खेरागढ़/आगरा: क्षेत्र के कुसियापुर गांव के दो युवकों वीनेश और ओकेश के शव सोमवार को उटंगन नदी से बरामद हो गया। राज्य व राष्ट्रीय आपदा मोचन दल (एसडीआरएफ-एनडीआरएफ) और सेना के जवानों ने ग्रामीणों की मदद से कंप्रेसर मशीन का उपयोग कर गड्ढे से मिट्टी हटाकर शव बाहर निकाले। दशहरा के दिन 2 अक्टूबर को मूर्ति विसर्जन के दौरान डूबे 12 लोगों में से अब तक 8 शव मिल चुके हैं, जबकि 4 लोग अभी भी लापता हैं। उनकी तलाश के लिए सोमवार को सर्च ऑपरेशन जारी रहा।

घटना का पूरा विवरण

दशहरा उत्सव के दौरान 2 अक्टूबर को उटंगन नदी में मूर्ति विसर्जन के समय करीब 12 युवक बह गए थे। घटना के कुछ घंटों बाद ही तीन शव बरामद कर लिए गए थे। अगले दिन 3 अक्टूबर को दो और शव मिले। लापता लोगों की तलाश में एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और सेना के स्कूबा डाइवर लगातार जुटे रहे। रविवार शाम करीब 6 बजे सर्च ऑपरेशन में कंप्रेसर मशीन का इस्तेमाल शुरू किया गया, जिससे नदी के गड्ढों से मिट्टी हटाने का काम तेजी से चला।

स्कूबा डाइवरों ने लगभग 30 मिनट तक मिट्टी हटाने के बाद करण का शव बाहर निकाला, जिसे तुरंत पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया। सोमवार दोपहर में वीनेश (उम्र करीब 22 वर्ष) का शव नदी से बरामद हुआ, जबकि शाम को ओकेश (उम्र 25 वर्ष) का शव मिला। दोनों ही कुसियापुर गांव के निवासी थे और विसर्जन में हिस्सा लेने के दौरान बह गए थे।

बचाव अभियान और चुनौतियां

उटंगन नदी का जलस्तर तेज बहाव और गहराई के कारण बचाव कार्य को चुनौतीपूर्ण बना रहा था। कंप्रेसर मशीन से मिट्टी हटाने की तकनीक ने अब तक सफलता दिलाई है, लेकिन गड्ढों में फंसे शवों को निकालना जोखिम भरा है। सेना के स्कूबा डाइवरों ने बताया कि नदी का तल कीचड़ से भरा होने के कारण दृश्यता कम है। एसपी सिटी ने बताया कि लापता चार लोगों—राहुल, अजय, सोहन और विजय—की तलाश में मंगलवार को भी अभियान जारी रहेगा। ग्रामीणों ने नदी किनारे सुरक्षा बाड़ लगाने और जागरूकता अभियान चलाने की मांग की है।

परिवारों का दर्द और प्रशासन की प्रतिक्रिया

कुसियापुर गांव में शोक की लहर दौड़ गई है। वीनेश के पिता ने कहा, “बेटा उत्सव में खुशी से गया था, लेकिन यह दर्दनाक अंत सोच भी नहीं सकते।” ओकेश की बहन ने प्रशासन से लापता लोगों की तलाश तेज करने की अपील की। जिला प्रशासन ने प्रभावित परिवारों को 2-2 लाख रुपये की सहायता राशि देने की घोषणा की है। विशेषज्ञों का कहना है कि त्योहारों के दौरान नदियों में विसर्जन से पहले सुरक्षा उपायों को सख्ती से लागू करना जरूरी है, ताकि ऐसी त्रासदियां दोहराई न जाएं।

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