों और बुजुर्गों के लिए घातक है।

बचाव के उपाय: प्रदूषण से कैसे बचें?

विशेषज्ञों की सलाह:

  • घर पर रहें: खिड़कियां-दरवाजे बंद रखें, एयर प्यूरीफायर इस्तेमाल करें।
  • मास्क पहनें: N95 मास्क बाहर जाते समय जरूरी।
  • दवा लें: अस्थमा या हार्ट पेशेंट्स अपनी दवा समय पर लें, स्टीमिंग करें।
  • व्यायाम: इंडोर योग जैसे अनुलोम-विलोम से फेफड़े मजबूत करें।
  • आहार: विटामिन C युक्त फल (संतरा, आंवला) खाएं, पानी ज्यादा पिएं।

प्रशासन ने अलर्ट जारी किया है: पटाखों पर पाबंदी का सख्ती से पालन करें, ग्रीन पटाखे ही इस्तेमाल करें।

आगरा में प्रदूषण का पुराना सिलसिला: हर साल की त्रासदी

यह पहली बार नहीं है। 2024 दिवाली पर आगरा का AQI 190 तक पहुंचा, तब सांस संबंधी मरीज 30% बढ़े। दिल्ली-NCR में भी यही हाल: AQI 400 पार, सांस और हार्ट केस दोगुने। विशेषज्ञों का कहना है कि पराली जलाना और वाहन प्रदूषण मुख्य वजहें हैं। अगर समय रहते कदम न उठाए, तो मौतें और बढ़ेंगी।

  • रिपोर्ट  – सुनील गुप्ता

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